दरअसल भले ही महिला टी-20 की कप्तान हरमनप्रीत तथा कुछ अन्य खिलाड़ी पोवार के काम से संतुष्ट थी और पोवार को पुनः टीम की कमान सौंपे जाने की मांग करते हुए खुलकर पोवार के समर्थन में उतर आई हैं किन्तु मिताली राज जैसी वरिष्ठ खिलाड़ी द्वारा कड़ी नाराजगी प्रकट करने के बाद बीसीसीआई समझ चुका था कि प्रशिक्षक पोवार के कार्यकाल को पुनः बढ़ाने का सीधा सा अर्थ होगा टीम के अंदर पनप रही खिलाड़ियों की आपसी रंजिश को हवा देना। पोवार से पहले तुषार अरोठे को भी विवाद के चलते बाहर किया गया था।

मिताली और पोवार के बीच जिस प्रकार के आरोप-प्रत्यारोपों का सिलसिला चला, उससे हैरत हुई यह देखकर कि कुछ समय से बुलंदियां छू रही महिला क्रिकेट में भी यह सब हो रहा है। इस प्रकरण ने करीब 12 साल पुराने सौरव गांगुली और उस दौरान टीम इंडिया के कोच रहे ग्रेग चैपल के ऐसे ही उस प्रकरण की यादें ताजा करा दी, जिसने भारतीय क्रिकेट जगत को बुरी झकझोर दिया था। संभवतः यही वजह रही कि गांगुली मिताली को सेमीफाइनल में टीम से बाहर किए जाने के कोच पोवार के फैसले पर व्यंग्यात्मक टिप्पणी करने से नहीं चूंके। गांगुली ने कहा कि जब वे भी अपने कैरियर के चरम पर थे, तब उन्हें भी इसी तरह बाहर किया गया था और डगआउट में बैठना पड़ा था। मिताली को लेकर गांगुली का कहना था कि उसके लिए रास्ते बंद नहीं हुए हैं।

पिछले ही साल भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने इंग्लैंड में एकदिवसीय विश्वकप के फाइनल में पहुंचकर नया इतिहास बनाया था, जिसके बाद इस टीम का देशभर में भव्य स्वागत हुआ था और सरकार द्वारा महिला खिलािड़यों को कई तरह की सुविधाएं भी दी गई थी। मिताली की कप्तानी वाली टीम ने आईसीसी महिला विश्व कप 2017 में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए करोड़ों भारतीयों का दिल जीत लिया था। तब लगने लगा था कि यह टीम महिला क्रिकेट में नया स्वर्णिम इतिहास रच रही है लेकिन जिस प्रकार पिछले दिनों वेस्टइंडीज में हुए 20-20 विश्व कप में महिला खिलाड़ियों में व्यापक गुटबाजी देखी गई और जिस तरह के विवाद खड़े हुए, उसने भारतीय महिला क्रिकेट की साख को काफी नुकसान पहुंचाया है। इंग्लैंड के खिलाफ टी-20 विश्व कप के सेमीफाइनल से बाहर रखे जाने पर चुप्पी तोड़ते हुए जब मिताली ने बीसीसीआई को लिखे लंबे ई-मेल में कोच रमेश पोवार तथा प्रशासकों की समिति की सदस्य डायना एडुल्जी पर बरसते हुए उन प्रकार पक्षपातपूर्ण व्यवहार कर उनके कैरियर को बर्बाद करने की कोशिश करने का गंभीर आरोप मढ़ा और कहा कि अपने 20 साल के कैरियर में उन्होंने इतना अपमानित कभी महसूस नहीं किया तो खेल जगत में हड़कम्प मच गया। मिताली ने अपने ट्वीट में लिखा कि उनकी देशभक्ति पर संदेह जताकर और खेल के प्रति प्रतिबद्धता पर सवाल उठाकर उनकी 20 वर्षों की मेहनत को मिट्टी में मिला दिया गया।

