फोन उठाने वाला यह बताएगा कि उनके प्रमाण पत्र या राशन कार्ड के लिए कौन कौन से दस्तावेज चाहिए। यदि दस्तावजे मौजूद हैं तो उस व्यक्ति के पास उसके बताए समय पर एक सरकारी मोबाइल सहायक आएगा। वह पूरी तैयारी के साथ आएगा। उसके पास इंटरनेट से सज्जित इलेक्ट्राॅनिक उपकरण होंगे। वह दस्तावेजों की जांच करेगा। उसे अपने उपकरण में स्कैन करेगा। सारी जानकारियों को आॅनलाइन अपलोड करेगा। इस तरह से उस व्यक्ति का आवेदन पत्र सरकारी दफ्तर में पंजीकृत हो जाएगा। उसके लिए 50 रुपये का शुक्ल लिया जाएगा और आवेदन की सारी औपचारिकता पूरा कर वह सरकारी मोबाइल सहायक वहां से चला जाएगी। फिर कुछ दिनों के बाद तय समय सीमा के अंदर वह प्रमाण पत्र घर पर ही डेलिवर कर दिए जाएंगे।
इसका मतलब यह हुआ कि न तो आवेदन करने के लिए सरकारी दफ्तर जाने की जरूरत है और न ही प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए वहां के चक्कर लगाने हैं। आवेदन जमा करने के लिए लंबी लंबी कतारों मे लगने की जरूरत भी नही है। प्रमाण पत्र लेने के लिए दलालों की सहायता लेने की भी जरूरत नहीं है। यह सब बिना सरकारी दफ्तर जाए ही उपलब्ध हो जाएगा।
फिलहाल दिल्ली सरकार ने 100 सेवाओं को चिन्हित किया है और आगामी 10 सिंतबर से 40 सेवाओं के लिए होम डेलिवरी शुरू हो जाएगी। एक एक महीने के बाद 30- 30 सेवाओं को और शामिल किया जाएगा। फिर उसके बाद 100 के अलावा अन्य सेवाओं की भी पड़ताल की जाएगी और उनको भी होम डेलिवरी की सूची में शामिल किया जाएगा।
यह निश्चय ही एक अलग किस्म का ऐसा फैसला है, जो संभवतः विश्व में पहले कभी किसी सरकार ने नहीं लिया। सरकारी सेवक का मतलब हमारे देश में शासक होता है और उसकी सेवा लेना कोई आसान काम कभी नहीं रहा। हमारे देश का प्रशासन नौकरशाहों का गुलाम है और बाबूशाही ने अच्छे अच्छे लोगों के छक्के छुड़ा रखे हैं। सरकारी दफ्तरों से गलत काम कराने के लिए रिश्वत का चलन है ही और रिश्वत देने वाले को भी लगता है कि वह ऐसा करके कुछ गलत नहीं कर रहे हैं, क्योंकि गलत काम करवाना है, तो घूस देना पड़ेगा ही, लेकिन सही काम करवाने के लिए भी घूस देना या किसी प्रभावशाली व्यक्ति की पैरवी कराना भारतीय सरकारी दफ्तरों में आम बात है। यही नियम है और बिना किसी रिश्वत के अपना सही काम करवाना यहां अपवाद है और अपवादों की संख्या बहुत ही कम होती है।
यहां तो जन्मतिथि का प्रमाण पत्र लेने के लिए भी घूस देने पड़ते हैं। अपने नाम के दस्तखत को राजपत्रित अधिकारियों से अभिप्रमाणित कराने के लिए भी घूस देने पड़ते हैं। यदि अधिकारी ने किसी दस्तावेज पर दस्तखत कर दिया, तो उस दस्तखत के नीचे उसकी मुहर लगाने के लिए घूस देनी पड़ती है। कई सरकारी दफ्तर तो अब ऐसे हो गए हैं कि वहां प्रवेश करने के लिए भी गेट पर खड़े गार्ड को घूस देने की जरूरत पड़ जाती है। दफ्तर में जाने पर पता चलता है कि जिस कर्मचारी से मिलना है, वह छुट्टी पर है या दफ्तर से कुछ समय के लिए बाहर निकला हुआ है। मोबाइल फोन के जमाने में अब तो यह भी देखा जाता है कि कर्मचारी के सामने अपने काम के लिए कोई खड़ा है और कर्मचारी अपने मोबाइल फोन से किसी बाहरी व्यक्ति से लंबी बातचीत कर रहा ळें
