इसमें भी कोई संदेह नहीं है कि प्रियंका ने अन्य विपक्षी नेता बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव को पीछे छोड़ दिया। वे दोनों नेता पीड़ित आदिवासियों के साथ उस स्तर का समर्थन नहीं दिखा सके, जिस स्तर का समर्थन प्रियंका गांधी ने दिखाया।

प्रियंका को चुनार के एक गेस्ट हाउस में गिरफ्तार करके रखा गया था। वहां की बिजली भी काट दी गई थी और पानी की आपूर्ति बंद कर दी गई थी। अन्य विपक्षी नेता समाचार चैनलों पर बयान देकर और बयान जारी करके ही संतुष्ट थे। प्रियंका गांधी उन आदिवासियों के परिवारों से मिलने में सफल रहीं जिन्हें मार दिया गया था। सोनभद्र में प्रतिनिधिमंडल भेजकर बसपा और समाजवादी पार्टी संतुष्ट थी।

दलित नेता और भीम सेना के अध्यक्ष चंद्रशेखर रावण ने स्थानीय प्रशासन को चकमा देते हुए मोटरसाइकिल से सोनभद्र पहुंचने में कामयाबी हासिल की तो इससे बसपा को बहुत बड़ा करारा झटका लगा।

पार्टी लाइन से ऊपर उठकर प्रियंका गांधी के प्रयासों और साहस की सराहना की जा रही है और उसकी तुलना 42 साल पहले इंदिरा गांधी की बेलछी यात्रा से की जा रही है। गौरतलब हो कि बिहार के बेलछी गांव में 8 दलितों और और 4 सुनारों को जिंदा जला दिया गया था। यह 1977 की घटना है, जब इन्दिरा गांधी चुनाव हार कर सत्ता से बाहर हो गई थी। उस घटना के बाद इन्दिरा गांधी खराब मौसम और कीचड़ भरी सड़कों के बावजूद वहां हाथी पर बैठकर गई थीं। और वहीं से उनकी सत्त में वापसी भी शुरू हो गई थी।

इसमें कोई संदेह नहीं है कि बेलछी की यात्रा के बाद ही इंदिरा गांधी कांग्रेस को पुनर्जीवित करने में सक्षम हुई थीं। इस बार फिर यह सवाल उठाया जा रहा है कि क्या प्रियंका की यात्रा ऐसे समय में कांग्रेस के पुनरुद्धार में मदद कर पाएगी जब पार्टी राहुल गांधी के अध्यक्ष पद से इस्तीफे के बाद नेतृत्वविहीन हो गई है।

प्रियंका की यात्रा और मीडिया में देशव्यापी कवरेज के बाद ही सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी सोनभद्र का दौरा किया और पीड़ित परिवारों को अधिक मुआवजा देने और दोषी व्यक्तियों को सजा देने की घोषणा की। इसमें कोई संदेह नहीं है कि प्रियंका गांधी की यात्रा ने कांग्रेस का मनोबल बढ़ाया है, लेकिन मिशन 2022 के लिए वह यूपी में पार्टी को पुनर्जीवित करने के लिए कठिन चुनौती का सामना कर रही है।

हालांकि सोनभद्र में सफल आंदोलन के बसउ देश भर में कांग्रेस के अधिकांश नेता उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में देखना चाहते हैं। लेकिन वर्तमान में यूपी के प्रभारी के रूप में, प्रियंका गांधी को पार्टी संगठन को बूथ स्तर से राज्य मुख्यालय तक पुनर्जीवित करना है।

प्रियंका गांधी की पहल के बाद ही यूपी में कांग्रेस की सभी जिला और शहर इकाइयों को भंग कर दिया गया था।

प्रियंका गांधी ने घोषणा की है कि वह न केवल बड़े पैमाने पर राज्य का दौरा करेंगी बल्कि पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं के लिए खुद को आसानी से उपलब्ध कराएंगी।

इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह प्रियंका गांधी के लिए यूपी का दौरा करने और पार्टी को पुनर्जीवित करने और मोदी और योगी सरकारों विफलता से जुड़े जनता के मुद्दों को लपनकने के लिए एक खुला क्षेत्र है। हालिया रुझानों से तो यही लगता है कि मायावती और अखिलेश अपने आराम क्षेत्र से बाहर नहीं निकलेंगे।

एकमात्र नेता जिसने बड़े पैमाने पर यूपी का दौरा किया और नेताओं और कार्यकर्ताओं के लिए आसानी से सुलभ था किया था वह श्रीमती रीता बहुगुणा जोशी थीं, लेकिन पार्टी हाईकमान द्वारा दरहकिनार कर दिए जाने के कारण उन्हें भाजपा में शामिल होना पड़ा।

बॉलीवुड अभिनेता और यूपीसीसी अध्यक्ष राज बब्बर पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को नेतृत्व प्रदान करने में बुरी तरह विफल रहे। राज्य में पार्टी के पतन का यह सबसे बड़ा कारण है।

कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता अब पार्टी की उन्न्ति को सकारात्मक रूप से देख रहे हैं और बूथ स्तर से संगठन के पुनरुद्धार के लिए प्रियंका गांधी के लिए शीर्ष पद पाने की प्रार्थना कर रहे हैं। (संवाद)