प्रधानमंत्री ने यह बयान बौखलाहट में आकर दिया, क्योंकि राहुल गांधी ने इस चुनाव का मुख्य नारा "चैकीदार चोर है" बना डाला है। नरेन्द्र मोदी खुद को चैकीदार कहा करते थे और अब भी कहते हैं और राहुल गांधी के नारे का चैकीदार नरेन्द्र मोदी ही हैं। इस आक्रमण का जवाब आक्रमण से देते हुए नरेन्द्र मोदी ने "मैं हूं चैकीदार" अभियान चलाया। उनकी पार्टी के अन्य नेता और कार्यकत्र्ताओं ने भी अपने नाम के आगे चैकीदार लिखना शुरू कर दिया। लेकिन राहुल गांधी पर इसका कोई असर नहीं पड़ा और वे अपनी सभी सभाओं में ‘चैकीदार चोर है’ का नारा लगवाते रहे।

इस नारे के द्वारा राहुल गांधी रफेल सौदे में हुए कथित भ्रष्टाचार के मसले को जिंदा रखने में सफल हुए हैं और जैसा उन्होंने खुद कहा कि इसके द्वारा वे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की छवि खराब करना चाहते हैं, क्योंकि उनकी छवि एक ऐसा राजनेता की बनी हुई है, जिसका कोई परिवार ही नहीं है और इसलिए वह भ्रष्ट नहीं हो सकता। यह आम धारणा है कि परिवार ही व्यक्ति को भ्रष्ट बनाता है और परिवार के दबाव में ही व्यक्ति भ्रष्टाचारी बनता है। 2014 के लोकसभा चुनाव के पहले नरेन्द्र मोदी को अपनी इसी छवि का लाभ हुआ था। उनका एक नारा था, ‘बहुत हुआ है अब भ्रष्टाचार, अबकी बार मोदी सरकार’। लोगों को इस नारे ने अपील किया और नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा पहली बार अपने ही दम पर पूर्ण सत्ता में आ गई।

लेकिन भ्रष्टाचार के मोर्चे पर नरेन्द्र मोदी ने लोगों को निराश किय। मनमोहन सिंह के दूसरे कार्यकाल में भ्रष्टाचार के एक से बढ़कर एक मामले सामने आए थे। राष्ट्रमंडल खेलों के घोटाले से लेकर 2 जी घोटाले तक मैं हजारों- लाखों करोड़ की राशि शामिल थी। कोयला घोटाला भी एक बहुत बड़ा घोटाला था। राष्ट्रमंडल खेलों के घोटाले मे तो दर्जनों घोटाले शामिल थे। चिदंबरम, मारन, ए राजा, कनिमोरी, शाहिद बलवा, अनिल अंबानी और एक से एक बड़े नाम घोटाले में शामिल थे। मुलायम सिंह और मायावती पर भी घोटाले की आरोप लग रहे थे। मुलायम का तो पूरा परिवार ही घोटाले के आरोपों का सामना कर रहा था। लेकिन किसी भी घोटाले की जांच को तार्किक परिणति तक पहुंचाने में मोदी सरकार ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। घोटालेबाजों को दंड देने और भ्रष्टाचार को रोकने की मशा के साथ ही लोगों ने मोदी के नाम पर भाजपा और उसकी सहयोगी पार्टियों को विशाल बहुमत दिया था। मोदी को अपार ताकत मिली थी, लेकिन मोदी ने व्यवस्था की सफाई की जगह सड़क की सफाई के लिए हाथ में झाड़ू उठा लिया।

जाहिर है, भ्रष्टाचार से लड़ने वाले एक योद्धा के रूप में मोदी ने अपनी छवि खुद समाप्त कर दी। लालू को भी जो सजा मिल रही है, वह मोदी के कारण नहीं, बल्कि सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के कारण मिल रही है, जिसमें ट्रायल कोर्ट को फैसला सुनाने की समय सीमा तय कर दी गई थी। मोदी सरकार के लिए सबसे ज्यादा शर्मनाक बात यह है कि 2 जी घोटाले के सारे आरोपी छूट गए। फैसला सुनाते हुए अदालत ने मोदी सरकार की सीबीआई पर आरोप लगाया कि वह एजेंसी सजा दिलाने के लिए मुकदमा लड़ ही नहीं रही थी। उस मुकदमे में एक अभियुक्त अनिल अंबानी भी थे और उसी वही अनिल अंबानी रफेल सौदे का लाभान्वित व्यक्ति के रूप में राहुल गांधी द्वारा प्रचारित किए जा रहे हैं।

इसलिए सवाल यह भी उठता है कि क्या सीबीआई ने अनिल अंबानी को बचाने के चक्कर में 2 जी घोटाले में शामिल सारे अभियुक्तों को अदालती कार्रवाई में सुस्ती दिखाकर बरी करवा दिया? कारण चाहे जो भी हो, 2 जी के सारे अभियुक्त छूट गए हैं। इससे मोदी सरकार की छवि खराब हुई है और जिन लोगों ने 2014 में उन्हें वोट दिए थे, उनके एक तबके को लग रहा है कि मोदीजी के कारण ही भ्रष्टाचारी छूटते जा रहे हैं।

मोदीजी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ तो कुछ किया नहीं, लेकिन विधानसभा के चुनावों में इस मसले को उठाते रहे। अपने विरोधियों को भ्रष्ट कहते रहे और चुनाव भी जीतते रहे। राहुल गांधी ने रफेल के मसले के द्वारा मोदी के इस यूएसपी को ही समाप्त कर दिया है। मोदीजी भ्रष्टाचार के प्रति नरम है, यह तो लोगों को पता चल गया, राहुल गांधी ने यह भी बताना शुरू कर दिया कि मोदीजी भ्रष्ट भी हैं। अपना परिवार नहीं हुआ, तो क्या हुआ वे अपने दोस्त अनिल अंबानी के लिए भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। ऐसा कोई दिन नहीं गया होगा, जिसमे राहुल ने ‘ चैकीदार चोर है’ का नारा नहीं लगाया होगा।

आक्रमण के खिलाफ आक्रमकता दिखाना भारतीय जनता पार्टी की पुरानी रणनीति रही है। इसी रणनीति के तहत नरेन्द्र मोदी ने राहुल के पिता राजीव गांधी पर भी हमला कर डाला, जिससे बचा जा सकता था। राहुल रफेल मामले में मोदी पर आरोप लगा रहे हैं। नरेन्द्र मोदी राजीव गांधी को बीच में लाकर बोफोर्स का मुद्दा उठा रहे हैं। बोफार्स का मुद्दा 1989 से 2004 तक चुनावों समय उठाए जाते रहे और इसके द्वारा चुनाव भी जीते गए, लेकिन उसमें किसी को सजा नहीं हुई। राजीव गांधी की मौत हो जाने के कारण अदालत ने उनका नाम आरोपियों की सूची से बाहर कर दिया था। अब उनका नाम रफेल सौदे में राहुल के हमले के खिलाफ ढाल के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है और इसके साथ ही चुनाव अभियान अपने सबसे गंदे दौर में प्रवेश कर चुका है। (संवाद)