अब परमाणु दायित्व विधेयक चर्चा का विषय बन गया है। हालांकि सरकार ने लोकसभा में परमाणु दायित्व विधेयक केा पेश करने से पीछे हट गई लेकिन लोकसभा से बाहर बीजेपी ने इसे मुद्दा बना कर सरकार की खिंचाई करने से नहीं चुकी। बीजेपी ने सरकार पर आरोप लगाया कि एक बार फिर वह अमेरिका के दबाब में आ कर जल्दबाजी में परमाणु राष्ट्हित तथा संप्रभुता से जुडे मामले को संसद में पेश करने की बचकाना घोषणा की लेकिन गलती अहसास होते ही उसने अपने कदम पीछे खींच लिये। बीजेपी ने सरकार के पीछे हटने के लिए विवश करने का सेहरा भी लेने से नहीं चुक रही है।
बीजेपी नेता यशवंत सिन्हा ने बताया कि परमाणु दायित्व विधेयक का लोकसभा में समर्थन करने के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने खुद ही नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज केा फोन किया था। लेकिन सुषमा स्वराज ने इस विधेयक का दोष गिनाते हुए इसका समर्थन करने से इनकार कर दिया। उन्होंने बताया कि इसके पहले प्रधानमंत्री राज्यसभा के नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटले से भी बात की थी। वहां से भी उन्हें समर्थन नहीं मिल सका था।
बीजेपी नेता यशवंत सिन्हा ने आरोप लगाया कि सरकार अमेरिकी परमाणु आपूर्तिकर्ताओं के हितों की रक्षा में किसी भी हद तक जाना चाहती है। उन्होंने कहा कि लोकसभा की कार्यसूची में यह विधेयक सूचीबद्ध होने के बावजूद सरकार ने उसे पेश नहीं किया। इससे यह साबित होता है कि सरकार बिना सोचे समझे कदम उठाती है और बाद में पीछे हट जाती है। सिन्हा ने इस विधेयक की जरूरत पर ही सवाल उठाते हुए कहा कि परमाणु ऊर्जा अधिनियम में संशोधन के बाद निजी कंपनियों को इस क्षेत्र में कारोबार करने की इजाजत दी जानी चाहिये। उसके बाद ही दायित्व संबंधी विधेयक संसद में पेश किया जाए। श्री सिन्हा ने कहा कि उन्होंने लोकसभा महासचिव को पत्र लिखकर कहा है कि इस विधेयक को सदन में पेश नहीं किया जा सकता क्योंकि इससे कई मायनों में संवैधानिक व्यवस्थाओं का स्पष्ट उल्लंघन होता है।
उन्होंने कहा कि इस विधेयक पर बीजेपी की दूसरी आपत्ति यह है कि इसके तहत यह प्रावधान किया गया है कि किसी भी परमाणु आपूर्तिकर्ता या परिचालनकर्ता के खिलाफ मुकदमे की सुनवाई भारतीय अदालतों में नहीं हो सकेगी।दुघटना होने पर मुआवजा देने के प्रस्ताव भी भेदभाव पूर्ण है।
विपक्ष के अलावा बैंगलोर के एक एनजीओ ग्रीनपीस ने भी सरकार पर घातक विधेयक लाने का आरोप लगाया है। इस एनजीओं के अनुसार प्रधानमंत्री को विधेयक पर संसद में मतदान कराने से पहले आम जनता की राय लेनी चाहिए।