इस बीच, कांग्रेस ने एक दस्तावेज जारी किया है जिसे उसने इसे घोषणापत्र के बजाय ‘वचन पत्र’ कहा है। पार्टी ने सरकारी स्कूलों, कॉलेजों और अन्य संस्थानों में आरएसएस शाखा लगाने पर प्रतिबंध लगाने का वादा किया है। इसपर बीजेपी से कड़ी प्रतिक्रिया दी है। इसके नेताओं ने जोर देकर कहा कि किसी भी परिस्थिति में कांग्रेस को इस प्रतिबंध को लागू करने की इजाजत नहीं दी जाएगी। कांग्रेस ने यह भी घोषणा की है कि वह बीजेपी सरकार के उस आदेश को रद्द कर देगा जिसमें सरकारी कर्मचारियों को आरएसएस की गतिविधियों में भाग लेने की इजाजत दी गई है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान ने 2006 में सरकारी कर्मचारियों पर लगा वह प्रतिबंध हटा दिया था।
कांग्रेस के वादे पर टिप्पणी करते हुए बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पत्रा ने कहा कि विपक्षी दल की केवल एक प्राथमिकता है। कांग्रेस के पास केवल एक आदर्श वाक्य है - मंदिर नहीं बनने देंगे, शाखा नही चलने देंगे।
उन्होंने आगे कहा, ‘कांग्रेस नेता नक्सलियों के साथ सहानुभूति रखते हैं लेकिन आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने की बात करते हैं।’
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह ने कांग्रेस को आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने की चुनौती दी। रविवार को मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि कांग्रेस कभी भी देश को विभाजित करने वाली ताकतों के साथ खड़े होने में हिचकिचाहट नहीं करती है। यह जेएनयू के ‘टुकड़े- टुकड़े’ गिरोह के साथ खड़ा था। कांग्रेस के इरादे को इसके घोषणापत्र से स्पष्ट रूप से समझा जा सकता है। सिंह ने कहा कि आरएसएस को पहले भी प्रतिबंधित करने का प्रयास किया गया था, लेकिन सभी प्रयास विफल रहे।
केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भी कांग्रेस की खिंचाई की और कहा कि पार्टी ने अब खुद को हिंदू से सहानुभूति रखने वाले के रूप में चित्रित करना शुरू कर दिया है, लेकिन दुर्भाग्य से यह आरएसएस जैसे सामाजिक-सांस्कृतिक संगठन पर प्रतिबंध लगाने की भी बात करता है।
इस मुद्दे पर कांग्रेस का रक्षात्मक दृष्टिकोण राज्य अध्यक्ष कमलनाथ के बयान से समझा जा सकता है। उन्होंने कहा कि भाजपा घोषणापत्र के एक बिंदु को आधारित भ्रम फैल रही है कि कांग्रेस आरएसएस पर प्रतिबंध लगाएगी, जो वास्तव में सच नहीं है। कमलनाथ ने कहा कि भाजपा जानबूझ कर अपने स्वामी (आरएसएस) को खुश करने के लिए ऐसा कर रही है।
जिस बिंदु का कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में उल्लेख किया है वह संविधान के दायरे में है और मुख्य मंत्री बाबूलाल गौर और उमा भारती के कार्यकाल के दौरान भी वही व्यवस्था थी, नाथ ने कहा। कांग्रेस प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि आरएसएस अब एक सांस्कृतिक संगठन नहीं है, बल्कि एक राजनीतिक संगठन है। नरेंद्र मोदी समेत भाजपा के अधिकांश वरिष्ठ नेता आरएसएस से आते हैं और अब सरकार में महत्वपूर्ण निर्णय ले रहे हैं। इसके अलावा, आरएसएस एक पंजीकृत संगठन नहीं है। सरकारी कर्मचारियों को एक अनियंत्रित राजनीतिक संगठन के कार्यक्रमों में भाग लेने की अनुमति नहीं दी जा सकती। (सवांद)
भाजपा और कांग्रेस विद्रोही उम्मीदवारों से परेशान
आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने के वचन पर हंगामा
एल एस हरदेनिया - 2018-11-13 11:34
भोपालः कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने अपने विद्रोही उम्मीदवारों के मैदान में आ जाने से परेशान हैं। विद्रोही उम्मीदवारों को नामांकन वापसी के लिए उनके द्वारा की जा रही कोशिशों को बहुत सफलता नहीं मिल पा रही है।