जहां तक ‘अपाचे गार्जियन अटैक’ की बात है तो यह एक ऐसा अग्रणी बहुउद्देश्यीय लड़ाकू हेलीकाॅप्टर है, जिसे खुद अमेरिकी सेना इस्तेमाल करती है। अमेरिका का अपाचे हेलीकाॅप्टर पहली बार वर्ष 1975 में आकाश में उड़ान भरता नजर आया था तथा वर्ष 1986 में इसे पहली बार अमेरिकी सेना में शामिल किया गया था। अमेरिका ने अपने इसी अपाचे अटैक हेलिकाॅप्टर का पनामा से लेकर अफगानिस्तान और इराक तक के साथ दुश्मनों को धूल चटाने के लिए इस्तेमाल किया था। इसके अलावा इजरायल भी लेबनान तथा गाजा पट्टी में अपने सैन्य आॅपरेशनों के लिए अपाचे का इस्तेमाल करता रहा है।
भारतीय वायुसेना की जरूरत के मुताबिक अपाचे हेलीकाॅप्टर में अपेक्षित बदलाव किए गए हैं। ढ़ाई अरब डाॅलर अर्थात् करीब साढ़े सत्रह हजार करोड़ रुपये का यह हेलीकाॅप्टर सौदा करीब साढ़े तीन साल पहले हुआ था, जब सितम्बर 2015 में भारत ने अमेरिका से 22 अपाचे और 15 चिनूक हेलिकाॅप्टर खरीदने के लिए सौदा किया था। रक्षा मंत्रालय द्वारा 2017 में भी 4168 करोड़ रुपये की लागत से बोइंग से हथियार प्रणालियों सहित छह और अपाचे हेलीकाॅप्टरों की खरीद को मंजूरी दी गई थी। अपाचे हेलीकाॅप्टरों को चीन तथा पाकिस्तानी सीमा पर तैनात किया जाएगा तथा ये भारतीय सेना में विशुद्ध रूप से हमले करने का ही काम करेंगे। ये लड़ाकू हेलीकाॅप्टर जमीनी बलों की सहायता के लिए भविष्य के किसी भी संयुक्त अभियान में महत्वपूर्ण धार उपलब्ध करांएगे। वायुसेना का कहना है कि भविष्य में थलसेना के साथ किसी भी तरह के साझा आॅपरेशन में अपाचे अटैक हेलिकाॅप्टर बड़ा फर्क पैदा करेंगे। यही वजह है कि माना जा रहा है कि वायुसेना में इसके शामिल होने से वायुसेना के साथ-साथ थल सेना की आॅपरेशनल ताकत में भी कई गुना बढ़ोतरी हो जाएगी। कम ऊंचाई पर उड़ने की क्षमता के कारण यह पहाड़ी क्षेत्रों में छिपकर वार करने में सक्षम हैं और इस लिहाज से यह पर्वतीय क्षेत्र में वायुसेना को महत्वपूर्ण क्षमता और ताकत प्रदान करेगा।
अपाचे का डिजाइन कुछ इस प्रकार तैयार किया गया है कि यह आसानी से दुश्मन की किलेबंदी को भेदकर उसके इलाके में घुसकर बहुत सटीक हमले करने में सक्षम है और इसकी इन्हीं विशेषताओं के चलते इससे पीओके में आतंकी ठिकानों को तबाह करने में भारतीय सेना को मदद मिलेगी। अमेरिका के एरिजोना में अमेरिकी कंपनी ‘बोइंग’ द्वारा निर्मित बोइंग एएच-64 ई अपाचे दुनिया का सबसे आधुनिक और घातक हेलिकाॅप्टर माना जाता है, जो ‘लादेन किलर’ के नाम से भी विख्यात है। यह अमेरिकी सेना तथा कई अन्य अतंर्राष्ट्रीय रक्षा सेनाओं का सबसे एडवांस मल्टी रोल काॅम्बैट हेलीकाॅप्टर है, जो एक साथ कई कार्यों को अंजाम दे सकता है। अमेरिका, इजरायल, मिस्र तथा नीदरलैंड के अलावा कुछ अन्य देशों की सेनाएं भी इस हेलीकाॅप्टर का इस्तेमाल कर रही हैं। इसलिए इन हेलीकाॅप्टरों को भारतीय वायुसेना में शामिल करना वायुसेना के बेड़े के आधुनिकीकरण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
बात करें अपाचे की विशेषताओं की तो इसकी ढ़ेरों खूबियां इसे भारतीय वायुसेना को नई ताकत प्रदान करने के लिए पर्याप्त हैं। अपाचे में सटीक मार करने और जमीन से उत्पन्न खतरों के बीच प्रतिकूल हवाईक्षेत्र में परिचालित होने की अद्भुत क्षमता है। 