लेकिन गत एक सप्ताह में टिकट वितरण के वक्त कांग्रेस में मचे घमासान ने आम वोटर को निराश ही किया है। टिकट वितरण से पूर्व कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद के दावेदार अशोक गहलोत, सचिन पायलेट व रामेश्वर डूडी के बीच हुये झगड़े से सभी को पता चल गया कि कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। मुख्यमंत्री बनने के चक्कर में पार्टी के बड़े नेता अपने अधिकाधिक समर्थको को टिकट दिलाना चाह रहे थे। बीकानेर से पहले बीडी कल्ला का टिकट कटना फिर मिलना व उनके स्थान पर कन्हैयालाल झंवर की टिकट कटने को लेकर जो हंगामा हुआ वैसा पूर्व में कभी नहीं हुआ था। कल्ला समर्थको ने तो रेल तक रोक कर विरोध प्रदर्शन किया था।

बीकानेर से कन्हैयालाल झंवर के टिकट कटने पर नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी द्वारा स्वयं के भी चुनाव नहीं लडने की घोषणा ने पार्टी के आलाकमान को हिला कर रख दिया। अन्तिम क्षणो में आनन-फानन में दिल्ली में कांग्रेस कोर कमेटी की बैठक बुला कर कन्हैयालाल झंवर को यशपाल गहलोत के स्थान पर टिकट दिया गया। यशपाल गहलोत की टिकट कटने से उसके समर्थको ने रातभर बीकानेर की सडको पर जम कर उत्पात किया।

टिकट वितरण से पहले राहुल गांधी ने राजस्थान की अपनी हर सभा में इस बात पर जोर दिया था कि पैराशूट से आये लोगों को किसी भी स्थिति में टिकट नहीं दिया जायेगा। लेकिन टिकट वितरण में राहुल गांधी के पैमाने टूटते गये व दलबदलूओं को खूब टिकट बांटे गये। टिकट वितरण से एक घंटा पहले दिल्ली के एक होटल में कांग्रेस में शामिल हुये कन्हैयालाल झंवर को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बीडी कल्ला के स्थान पर टिकट दे दिया गया। एक दिन पहले ही कांग्रेस में शामिल हुये दौसा से भाजपा सांसद हरीश मीणा, नागौर से भाजपा विधायक हबीबुर्ररहमान, जमीदारा पार्टी की विधायक शिमला बावरी, शिव से भाजपा विधायक मानवेन्द्र सिंह जसौल, दलबदलू छवि के नेता डा. हरिसिंह के पुत्र विद्याधर चैधरी को टिकट दिया गया।

टिकट वितरण करते समय कांग्रेस ने लगातार दो बार चुनाव हारने वालों को व पिछले चुनाव में बड़े अन्तर से हारने वालों को प्रत्याशी नहीं बनाने की नीति बनायी थी। मगर टिकट वितरण के वक्त इस नीति को चूर-चूर कर दिया गया। कांग्रेस ने कोटा जिले के लाडपुरा सीट पर लगातार दो बार हार चुके नईमुद्दीन गुड्डू की पत्नी गुलनजर, डेगाना से रिछपाल मिर्धा के बेटे विजयपाल मिर्धा, कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव जुबेर खान के स्थान पर उनकी पत्नी सोफिया को अलवर जिले के राजगढ़ से, शेरगढ़ से उम्मेद सिंह के दो बार हार जाने पर उनके स्थान पर उनकी पत्नी मीनाकंवर को, जयपुर जिले के झोटवाड़ा से 2008 में खुद व 2013 में उनके परिवार की रेखा कटारिया की हार जाने के बावजूद इस बार फिर लालचन्द कटारिया को व दो बार हारे बीडी कल्ला को दबाव के चलते टिकट देकर पार्टी ने अपनी बनायी नीति को तोड़ दिया। वहीं बड़े अन्तर से हारने वालो में दुर्रू मियां को तिजारा से, अर्चना शर्मा को मालवीय नगर से फिर टिकट दिया गया है।

