भारत के लिए सबसे बुरी बात है कि जहां दुनिया के अन्य सारे देश प्रतिदिन संक्रमण के मामले में पीक पर पहुंच चुके हैं और वहां नया संक्रमण अब उतार पर है, भारत में यह लगातार चढ़ता जा रहा है। सोमवार को भारत में करीब 75 हजार संक्रमण पाए गए, लेकिन इसके कारण खुश होने की जरूरत नहीं, क्योंकि प्रत्येक रविवार को कम टेस्ट होते हैं, जिसके कारण प्रत्येक शनिवार को नये संक्रमितों की संख्या अन्य 6 दिनों की अपेक्षा कम होती है। लेकिन 75 हजार के आंकड़े के बावजूद दुनिया का 40 फीसदी नया संक्रमण भारत में ही हुआ था। जिस तेजी से भारत में कोरोना फैल रही है, उसे देखते हुए ते हम कह सकते हैं कि आने वाले दिनों में दुनिया में प्रतिदिन जितना संक्रमण होगा, उसका आधा से ज्यादा का श्रेय भारत को ही मिलेगा।

भारत में संक्रमण की गति तेज होने का एक कारण यह भी है कि देश अब लगातार खुलता जा रहा है। पाबंदियां हटाई या घटाई जा हटाई जा रही हैं। यह आवश्यक भी है। पर इसके कारण लोगों की सोशल डिस्टेंसिग कम होना ही होना है और इसके कारण संक्रमण को फैलना ही फैलना है। दूसरा कारण यहां का मौसम है। बरसात में फ्लू और वायरल बिमारी बढ़ जाती है। हर साल ऐसा होता है। और कोराना फ्लू और वायरल बीमारी ही है। जब बरसात खत्म होता है तो यह और बढ़ती है। भारत में वही मौसम चल रहा है। उसके बाद मौसम परिवर्तन होंगे। गर्मी के बाद मौसम सर्द होने लगेगा। गर्मी और सर्दी के इस संक्रमण काल में भी बीमारियां बढ़ती हैं और जाड़े में भी विटामिन डी वगैरह की कमी के कारण लोग ज्यादा बीमार पड़ते हैं।

इसलिए यह मानने के पर्याप्त कारण हैं कि वैक्सिन आ जाने के पहले तक यह संक्रमण बढ़ता ही जाएगा। यह तबतक बढ़ेगा, जबतक कि हर्ड इम्युनिटी प्राप्त नहीं कर ली जाती हो। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि हर्ड इम्युनिटी बनने में अभी महीनों लगेंगे। कुछ विशेषज्ञ कहते हैं कि 70 फीसदी आबादी के संक्रमित होने से हर्ड इम्युनिटी बनती है, तो कुछ कहते हैं कि 90 फीसदी आबादी का इम्यून होना जरूरी है। दोनो आंकड़े बहुत बड़े हैं। यह तभी संभव है जब देश की सौ करोड़ से ज्यादा लोग इम्यून हो जाएं। संक्रमित होने वालों मे से दो फीसदी की मौत हो रही है और यदि हमने अपना सबकुछ हर्ड इम्युनिटी पर ही छोड़ दिया तो, वह पाते पाते हमारे देश के दो करोड़ लोग इस बीमारी से काल के गाल में समा जाएंगे। बहरहाल, हमें उम्मीद करनी चाहिए कि उस नतीजे पर पहुंचने के बहुत पहले ही वैक्सिन आ जाएगा और इस समस्या का समाधान हम पा लेंगे।

भारत में आखिर ऐसी स्थिति आई क्यों? बगल में पाकिस्तान की स्थिति बेहतर है। वहां कोरोना नियंत्रण में है। जब हमारे देश में प्रतिदिन नया संक्रमण 90 हजार से ज्यादा हो रहा है, तो वहां यह संक्रमण 300 से 500 के बीच में ही है। भारत और पाकिस्तान में एक ही तरह का मौसम हैं। लोगों के स्वास्थ्य का स्तर एक ही जैसा है। सच कहा जाएं तो दोनों देश के लोगों की प्रकृति एक ही तरह की है। लेकिन वहां कोरोना पर नियंत्रण पा लिया गया, पर भारत में स्थिति विस्फोटक ही नहीं, बल्कि महाविस्फोटक बनती जा रही है। भारत ने इससे बचने के लिए सबसे गंदा वाला लॉकडाउन किया। सच तो यह है कि भारत जैसा व्यापक राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन दुनिया के किसी भी अन्य देश में नहीं हुआ। पाकिस्तान में भी वैसा गंदा लॉकडाउन नहीं हुआ था। पर पाकिस्तान आज राहत की सांस ले रहा है और हम भारत में आफत में फंसे हुए हैं।

भारत में कोरोना रोकने में जो विफलता हाथ लगी है, इसके लिए मोदी सरकार ही जिम्मेदार है। उसने शुरू से ही गैरजिम्मेदाराना रवैया दिखाया। 30 जनवरी को ही पहला कोविड मरीज भारत में मिल चुका था, लेकिन उसे केन्द्र सरकार ने नजरअंदाज कर दिया। दुनिया के कुछ देशों में कोरोना हाहाकार मचा रहा था, लेकिन उसे भी मोदी सरकार ने नजरअंदाज कर दिया। विपक्षी कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने कोरोना के खतरे से आगाह फरवरी में ही कर दिया था। उनका मजाक उड़ाया गया। उस समय चीन के बाद सबसे ज्याद कोरोनाग्रस्त देश इटली था। राहुल का ननिहाल इटली है। इसके कारण भाजपा को राहुल का मजाक उड़ाने का एक और कारण मिल गया। जब देश को दुनिया से काटने की जरूरत थी, तो मोदी सरकार ट्रंप का भारत में स्वागत कर रही थी और दिल्ली में दंगे हो रहे थे।

मार्च में जब नये मामले आए, तब भी केन्द्र सरकार पूरी तरह नहीं जगी और यदि जगी भी तो उसने अपनी राजनीति को देश के आसन्न संकट से ज्यादा महत्व दिया। मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार को गिराने की कोशिश में केन्द्र सरकार की सत्तारूढ़ पार्टी लगी हुई थी और उसके कारण कार्रवाई करने में विलंब किया गया। मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार के गठन के बाद ही लॉकडाउन लागू किया गया और वह भी बिना योजना के ही किया गया। करोड़ से ऊपर मजदूरों को अपने हाल पर छोड़ दिया गया। यदि उस समय उन्हें अपने अपने ठिकाने पर पहुंच जाने दिया होता, तो आज की यह भयानक स्थिति नहीं पैदा होती। लेकिन सरकार ने अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई। अब उसके कारण ही कोरोना का महाविस्फोट हो रहा है। (संवाद)