हालांकि कोच पोवार ने मिताली से अपने तनावपूर्ण रिश्तों को स्वीकार करते हुए मिताली पर कोचों पर दबाव डालने, उन्हें ब्लैकमेल करने, पारी की शुरूआत करने का अवसर नहीं दिए जाने पर दौरा बीच में छोड़ने की धमकी देने, टीम के बजाय अपने निजी रिकाॅर्ड के लिए खेलने, टीम प्लान को नहीं मानने के आरोप मढ़े थे। पोवार का कहना था कि खराब स्ट्राइक रेट के कारण मिताली को इंग्लैंड के खिलाफ मैच से बाहर किया गया क्योंकि टीम प्रबंधन पिछले मैच में जीत दर्ज करने वाली टीम को ही कायम रखना चाहता था लेकिन पोवार के पास इस बात का कोई जवाब नहीं था कि आयरलैंड और पाकिस्तान के खिलाफ मैचों में मिताली का स्ट्राइक रेट आड़े क्यों नहीं आया? उन दोनों मैचों में मिताली ने अर्धशतक जड़े थे और उन्हें प्लेयर आॅफ द मैच चुना गया था। मिताली के इस आरोप का भी किसी के पास कोई जवाब नहीं था कि अंतिम एकादश की घोषणा प्रायः एक दिन पहले ही की जाती है जबकि मिताली को टाॅस से ठीक पहले बताया गया कि वो टीम का हिस्सा नहीं है।

पोवार के आरोप हैरान करने वाले इसलिए भी लगे क्योंकि उनसे पहले किसी ने भी मिताली पर इस प्रकार के आरोप नहीं लगाए। मिताली जैसी सीनियर खिलाड़ी को दो बार प्लेयर आॅफ द मैच बनने, विश्व कप में खेले तीन मैचों में 103 रन के स्ट्राइक रेट तथा 53.5 की औसत से दो अर्धशतक के साथ 127 रन बनाने और पूरी तरह फिट होने के बाद भी अचानक सेमीफाइनल से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है और टीम बुरी तरह से मैच हार जाती है तो कोच सहित चयनकर्ताओं पर भी सवाल तो उठने ही थे। इस बात को कैसे नजरअंदाज कर दिया गया कि मिताली राज लगातार 20 वर्षों से भारतीय टीम की सबसे अहम खिलाड़ी रही हैं, जिन्हें अनेक मैचों में भारतीय टीम को शानदार जीत दिलाने का श्रेय हासिल है। पोवार का आरोप था कि मिताली की तकनीक कमजोर है और वह नीची रहती गेंदों को ठीक से खेल नहीं पाती किन्तु हकीकत इसके बिल्कुल उलट है। मिताली ने 85 टी-20 मैचों में 17 अर्धशतक सहित 2283 रन बनाए हैं, जो विराट कोहली और रोहित शर्मा से भी ज्यादा हैं। 197 वनडे में उन्होंने 51.17 के औसत से 6650 रन ठोंके हैं। कुआलालंपुर में टीम इंडिया और श्रीलंका के बीच खेले गए टी-20 महिला एशिया कप में 2000 रन पूरे कर मिताली ने एक नया इतिहास रच डाला था। एकदिवसीय मैचों में सर्वाधिक हाॅफ सेंचुरी और लगातार कई अर्द्धशतक ठोकने का रिकाॅर्ड मिताली के ही नाम है। टेस्ट क्रिकेट में दोहरा शतक बनाने वाली वह पहली महिला खिलाड़ी हैं। आईसीसी वल्र्ड रैंकिंग में वह 2010, 2011 तथा 2012 में प्रथम स्थान पर रही हैं।

अगर ऐसी प्रतिभाशाली वरिष्ठ खिलाड़ी की तकनीक पर सवालिया निशान लगाकर उसे विभिन्न महत्वपूर्ण मैचों में टीम से बाहर रखने के बहाने ढूंढ़े जाते है तो यह महिला क्रिकेट के सुखद भविष्य के लिए उचित नहीं। बहरहाल, फिलहाल कोच रमेश पोवार की विदाई के बाद एक बार तो यह भूचाल शांत हो गया है किन्तु अब महत्वपूर्ण सवाल यह है कि इस पूरे विवाद से महिला क्रिकेट की साख को जो नुकसान पहुंचा है, उसकी भरपाई कैसे होगी? भारत में क्रिकेट के सुखद भविष्य के लिए बीसीसीआई को ऐसे कड़े कदम उठाने चाहिएं ताकि भविष्य में महिला क्रिकेट टीम के भीतर इस प्रकार के विवाद खड़े न होने पाएं और मिताली सहित अन्य सीनियर खिलाड़ी भी उपेक्षा के शिकार न हों। (संवाद)