लेकिन इमरान खान शांति के लिए मौके की मांग कर सिर्फ अपने देश के लिए मोहलत चाहते थे और इधर नरेन्द्र मोदी सरकार के पास मोहलत देने के लिए समय ही नहीं था, क्योंकि चुनाव सिर पर है और उन्हें अपने देश के मतदाताओं का सामना करना है। कश्मीर में भारत के जवान मारे जा रहे हैं। वे जवान देश के सभी राज्यों के हैं और मोदी सरकार को देश के सभी लोगांे के सवालों का जवाब देना है कि जवानों की मौतों को बदला लेने के लिए उन्होंने क्या किया? जाहिर है, प्रधानमंत्री मोदी को कुछ न कुछ तो करना ही था और उन्होंने वह कर दिया, जिसकी उनसे उम्मीद की जा रही थी।
भारत ने उरी हमले के बाद भी एक सर्जिकल स्ट्राइक किया था, लेकिन वह आर्मी द्वारा किया गया स्ट्राइक था और वह नियंत्रण रेखा तक ही सीमित था। नियंत्रण रेखा के उस पार के पाकिस्तान अधिकृत जम्मू और कश्मीर को भी भारत अपना हिस्सा ही मानता था। इसलिए वह स्ट्राइक तकनीकी रूप से अपने ही इलाके में थे। नियंत्रण रेखा से कुछ ही दूरी अंदर तक हमारे जवान गए थे और आतंकियों को लांचिंग पैड को तबाह कर दिया था। ऐसा कहा जाता है कि पाकिस्तानी सेना के कुछ चैकियों को भी उस आपरेशन में तबाह कर दिया गया था।
पर पाकिस्तान के अंदर घुसकर किया गया ताजा हमला, उस सर्जिकल स्ट्राइक से हटकर है। अव्वल तो यह हमला वायु सेना द्वारा किया गया है और हमला न तो नियंत्रण रेखा तक सीमित है और न ही पाक अधिकृत जम्मू और कश्मीर तक, जिसे भारत अपना हिस्सा ही मानता है। इस बार भारत ने स्वीकृत अतंरराष्ट्रीय सीमा को लांघकर हमला किया है और हमला आतंकियो के लांचिंग पैड तक सीमित नहीं है, बल्कि आतंकियों के अड्डों को भी निशाना बनाया गया है।
खुद पाकिस्तान का कहना है कि भारतीय विमान खैबर पख्तूनवा प्रांत तक पहुंचे थे। खैबर पख्तूनवा पाकिस्तान का अफगानिस्तान से लगा इलाका है और वहां तालिबानियों के भी अड़डे हैं। संयोग की बात है कि पाकिस्तान के वर्तमान प्रधानमंत्री इमरान खान भी उसी प्रांत के हैं और जिन कबाइलियों ने 1947 में जम्मू और कश्मीर के बहुत बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया था, वे कबाइली भी उसी इलाके के थे।
जाहिर है, भारतीय वायु सेना ने पाकिस्तान के मर्म पर हमला किया है। कहने को तो भारत ने भारत विरोधी आतंक के अड़डे पर हमला किया है, लेकिन यह उतना तक ही सीमित नहीं रहा होगा, क्योंकि आतंकियों के अड़डे बिल्कुल अलग थलग नहीं होते और उन अड्डों को पाकिस्तानी सेना का संरक्षण भी प्राप्त रहता है। लिहाजा, यह हमले पाकिस्तान की सेना पर भी है।
भारत और पाकिस्तान के बीच अबतक अनेक युद्ध हो चुके हैं और करगिल को छोड़कर अन्य सभी युद्धों में पाकिस्तान को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है। 1971 के युद्ध में तो पाकिस्तान के दो टुकड़े हो गए थे। पूर्वी पाकिस्तान की जगह बांग्लादेश नाम का एक नया देश अस्तित्व में आ गया और वहां करीब 1 लाख पाकिस्तानी सैनिकों ने भारत की सेना के सामने आत्मसमपर्ण कर दिया था, जो एक वल्र्ड रिकाॅर्ड है। इतनी बड़ी संख्या मे आजतक किसी भी देश की सेना ने कहीं आत्मसमर्पण नहीं किया है।