यह दिल्ली की नहीं, बल्कि पूरे देश की समस्या है। दिल्ली में इस तरह की समस्या देश के अन्य हिस्सों से कम ही होगी। लेकिन इसे दूर करने के लिए अब केजरीवाल सरकार ने जो नया फैसला लिया है, वह बहुत ही क्रांतिकारी है। यह फैसला अनेक लोगों को अटपटा भी लग सकता है, क्योंकि बिना सरकारी दफ्तर का मुह देखे वहां की सेवाएं ले लेना और महज एक फोन करके अपना सारा काम करवा लेना एक सपना से ज्यादा कुछ नहीं लगता।
लेकिन केजरीवाल सरकार ने वह फैसला किया है, जो कोई सोच भी नहीं सकता। फैसला अच्छा है। इसका स्वागत किया जाएगा, लेकिन यह फैसला जितना क्रांतिकारी है, उसकी सफलता पर संदेश भी उतना ही उठ रहा है। इसका कारण है कि नौकरशाही अपने अधिकारों और अपनी सुविधाओं का आसानी से त्याग नहीं करेगी। यह फैसला अपने लिए जाने से पहले ही अनेक अड़चनों का सामना कर चुका है। नौकरशाह इसके पक्ष में नहीं थे। खुद उपराज्यपाल, जो एक पूर्व नौकरशाह हैं, इसके सख्त खिलाफ थे। इसके खिलाफ उन्होंने टिप्पणी की थी कि इसके कारण दिल्ली की सड़कों पर जाम की समस्या पैदा हो जाएगी, क्योंकि लोगों को सरकारी सेवाओं की होम डेलिवरी करने वाले हजारों या शायद लाख से भी ऊपर सरकारी सहायक सड़क पर होंगे।
उपराज्यपाल अनिल बैजल का वह तर्क हास्यास्पद था, क्योंकि सरकारी काम करवाने के लिए लाखों की संख्या में जो लोग घरांे से निकलते हैं, अब वे सड़क पर उस काम से नहीं निकलेंगे, बल्कि अपने घर पर सरकारी सहायक की प्रतीक्षा कर रहे होंगे।
बहरहाल फैसला हो चुका है। 10 सितंबर से इसकी शुरुआत भी हो जाएगी। इसमें अड़चनें भी आएंगी। एक अड़चन तो 1072 नंबर के फोन का काॅल सेेटर के कर्मचारी से मिल पाना ही होगा। दूसरी अड़चन आवेदन पत्र लेने के लिए घर आए सरकारी सहायकों के असहयोगी रवैये से भी हो सकता है। देखना है कि यह कितना सफल होता है। यदि यह दिल्ली मे सफल रहा, तो अन्य राज्य सरकारों पर भी इसे लागू करने का दबाव बढ़ेगा। हमें इसकी सफलता की कामना करनी चाहिए। (संवाद)
दिल्ली में सरकारी सेवाओं की होम डेलिवरी
भ्रष्टाचार पर अबतक का सबसे बड़ा हमला
उपेन्द्र प्रसाद - 2018-09-01 10:06
दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने एक क्रांतिकारी कदम उठाते हुए सरकारी सेवाओं की होम डेलिवरी करने का फैसला किया है। इसके तहत अब दिल्लीवासियों को सरकारी सेवा लेने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाते रहना तो दूर, उन्हें वहां जाना भी जरूरी नहीं होगा। बस 1072 नंबर के फोन को डायल करना होगा और काॅल सेंटर में फोन उठाने वाले कर्मी को यह बताना होगा कि उसे कौन सी सरकारी सेवा चाहिए। उसे सिर्फ यह बताना होगा कि उसे राशन कार्ड बनवाना है या जाति प्रमाण पत्र या आय प्रमाण पत्र।