आज कांग्रेस जब राज्य में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए बसपा और सपा की चुनौतियों का सामना कर रही है, ठीक उसी समय प्रदेश नेतृत्व को कांग्रेस आलाकमान द्वारा कमजोर किए जाने से पार्टी की सारी कोशिशों पर पानी फिर सकता है।

काग्रेस आलाकमान ने अभी हाल ही में रीता बहुगुणा द्वारा नियुक्त 5 प्रकोष्ठों के प्रमुखों का उनके पदों से हटा दिया है। उनकी नियुक्ति कुछ दिन पहले ही की गई थी। नियुक्ति के बाद रीता बहुगुणा ने दावा किया था कि उनकी नियुक्ति के पहले कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की सहमति ले ली गई है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री मोइद अहमद को अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ का प्रमुख बनाया गया था। सिद गोपाल साहू पिछड़ा वर्ग सेल के अध्यक्ष बने थे। रामकृष्ण को अनुसूचित जाति सेल के अध्यक्ष पद पर बैठाया गया था। अनुसूया शर्मा श्रमिक प्रकोष्ठ की अध्यक्षा बनी थीं।

इन लोगों को तो हटाया ही गया, इसके साथ की कांग्रेस के आलाकमान ने प्रदेश अध्यक्ष को आदेश दिया कि मारूफ खान को अल्पसंक्ष्यक सेल का और विनाद चौधरी को पिछड़ा वर्ग सेल का पहले की तरह अध्यक्ष के रूप में काम करने दिया जाय।

पांचों प्रकोष्ठों के प्रमुखों को हटा दिए जाने के बाद प्रदेश कांग्रेस कमिटी में अनिश्चय का माहैल बन गया है। उसे लग रहा है कि आने वाले दिनों में और भी फेरबदल किए जा सकते हैं।

मारूफ खान और विनोद चौधरी जैसे नेता रीता बहुगुणा के आदेशों को मानने से लगातार इनकार करे थे। उन्होंने उनको समय समय पद चुनौती देने का काम भी किया था। आलाकमान द्वारा अपने पक्ष में आदेश लाकर उन्होंने रीता बहुगुणा को ऐ और झटका दिया है।

पहले सक ही रीता बहुगुणा पार्टी के अपने विरोधियों से जूझ रही हैं। प्रमोद तिवारी व कुछ अन्य कांग्रेस नेता उन्हें प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष पद से हटाने के लिए लगातार कोशिश कर रहे हैं। वे अपनी कोशिशों में सफल भी हो जाते, लेकिन रीता के घर पर हुए हमले के बाद बने माहौल ने उन्हें कांग्रेस का अध्यक्ष पद पर बने रहने में सहायता दी है।

रीता बहुगुणा ने कांग्रेस का प्रदेश भर में गतिशील कर रखा है। उन्होने आंदोलन के दौरान गिरफ्तारी दी। कुछ दिन पहले उन्होंने महिलाओं पर हो रहे अत्याचार के मसले पर भी आंदोलन किया था। उस आंदोलन के बाद राज्यपाल बीएल जोशी ने मायावती सरकार से कैफियत तलब की थी।

राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि कांग्रेस आलाकमान ने राज्य कमिटी के कामों में हस्तक्षेप जारी रखाए तो पार्टी के मिशन 2012 को भारी नुकसान होगा और राज्स में सत्ता में आने का उसका सपना पूार नहीं होगा। (संवाद)