वहीं लगातार दो बार हारने पर पूर्व मुख्यमंत्री व कई राज्यों में राज्यपाल रहे जगन्नाथ पहाडिया के पुत्र संजय पहाडिया का, पूर्व उपमुख्यमंत्री व पूर्व राज्यपाल कमला के पुत्र आलोक का, पूर्व केन्द्रीय मंत्री महादेवसिंह खण्डेला का, राष्ट्रीय महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष ममता शर्मा का, पूर्व मंत्री बीना काक, पूर्व विधायक चन्द्रशेखर बैद का टिकट काट दिया गया। प्रदेश के पूर्व मंत्री बृजकिशोर शर्मा का टिकट काट कर उनके स्थान पर 2014 में कई लाख वोटो के अन्तर से लोकसभा चुनाव हार चुके महेश जोशी को प्रत्याशी बनाया गया है।

अब ऐसा लगने लगा है कि कांग्रेस भाजपा के खिलाफ उपज रहे सत्ताविरोधी माहोल का ज्यादा लाभ नहीं ले पायेगी। राजपूत समाज में भाजपा के विरूद्व नाराजगी को कांग्रेस भुनाने में पूर्णतया असफल रही है। कांग्रेस ने राजपूतो को ज्यादा टिकट नहीं दिये हैं। कांग्रेस पार्टी ने राजपूत समाज को मात्र 13 टिकट ही दिये वहीं भाजपा ने 26 टिकट दिये हैं। कांग्रेस ने मानवेन्द्र सिंह को शामिल कर भाजपा को झटका दिया था वहीं भाजपा ने कोटा के पूर्व महाराजा के पुत्र व कांग्रेस के पूर्व सांसद रहे इजयराज सिंह व उनकी पत्नी को पार्टी में शामिल कर कांग्रेस को तगड़ा झटका दिया है। इतना ही नहीं भाजपा ने इजयराज सिंह की पत्नी कल्पना सिंह को लाडपुरा से टिकट भी देकर चुनाव भी लड़वा रही है। वहीं कांग्रेस का बड़ा ब्राम्हण चेहरा रही ममता शर्मा भी भाजपा में शामिल होकर कोटा जिले की पीपल्दा सीट से चुनाव लड़ रही है। पाली में कांग्रेस के बड़े नेता व सीरवी समाज के धर्मगुरू माधोसिंह दीवान भी भाजपा में शामिल हो चुके हैं। दीवान पांच बार विधायक रहें हैं तथा शिवचरण माथुर व अशोक गहलोत सरकार में मंत्री रह चुके हैं। उनके धर्म के करीबन आठ सौ मठ है जिनपर उनका पूरा प्रभाव हैं।

प्रदेश में कांग्रेस के कई बड़े नेता निर्दलिय व अन्य दलो से चुनाव लड़ रहे हैं, जिसका सीधा खामियाजा कांग्रेस को ही उठाना पड़ेगा। कांग्रेस ने अपने दोनो मौजूदा सांसद डा. रघु शर्मा, डा. कर्णसिंह यादव पूर्व सांसद व प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलेट, डा. सीपी जोशी, डा. गिरजा व्यास, महेश जोशी, हरीश चैधरी, लालचन्द कटारिया, रघुवीर मीणा और नरेन्द्र बुडानिया को मैदान में उतारा है। जबकि पूर्व में बोला गया था कि पार्टी का कोई भी बड़ा नेता विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेगा ताकि आपसी खींचतान नहीं होने पाये। लेकिन कांग्रेस के सभी बड़े नेता चुनाव लड़ रहें हैं। कांग्रेस ने कुछ सीटे गठबंधन के नाम छोड़ी है जिसका भी घाटा कांग्रेस को उठाना पड़ेगा। (संवाद)