बैठक में महसूस किया गया कि राफेल घोटाला सत्तारूढ़ पार्टी के लिए खतरनाक साबित हो रहा है और इसके कारण भाजपा को भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है। इसलिए मोदी सरकार अपने राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ राज्य मशीनरी का उपयोग कर उन्हें परेशान करने और आतंकित करने का काम कर रही है। आयकर विभाग चुन चुनकर विपक्षी पार्टियों के कार्यकर्ताओं एवं नेताओं पर छापेमारी कर रहा है। यह देश के अनेक इलाको में किया जा रहा है और इसके जद मे कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और तेलगू देशम के नेता हैं। आयकर विभाग ही नहीं, बल्कि प्रवत्र्तन निदेशालय भी छापामारी की घटनाओं को अंजाम दे रहा है। इन दलों का समर्थन करने वाले व्यापारियों और उद्यमियों को भी परेशान किया जा रहा है।

बैठक में महसूस किया गया कि मोदी सरकार जो हमारे सामाजिक और धर्मनिरपेक्ष ढांचे के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रही है, अपने कार्यकाल के अंतिम वर्ष में हमारी आर्थिक स्वतंत्रता को खत्म करने की ओर बढ़ रही है और वित्तीय व बैंकिंग प्रणाली को घ्वस्त करने में लगी हुई है। इसके साथ साथ यह आर्थिक विकास की संभावनाओ को भी धूमिल कर रही है।

सत्तारूढ़ दल भाजपा और इसका पैतृक संगठन आरएसएस अपनी गिरती हुई छवि के बदलाव के लिए ओवरटाइम काम कर रहे हैं। वेे मतदाताओं पर अपनी पकड़ बढ़ाने के लिए धन शक्ति का इस्तेमाल कर रहे हैं और सांप्रदायिक व जातिवादी ध्रुवीकरण को बढ़ाने का काम कर रहे हैं। इस ध्रुवीकरण को वे अपनी जीत के लिए आवश्यक मान रहे हैं। अर्थव्यवस्था का कुप्रबंधन, घरेलू व्यवसायों का विदेशी व्यवसायों के सामने आत्मसमर्पण, विशाल बैंक ऋणों को माफ करना, सत्तारूढ़ दल के नजदीक कुछ चयनित व्यावसायिक घरों में बढ़ावा देना और वैसा करते समय सरकारी सेक्टर की कंपनियों के हितों की अनदेखी कर देना मोदी सरकार की खास विशेषताएं हैं।

जैसे जैसे राफेल सौदे के घोटाले के विवरण सामने आ रहे हैं पारदर्शिता पर मोदी सरकार के लंबे दावों की पोल खुलती जा रही है। ‘ना खाऊंगा, ना खाने दूंगा’ के नारे खोखले साबित हो रहे हैं। राफेल के बाद हजारों करोड़ों रुपये से जुड़े एक और घोटाले सामने आए हैं। वह है इन्फ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज (आईएलएंडएफएस) घोटाला जो अगस्त में लघु उद्योग विकास बैंक (एसआईडीबीआई) द्वारा विस्तारित 1,000 करोड़ रुपये के अल्पकालिक ऋण पर डिफॉल्ट से शुरू हुआ। अब यह निजी वित्तीय समूह एक गंभीर नकद संकट में।

मोदी सरकार 2016 में फर्म के खिलाफ कार्रवाई करने और आगे बढ़ने में असफल रही, जब बैंक उधार देने में धीमी गति से चल रहे थे और आईएल एंड एफएस को दीर्घकालिक परिसंपत्तियों के निर्माण के लिए अपने ऋण की सेवा के लिए अल्पकालिक ऋण पर भरोसा करना पड़ा। आईएल एंड एफएस समूह का कुल कर्ज 91,000 करोड़ रुपये है। ये सभी सौदों संदिग्ध प्रो-कॉरपोरेट और एंटी-पब्लिक सेक्टर की भूमिका मोदी सरकार की देन है।

चूंकि अर्थव्यवस्था नव-उदार आर्थिक नीतियों की विफलताओं के कारण डूब रही है, जो कमजारे होती अमेरिकी अर्थव्यवस्था के साथ राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं को एकीकृत करती है। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय मुद्रा के मूल्य का अभूतपूर्व गिरावट दर्ज की जा रही है। एक डॉलर का अब 74 रुपया हो गया है। हमारी अर्थव्यवस्था मोदी शासन द्वारा एक वेंटिलेटर पर धकेल दी गई है।

आगामी चुनावों में सीपीआई की राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने बीजेपी और उसके सहयोगियों की हार सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रकार के प्रयास करने का फैसला किया। बैठक में कहा गया है कि लोग राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के सभी तीन राज्यों में राष्ट्र-विरोधी, विभाजनकारी और सांप्रदायिक बीजेपी सरकारों को फेंकने के लिए दृढ़ संकल्प हैं। इन राज्यों में अगर विपक्ष एकजुट हो गया होता, तो भाजपा की हार बहुत आसान हा जाती।

तेलंगाना की स्थिति अलग है जहां मुख्य प्रतिद्वंद्वी के चंद्रशेखर राव के नेतृत्व में टीआरएस सरकार है। यहां सीपीआई, टीडीपी, टीजेएस और कांग्रेस एक साथ लड़ने की योजना बना रही हैं, हालांकि सीट बंटबारे को इन पंक्तियों के लिखे जाने तक अंतिम रूप दिया जाना बाकी है।

केंद्र में हताश मोदी सरकार विपक्षी दलों की एकता को कम करने के लिए सभी प्रकार के दबाव डाल रही है। सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करके विपक्षी उम्मीदवारों को सभी संदिग्ध साधनों के माध्यम से चुनाव लड़ने से रोकने के लिए झूठे मामलों में फंसाया जा रहा है। (संवाद)