जैसा कि हम जानते हैं कि आम तौर पर यह कहा जाता है कि संविधान के निर्माता डाॅक्टर भीमराव अम्बेडकर हैं। यह कोई नई मान्यता नहीं है। संविधान के निर्माण के बाद से ही ऐसा कहा जाता रहा है और इधर कुछ वर्षों में ऐसा कहने की प्रवृत्ति बहुत तेज हुई है। हालांकि सच यह भी है कि डाॅक्टर अम्बेडकर अपने को संविधान का निर्माता कभी नहीं मानते थे। कोई उन्हें ऐसा कहता था, तो उन्हें गुस्सा आता था और उन्हें शायद यह भी लगता था कि उन्हें गाली दिया जा रहा है।
राज्य सभा का वाकया है। राज्यपाल के अधिकारों को लेकर बहस चल रही थी। भीमराव अम्बेडकर बोल रहे थे। वे राज्यपालों को शक्ति नहीं देने के कारण संविधान की आलोचना कर रहे थे। उन्हें याद दिलाया गया कि संविधान के निर्माता वही हैं। तो उन्होंने कहा कि मैं संविधान का निर्माता नहीं हूं। मैं वहां भाड़ा मजदूरी कर रहा था। मुझसे जो करने को कहा जाता था, मैं अपनी इच्छा के खिलाफ जाकर करता था। राज्य सभा के एक सदस्य ने अंबेडकर को कहा कि आप ही तो संविधान को बहुत डिफेंड किया करते थे, तो उन्होंने कहा कि मैं एक वकील हूं और वकील बहुत चीजों को डिफेंड करते हैं, लेकिन मैं यह स्पष्ट कर दूं कि यह संविधान मेरा बनाया हुआ नहीं है। इसे जलाने वाला मैं पहला व्यक्ति होऊंगा।
डाॅक्टर भीमराव अम्बेडकर के यह विचार राज्यसभा की कार्यवाही में अभी भी दर्ज है। यह बात उन्होंने 2 सितंबर, 1953 को कही थी। यानी वे इस बात को लेकर बहुत स्पष्ट थे कि संविधान उनका बनाया हुआ नहीं है और वे संविधान निर्माता नहीं हैं। संविधान निर्माता कहे जाने पर वे इतना भड़क गए कि उसे जलाने की बात कहने लगे।
फिर भी हमारे देश में अम्बेडकर को संविधान निर्माता कहना एक फैशन हो गया है। राजनैतिक पार्टियों के नेता इस बात को सबसे ज्यादा फैलाते हैं। उन्हें दलितों का वोट लेना होता है और उन्हें लुभाने के लिए वे इस तरह का बयान देने मे ंएक दूसरे से प्रतिस्पर्धा करते हैं। जैसे जैसे सांसदों और अन्य राजनीतिज्ञों की शिक्षा का स्तर गिरता जा रहा है, वैसे वैसे वे लोग एक दूसरे से बढ़चढ़कर इस बात को फैलाते हैं कि संविधान का निर्माण भीमराव अम्बेडकर ने ही किया है। जबकि सच्चाई वह है, जो खुद बाबा साहेब 2 सितंबर, 1953 को राज्य सभा में दिए अपने भाषण में कह रहे थे।
लेकिन सोशल मीडिया पर राजेन्द्र प्रसाद को संविधान निर्माता में प्रचारित कर संविधान चर्चा को एक दूसरी दिशा देने की कोशिश की जा रही है। अम्बेडकर ड्राॅफ्टिंग कमिटी के सदस्य थे। संविधान सभा ने अनेक कमिटियां बनाई थीं, उनमें से यह कमिटी एक थी। इस कमिटी का काम था अलग अलग कमिटियों की सिफारिशों को जोड़कर एक ड्राफ्ट तैयार करना। कमिटी के सदस्य अपनी मर्जी से ड्राफ्ट नहीं तैयार कर सकते थे। जो सिफारिशें अन्य कमिटियां कर रही थीं, उन्हीं का संकलन करना था।