1965 के युद्ध में भी पाकिस्तान को भारी नुकसान उठाना पड़ा था और ताशकंद समझौते के बाद भारत ने उसकी जीती हुई जमीन को लौटा दिया था। सिर्फ करगिल युद्ध में ही भारत को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा था। भारत के करगिल क्षेत्र पर पाकिस्तान ने कब्जा कर लिया था। उस कब्जे को छुड़ाने के लिए भारत को सैनिक कार्रवाई करनी पड़ी थी। हमारी कार्रवाई सफल रही और हम करगिल को फिर से हासिल कर सके थे, लेकिन इस बीच हमारा भारी नुकसान हो गया था।
भारत ने तो पाकिस्तान स्थित ठिकानों पर हमला कर दिया। अब पाकिस्तान क्या करेगा? उसके पास एक विकल्प है भारत पर जवाबी हमला करने का। लेकिन क्या वह ऐसा करने में सक्षम है? उसकी अर्थव्यवस्था आज बेहद नाजुक दौर से गुजर रही है। अमेरिका का वरदहस्त उसके ऊपर से हट गया है। चीन से उसकी दोस्ती है, लेकिन चीन का अपना एजेंडा है। चीन से पाकिस्तान की दोस्ती उसकी संप्रभुता के लिए खतरनाक है।
पाकिस्तान के लिए भारत पर हमला करने का निर्णय लेना आसान नहीं होगा। यह हमला उसके अस्तित्व के लिए खतरा पैदा कर सकता है, क्योंकि वह अंदर से कमजोर तो है ही, अंतरराष्ट्रीय समुदाय मंे भी वह अपनी विश्वसनीयता खो चुका है। अमेरिका और अनेक यूरोपीय देश उसे आतंक की पनाहगाह मानते हैं। खुद चीन को डर रहता है कि कहीं उसके शिनजियांग के मुस्लिम कट्टरपंथी पाकिस्तानी आतंकियों से तालमेल न बैठा ले। पाकिस्तान प्रशिक्षित आतंकवादी रूस के चेचन्या तक पाए जाते हैं।
इसलिए आज पाकिस्तान की अस्थिति 1971 से भी बदतर है। 1971 में बांग्लादेश की मुक्ति का संघर्ष चल रहा था और आज बलोचिस्तान की मुक्ति का संघर्ष चल रहा है। यदि दोनों देशों के बीच युध्द् होता है, तो पाकिस्तान का एक और विभाजन हो सकता है। पाकिस्तान को सिर्फ इस बात का दंभ है कि उसके पास परमाणु बम है और वह इसका इस्तेमाल कर अपनी हार का बदला ले सकता है, लेकिन उसे तो पता होगा कि परमाणु बम का इस्तेमाल उसके खुद के लिए भी हानिकारक है। दो पड़ोसी देश एक दूसरे के खिलाफ परमाणु बम का इस्तेमाल नहीं कर सकते, क्योंकि उसका रेडिएशन किसी देश की सीमा तक सीमित नहीं रहता। (संवाद)
पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर बमबारी
क्या एक और भारत-पाक युध्द् होगा?
उपेन्द्र प्रसाद - 2019-02-26 12:49
आखिरकार भारत ने वह कर दिखाया, जिसकी उम्मीद अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी कर रहे थे। उन्होंने दो दिन पहले ही कहा था कि भारत और पाकिस्तान के बीच स्थिति भयावह बनी हुई है और आने वाले दिनों में वहां कुछ भी हो सकता है। डर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को भी था। इस हमले को टालने के लिए उन्होंने कहा था कि भारत शांति का उसे एक और मौका दे। भारत उन्हें मौका दे भी देता, लेकिन उसके लिए उन्हें यह दिखाना पड़ता कि भारत विरोधी आतंक के अड्डे को वे अपने देश में उसी तरह तरह ध्वस्त कर देंगे, जिस तरह बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपने देश में किया था।