365 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ान भरने में सक्षम यह हेलीकाॅप्टर तेज गति के कारण बड़ी आसानी से दुश्मनों के टैंकरों के परखच्चे उड़ा सकता है। बहुत तेज रफ्तार से दौड़ने में सक्षम इस हेलीकाॅप्टर को रडार पर पकड़ना बेहद मुश्किल है। यह बगैर पहचान में आए चलते-फिरते या रूके हुए लक्ष्यों को आसानी से भांप सकता है। इतना ही नहीं, सिर्फ एक मिनट के भीतर यह 128 लक्ष्यों से होने वाले खतरों को भांपकर उन्हें प्राथमिकता के साथ बता देता है। इसे इस तरीके से डिजाइन किया गया है कि यह युद्ध क्षेत्र में किसी भी परिस्थिति में टिका रह सकता है। यह किसी भी मौसम या किसी भी स्थिति में दुश्मन पर हमला कर सकता है और नाइट विजन सिस्टम की मदद से रात में भी दुश्मनों की टोह लेने, हवा से जमीन पर मार करने वाले राॅकेट दागने और मिसाइल आदि ढ़ोने में सक्षम है। टारगेट को लोकेट, ट्रैक और अटैक करने के लिए इसमें लेजर, इंफ्रारेड, सिर्फ टारगेट को ही देखने, पायलट के लिए नाइट विजन सेंसर सहित कई आधुनिक तकनीकें समाहित की गई हैं। यह एक बार में पौने तीन घंटे तक उड़ सकता है और इसकी फ्लाइंग रेंज करीब 550 किलोमीटर है। इसमें अत्याधुनिक रडार तथा निशाना साधने वाला सिस्टम लगा है।
दो जनरल इलैक्ट्रिक टी-700 हाई परफाॅरमेंस टर्बोशाफ्ट इंजनों से लैस इस हेलीकाॅप्टर में आगे की तरफ एक सेंसर फिट है, जिसके चलते यह रात के अंधेरे में भी उड़ान भर सकता है। इसका सबसे खतरनाक हथियार है 16 एंटी टैंक मिसाइल छोड़ने की क्षमता। दरअसल इसमें हेलिफायर, स्ट्रिंगर मिसाइलें, 70 एमएम राॅकेट्स लगे हैं और मिसाइलों के पेलोड इतने तीव्र विस्फोटकों से भरे होते हैं कि दुश्मन का बच निकलना नामुमकिन होता है। इसके वैकल्पिक स्टिंगर या साइडवाइंडर मिसाइल इसे हवा से हवा में हमला करने में सक्षम बनाते हैं। अपाचे हेलीकाॅप्टर के नीचे दोनों तरफ 30 एमएम की दो आॅटोमैटिक राइफलें भी लगी हैं, जिनमें एक बार में शक्तिशाली विस्फोटकों वाली 30 एमएम की 1200 गोलियां भरी जा सकती हैं। इसका सबसे क्रांतिकारी फीचर है इसका हेल्मेट माउंटेड डिस्प्ले, इंटीग्रेटेड हेलमेट और डिस्प्ले साइटिंग सिस्टम, जिनकी मदद से पायलट हेलिकाॅप्टर में लगी आॅटोमैटिक एम-230 चेन गन को अपने दुश्मन पर टारगेट कर सकता है। 17.73 मीटर लंबे, 4.64 मीटर ऊंचे तथा करीब 5165 किलोग्राम वजनी इस हेलीकाॅप्टर में दो पायलटों के बैठने की व्यवस्था है। इसका अधिकतम भार 10400 किलोग्राम हो सकता है। डेटा नेटवर्किंग के जरिये हथियार प्रणाली से और हथियार प्रणाली तक, युद्धक्षेत्र की तस्वीरें प्राप्त करने और भेजने की इसकी क्षमता इसकी खूबियों को और भी घातक बना देती है। कहना असंगत नहीं होगा कि अपाचे युद्ध के समय गेम चेंजर साबित हो सकता है और पहले एस-400 एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइल प्रणाली, फिर चिनूक, अब अपाचे तथा आने वाले दिनों में राफेल मिलकर भारतीय वायुसेना को इतनी ताकत प्रदान करेंगे, जिसे देखते हुए यह कहना असंगत नहीं होगा कि भारत आकाश में दिनों-दिन ताकतवर होता जा रहा है। (संवाद)
दुनिया का सबसे ताकतवर हेलीकाॅप्टर
दुश्मन के लिए काल बनेगा ‘अपाचे’
योगेश कुमार गोयल - 2019-05-13 08:34
भारतीय वायुसेना को अमेरिकी एयरोस्पेस कम्पनी ‘बोइंग’ द्वारा 22 अपाचे गार्जियन अटैक हेलीकाॅप्टरों में से पहला हेलीकाॅप्टर भारत को सौंपे जाने के बाद वायुसेना की ताकत में और इजाफा हो गया है। इन्हीं हेलीकाॅप्टरों का पहला बैच करीब दो माह बाद मिलने की संभावना है। इससे पहले इसी वर्ष 26 मार्च को चार हैवीलिफ्ट ‘चिनूक’ हेलीकाॅप्टर भी वायुसेना के बेड़े में शामिल हो गए थे और 11 चिनूक मार्च 2020 तक मिलने की संभावना है। एमआई-17 जैसे मध्यम श्रेणी के भारी वजन उठाने वाले रूसी लिफ्ट हेलीकाॅप्टर भारतीय वायुसेना के पास पहले से ही मौजूद हैं। कुछ माह पूर्व रूस के साथ भी 37 हजार करोड़ रुपये की लागत से मल्टी फंक्शन रडार से लैस एस-400 एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइल प्रणाली का सौदा किया गया था, जो दुनियाभर में सर्वाधिक उन्नत मिसाइल रक्षा प्रणालियों में से एक है और वायुसेना के लिए ‘बूस्टर खुराक’ मानी जाती रही है।