दिल्ली के विधानसभा चुनाव कई कारणों से अद्वितीय हैं। दिल्ली में लगभग दो करोड लोग रहते हैं। लगभग 150 देशों की आबादी से यह अधिक करता है। दिल्ली लगभग पूरी तरह से शहरी है, हवा की गुणवत्ता, अंतिम मील परिवहन, महिला सुरक्षा, पाइप जलापूर्ति, ठोस अपशिष्ट निपटान आदि की चुनौतियां यहां मुख्य रूप से हैं। यहां का चुनाव अन्य राज्य चुनावों से बहुत अलग है जहां ग्रामीण मतदाता प्रमुख रूप से कृषि मुद्दों या जाति से प्रभावित होते हैं। यही कारण है कि आम आदमी पार्टी जैसा युवा राजनीतिक आंदोलन अचानक उभर गया और बहुत कम समय में एक वैकल्पिक राजनैतिक ताकत बन गया। हालांकि आम आदमी पार्टी की सरकार एक शक्तिहीन सरकार के रूप में दिख रही थी, क्योंकि यह एक केन्द्र शासित प्रदेश है और पुलिस केन्द्र सरकार के अधीन है। वैसे भी केन्द्र सरकार इसे काम करने नहीं दे रही थी। बहुत देर से सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अरविंद केजरीवाल की सरकार कुछ कर पाने में सफल हुई।

लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया गया है कि दिल्ली के सीएम केजरीवाल और शीला दीक्षित ने राष्ट्रीय चेतना में सम्मानजनक उपस्थिति बनाने में सफलता पाई है। नतीजतन, बीजेपी दिल्ली प्रदेश की सत्ता से दो दशक ये भी ज्यादा समय से बाहर है। वह चाहेगी कि 21 साल बाद फिर सत्ता में वापसी करे। भाजपा इसके लिए वह सीएए और एनआरसी के बूते फिर से सरकार में आने की कोशिश कर सकती है। हालांकि, भाजपा को राष्ट्रवाद के इर्द-गिर्द अपने अभियान को आगे बढ़ाने की उपयोगिता को ध्यान से तौलना होगा, क्योंकि दिल्ली के मतदाता स्थानीय मुद्दों के बारे में बात करने के मूड में दिखाई दे सकते हैं, जैसा कि झारखंड में हुआ। स्वयं के केजरीवाल कोशिश कर रहे हैं कि राष्टीय मुद्दे चुनाव प्रचार का के केन्द्र न बनें। उन्होंने सबक सीखा है और न तो राष्ट्रीय मुद्दे को उठा रहे हैं और न ही नरेन्द्र मोदी के खिलाफ कुछ बोल रहे हैं।

केजरीवाल के विपरीत, मोदी कट्टरता के साथ उन मुद्दों पर बात करने के लिए कठोर होंगे जो केजरीवाल राशन, बिजली सब्सिडी, मौहल्ला क्लीनिक और महिलाओं के लिए मुफ्त बस परिवहन के द्वारा अपनी बढ़त हासिल करने की कोशिश कर सकते हैं। लोकसभा चुनावों में कांग्रेस का बेहतर प्रदर्शन भाजपा विरोधी वोटों के बंटवारे की संभावना को बढ़ाता है, जिसके परिणामस्वरूप आम आदमी पार्टी की स्थिति कमजोर हो सकती है। विभाजित विपक्ष भाजपा को हमेशा फायदा पहुंचाता है।

आम आदमी पार्टी 15 और 20 जनवरी के बीच अपना घोषणा पत्र जारी करेगी। दिल्ली के संयोजक गोपाल राय ने संवददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह बताया। एक संवाददाता सम्मेलन में गोपाल राय ने यह भी कहा कि 24 दिसंबर को जारी किए गए ‘आप का रिपोर्ट कार्ड‘ शीर्षक से दिल्ली सरकार के रिपोर्ट कार्ड को वितरित करने का आप पार्टी का अभियान पूरा हो गया है और वह कार्ड लगभग तीन मिलियन परिवारों और 15 मिलियन लोगों तक पहुंच गया है। रिपोर्ट कार्ड में पाँच वर्षों में दिल्ली सरकार की शीर्ष दस उपलब्धियाँ शामिल हैं। (संवाद)