वर्ष 2013 के विधानसभा चुनावो में भाजपा ने राजस्थान में बहुत बड़ी सफलता हासिल कर चुनाव का एक नया इतिहास बनाया था। उस चुनाव में भाजपा को 163 सीटो पर जीत मिली थी जो अपने आप में एक रिकार्ड था। उससे पूर्व इतनी सीटो पर राजस्थान में कोई पार्टी नहीं जीत सकी थी। 2013 के चुनाव में भाजपा को प्रदेश में कुल एक करोड़ 39 लाख 39 हजार 203 वोट मिले थे जो कुल मतदान का 45.2 प्रतिशत था। भाजपा ने2008 की तुलना में 10.9 प्रतिशत वोटो की बढ़ोत्तरी की थी। वहीं कांग्रेस को अब तक की सबसे कम मात्र 21 सीटे ही मिल पायी थी। कांग्रेस को एक करोड़ दो लाख चार हजार 694 वोट मिले थे जो कुल मतदान का33.1 प्रतिशत थे। कांग्रेस के वोटो में 2008 की तुलना में 3.7 प्रतिशत की कमी आयी थी जिस कारण कांग्रेस को सीधे 75 सीटो का घाटा उठाना पड़ा था।

दिसम्बर माह में होने वाले चुनावो में भाजपा का पूरा जोर सत्ताविरोधी माहौल को कम करने पर है। टिकट वितरण से पूर्व भाजपा नेता जम कर मेहनत कर रहे हैं। भाजपा केन्द्रीय नेतृत्व ने राष्ट्रीय व प्रादेशिक स्तर के 25 नेताओ को प्रदेश के सभी 33 जिलो में जाकर ग्राउण्ड रिपोर्ट तैयार करने की जिम्मेदारी दी थी जिसे वे नेता पूरी कर चुके हैं। सभी 25 वरिष्ठ नेताओं ने अपने - अपने प्रभार वाले जिलो में जाकर कार्यकर्ताओ व आम मतदाताओं से रूबरू मिलकर संभावित प्रत्याशियों के बारे में राय जान चुके हैं। इन वरिष्ठ नेताओं द्वारा लिये गये फीडबैक पर जयपुर में बैठकर चर्चा कर अन्तिम सूची तैयार कर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को सौपेंगें।

प्रदेश में भाजपा ने काफी पहले से विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। पार्टी संगठन से जुड़े हर छोटा-बड़ा पदाधिकारी व हर विधानसभा क्षेत्र में लगाये गये विधानसभा विस्तारक बूथ लेबल पर पहुंच कर पार्टी कार्यकताओं को सक्रिय करने में जुटे हुये हैं। भाजपा के बूथ प्रभारियों के साथ-साथ पन्ना प्रभारी व अद्र्व पन्ना प्रभारियों से संगठन के बड़े नेता निरन्तर सम्पर्क में रह कर उनका मनोबल बढ़ा रहें हैं। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कार्यकर्ता भी प्रदेश में पूरी तरह से सक्रिय है तथा वे अपनी टीम के साथ भाजपा को जिताने के लिये मैदान में उतर चुके हैं।

भाजपा नेताओं का मानना है कि प्रदेश में पिछले पांच सालों में विकास के खूब काम हुये हैं। जिसका आमजन को काफी लाभ मिला है। इसी लिये भाजपा के कार्यकर्ता केन्द्र व राज्य की योजनाओं से लाभान्वित हुये लोगों से सम्पर्क कर उनको भाजपा के पक्ष में मतदान करने को प्रेरित कर रहे हैं। राजस्थान सरकार में शामिल किसी भी सदस्य पर भ्रष्टाचार के या अन्य कोई आरोप नहीं लगे हैं। जबकि पूर्ववर्ती कांग्रेस की सरकार के कई मंत्रियों को विभिन्न आरोपो में जेल की हवा खानी पड़ी थी। उस समय के कई आरोपी नेता तो अभी तक जेलो में बन्द पड़े हैं। पांच साल के कार्यकाल में सरकार की छवी का बेदाग होना भाजपा के लिये संजीवनी साबित हो रहा है। कुछ माह पूर्व अलवर व अजमेर लोकसभा सीटो पर हुये उपचुनावो में हार के बाद भाजपा ने जमीनी स्तर पर जम कर काम किया। जिससे पार्टी की स्थिति में जबरदस्त सुधार हुआ है।

