अखिलेश यादव ने कहा था कि वह केंद्र से भाजपा सरकार को हटाने के लिए बसपा के साथ सीट समायोजन में कोई भी बलिदान देने को तैयार हैं। अब उन्हें बीजेपी के खिलाफ संयुक्त लड़ाई में विपक्षी दलों को शिवपाल की राजनीति के कारण होने वाले नुकसान पर विचार करना होगा।
भाजपा के साथ शिवपाल यादव के संबंधों को विवादास्पद सांसद अमर सिंह ने उजागर किया, जिन्होंने हाल ही में खुलासा किया कि उन्होंने बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं से शिवपाल की मुलाकात कराने की कोशिश की थी। अमर सिंह ने कहा कि उनके प्रयासों के बावजूद शिवपाल तय समय पर मिलने आने में विफल रहे।
लेकिन यह सर्वविदित है कि यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ उनकी कई बैठकें हुईं। शिवपाल ने योगी आदित्यनाथ सरकार के कामकाज की सार्वजनिक रूप से प्रशंसा की।
ऐसा माना जाता है कि शिवपाल जानबूझकर अखिलेश यादव के धर्मनिरपेक्ष गठजोड़ को कमजोर करने के लिए अपने संगठन का नाम समाजवादी सेक्युलर मोर्चा रख हैे। इसके अलावा, वह पूरे राज्य से समाजवादी पार्टी में सभी असंतुष्ट तत्वों को अपने साथ लाने के लिए भी काम कर रहे हैं।
महत्वपूर्ण बात यह है कि शिवपाल ने अपने बड़े भाई और पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव की सलाह पर ध्यान देने से इंकार कर दिया, जिन्होंने खुलेआम अपने बेटे अखिलेश यादव का समर्थन किया है। यद्यपि वह जोर दे रहे थे कि वह हमेशा अपने बड़े भाई के साथ रहेंगे, लेकिन उन्होंने अब कहा है कि वह अपने मोर्चा के साथ आगे बढ़ेंगे।
अपनी ताकत दिखाने के लिए, शिवपाल ने मुजफ्फरनगर के बुढाना में अपने मोर्चा की पहली बैठक आयोजित की। बैठक में कांग्रेस के प्रमुख नेता आचार्य प्रमोद कृष्णन ने भी भाग लिया था।
उस संवेदनशील जिले में बैठक को संबोधित करते हुए, जिसमें 2013 में बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक दंगें हुए थे, शिवपाल यादव ने घोषणा की कि वह पार्टी में एक वर्ष से अधिक समय तक हाशिए पर रहने से ऊब गए हैं। उन्होंने यह भी घोषणा की कि यूपी में उनके बिना कोई गठबंधन संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि वह छोटे दलों के संपर्क में हैं ताकि उन्हें अपने मोर्चा में लाया जा सके।
लगता है कि शिवपाल यादव ने फैसला किया है कि वह अखिलेश यादव और बीएसपी, आरएलडी और कांग्रेस के साथ उनके संभावित गठबंधन की संभावनाओं को नुकसान पहुंचाने के लिए किसी भी हद तक जाएंगे। उन्होंने यूपी में सभी 80 लोकसभा सीटों के लिए उम्मीदवारों को मैदान में रखने के अपने इरादे की घोषणा कर दी है। दिलचस्प बात यह है कि मुलायम सिंह यादव ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह कनौज से और अखिलेश मैनपुरी लोक सभा क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगे।
यह ध्यान देने योग्य है कि शिवपाल यादव और अखिलेश यादव के बीच संघर्ष 2017 के विधानसभा चुनावों से पहले सड़कों पर उभरा था और इससे चुनाव में समाजवादी पार्टी को चोट लगी थी। पार्टी ने पारिवारिक विवाद के लिए इतनी भारी कीमत चुकाई कि समाजवादी पार्टी न केवल सत्ता से हटा दी गई बल्कि कांग्रेस के साथ गठबंधन के बावजूद 50 से भी कम सीटों तक सीमित हो गईी।
समाजवादी सेक्युलर मोर्चा के गठन पर प्रतिक्रिया देते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा संभावित गठबंधन को नुकसान पहुंचाने के लिए इस पूरे अभियान के पीछे है। (संवाद)
अखिलेश ने शिवपाल की नई पार्टी के पीछे बीजेपी का हाथ बताया
एकमात्र उद्देश्य सेक्युलर गठबंधन को चोट पहुंचाना
प्रदीप कपूर - 2018-09-06 11:39
लखनऊः समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को चाचा शिवपाल यादव से खतरे का सामना करना पड़ रहा है, जो अब 2019 के आम चुनावों से पहले यादव और मुस्लिम वोटों को विभाजित करने के लिए काम कर रहे हैं।