हालांकि ड्राफ्टिंग कमिटी बनने के पहले भी संविधान का एक ड्राफ्ट तैयार हो चुका था। उसे तैयार किया था बी एन राव ने। वे संविधान सभा के सलाहकार थे। यानी संविधान का पहला ड्राफ्ट भीमराव अम्बेडकर की अध्यक्षता वाली कमिटी ने बनाया ही नहीं था, बल्कि उसे वह बना बनाया मिला था और उसे बी एन राव ने बनाया। उस कच्चे ड्राफ्ट को ही समितियों की सिफारिशों को के साथ मिलाकर बेहतर बनाने का काम उस ड्राफ्ट कमिटी का था, जिसके चेयरमैन बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर थे। उनके अलावा उसमें अन्य सदस्य भी थे।
उस ड्राफ्ट को संविधानसभा में पेश किया गया और अलग अलग धाराओं पर संविधान सभा में बहस हुई। संशोधन प्रस्ताव पेश किए गए। कुछ संशोधन पास हुए और कुछ विफल उन संशोधनों के मद्दे नजर संविधान का अंतिम ड्राफ्ट तैयार हुआ। यह एक महत्वपूर्ण काम था, लेकिन इसमें ड्राफ्टिंग कमिटी के अध्यक्ष या अन्य सदस्यों को यह सुविधा प्राप्त नहीं थी कि वे अपनी इच्छा और मर्जी के मुताबिक संविधान के किसी प्रावधान में बदलाव या संशोधन कर दें या उसमें कोई जोड़ या घटाव कर दें। कमिटी के सदस्यों और उसके चेयरमैन का काम उन सब प्रावधानों और प्रस्तावों को संकलित करना था, जिन्हें संविधान सभा ने स्वीकार किया हुआ था।
जाहिर है, ड्राफ्टिंग कमिटी को हम संविधान निर्माता नहीं कह सकते और न ही इसके चेयरमैन को संविधान निर्माता कहा जा सकता है। लेकिन संविधान लागू होने के बाद ही अम्बेडकर को संविधान निर्माता की उपाधि दी जाने लगी, जिस पर खुद अम्बेडकर को एतराज था। लेकिन उस समय की राजनैतिक स्थितियों के कारण शायद वैसा कहा जा रहा था। वे स्थितियां क्या थीं और राजनीतिज्ञों के सामने क्या विवशताएं थीं कि उन्होंने अम्बेडकर को संविधान निर्माता कहा, यह शोध का विषय है।
दूसरी तरह डाॅक्टर राजेन्द्र प्रसाद संविधान सभा के प्रेसिडंेट थे। संविधान सभा के अंतरिम प्रेसिडेंट सच्चिदानंद सिन्हा थे, जिनकी उम्र बहुत ज्यादा हो गई थी। उनकी अध्यक्षता में संविधान सभा के सत्र की शुरुआत हुई थी। अध्यक्ष निर्वाचित होने के बाद वह काम राजेन्द्र प्रसाद ने संभाल लिया। उनके नेतृत्व में ही संविधान सभा ने संविधान का निर्माण किया। इसलिए सच तो यह है कि संविधान सभा का निर्माण संविधान सभा ने किया है और यदि इसका श्रेय किसी एक व्यक्ति को दिया जाय, तो वह व्यक्ति डाॅक्टर राजेन्द्र प्रसाद ही हो सकते हैं, क्योंकि वे संविधान सभा के अध्यक्ष थे। (संवाद)
कौन हैं भारतीय संविधान के निर्माताः भीमराव अम्बेडकर या राजेन्द्र प्रसाद?
उपेन्द्र प्रसाद - 2018-12-11 19:45
पिछले तीन दिसंबर को भारत के पहले राष्ट्रपति संविधान सभा के अध्यक्ष डाॅक्टर राजेन्द्र प्रसाद की जयंती मनाई गई। उस दिन सोशल मीडिया पर यह चर्चा जोरों पर रही कि भारत के संविधान निर्माता देश रत्न डाॅक्टर राजेन्द्र प्रसाद थे, क्योंकि संविधान का निर्माण जिस संविधान सभा ने किया था, उसके अध्यक्ष डाॅक्टर प्रसाद ही थे। और जिस व्यक्ति ने संविधान के निर्माण का नेतृत्व किया हो, उसी व्यक्ति को हम संविधान निर्माता कह सकते हैं किसी और को नहीं।