मुख्यमंत्री राजे द्वारा प्रदेश भर में निकाली गयी गौरव यात्रा के समापन पर अजमेर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सफल रैली, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के कई दिनो तक प्रदेश भर में किये गये दौरे व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे द्वारा पूरे प्रदेश में निकाली गयी गौरव यात्रा से पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल मजबूत बहुत हुआ है। भाजपा ने अपने नेताओं की आपसी गुटबाजी पर भी काफी हद तक नियंत्रण पा लिया है। भाजपा मुख्यमंत्री राजे को ही बहुमत मिलने पर फिर से मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित कर चुनाव लड़ रही है जबकि कांग्रेस में सरकार बनने पर मुख्यमंत्री बनने की लड़ाई अभी से देखने को मिल रही है। कांग्रेस ने अपने किसी भी नेता को संभावित मुख्यमंत्री का दावेदार घोषित नहीं किया है। उपर से कांग्रेस के राजस्थान के सह प्रभारी चार राष्ट्रीय सचिवों को भ्रष्टाचार के आरोपो के चलते हटाने से कांग्रेस बैकफुट पर आ गयी है। उपर से कांग्रेस नेताओं को अपने चार राष्ट्रीय सचिवो को चुनावी प्रक्रिया के दौरान प्रभारी पद से हटाने को लेकर सफाई देनी पड़ रही है।

बसपा राजस्थान में अकेले चुनाव लड़ रही है। निर्दलिय विधायक हनुमान बेनीवाल ने हाल ही में एक नई पार्टी का गठन कर चुनाव मैदान में उतरे हैं। हनुमान बेनीवाल का जाट बहुल क्षेत्र में ज्यादा प्रभाव होने से कांग्रेस को जाट वाटो का नुकसान उठाना पड़ सकता है जिसका भाजपा को ही लाभ मिलता नजर आ रहा है। बसपा को 2013 के चुनाव में 10 लाख 41 हजार 241 वोट व तीन सीटे मिली थी। गत चुनाव में बसपा को मिले 3.4प्रतिशत मत कांग्रेस खाते से ही निकले थे जिस कारण कांग्रेस की भारी दुर्गती हुयी थी। 2013 के चुनाव में चार सीट व 4.3 प्रतिशत मत प्राप्त करने वाले नेशनल पीपुल्स पार्टी के प्रमुख डा.किरोड़ीलाल मीणा अपनी पार्टी का भाजपा में विलय कर चुके हैं। बदले में भाजपा ने डा.किरोड़ीलाल मीणा को राज्यसभा सदस्य बनवा दिया है। डा.किरोड़ीलाल मीणा के भाजपा में आने से पार्टी को डा.किरोड़ीलाल मीणा के प्रभाव क्षेत्र वाली 20-25 सीटो पर लाभ मिलेगा।

राजस्थान में कांग्रेस का किसी अन्य भाजपा विरोधी पार्टी से गठबंधन नहीं होने का लाभ भाजपा को ही मिलना तय है, क्योंकि इससे भाजपा विरोधी मत एकजुट नहीं हो पायेगें। कम्युनिस्ट पार्टियां भी कई सीटो पर कांग्रेस के लिये वोट कटवा ही साबित होगी। प्रदेश में कुछ सीटो पर वामपंथियो का अच्छा प्रभाव है।

भाजपा के कई बड़े राजपूत नेता पार्टी छोडकर कांग्रेस में शामिल हो गये हैं। जिससे भाजपा को नुकसान की आशंका व्यक्त की जा रही है। भाजपा ने पार्टी में नाराज चल रहे कुछ राजपूत नेताओं को मनाने का अन्दरखाने प्रयास शुरू कर दिया है, ताकि होने वाले नुक्षान को रोका जा सके। हालांकि राजपूत समुदाय को सबसे ज्यादा टिकट भाजपा ही देती रही है, इस कारण आखिर में राजपूत समुदाय का झुकाव भाजपा की तरफ होने की अधिक सम्भावना नजर आ रही है। सवाल यह है कि क्या भाजपा इतिहास को दुहराए जाने से रोक पाएगी? (संवाद)