29 नवंबर के बाद से सात मामले दर्ज किए गए हैं, जब राज्यपाल ने योगी सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश को मंजूरी दी थी।
कानून के उल्लंघन की आशंका में कई शादियां रोक दी गईं और कुछ मामलों में दूल्हे के साथ बरात के अन्य सदस्यों को गिरफ्तार किया गया।
इन घटनाओं से हैरान विपक्षी दलों ने साफ कर दिया है कि लव जिहाद के नाम पर बेगुनाह लोगों को परेशान किया जाएगा।
सभी विपक्षी दल एकजुट होकर धर्म परिवर्तन अध्यादेश 2020 के गैरकानूनी रूपान्तरण के यूपी निषेध की निंदा करते हैं, जिसे राज्यपाल ने मंजूरी दे दी है।
हालांकि कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने इस विषय पर कुछ नहीं कहा है, लेकिन उनके निर्देशन में राज्य इकाई इस मुद्दे पर बहुत मुखर है।
दिग्गज कांग्रेस नेता और सीडब्ल्यूसी के सदस्य प्रमोद तिवारी ने कहा कि यूपी सरकार इस अध्यादेश के जरिए लव जिहाद को राजनीतिक मुद्दा बनाने के लिए माहौल बनाने की कोशिश कर रही है।
प्रमोद तिवारी ने कहा कि योगी राज्य में महिलाओं के खिलाफ यौन अपराधों को रोकने में विफल रहे हैं। उन्होंने मांग की कि राज्य में महिलाओं के खिलाफ अपराध को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाने चाहिए।
तिवारी ने आगे कहा कि जबरन धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए पहले से ही कानून हैं और सरकार उन्हें लागू करने में विफल रही है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि उनकी पार्टी यूपी विधायिका के साथ-साथ सड़कों पर भी अध्यादेश का विरोध करेगी।
इसी तरह समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि उनकी पार्टी लव जिहाद के नाम पर उत्पीड़न के खिलाफ है।
उन्होंने कहा कि एक तरफ राज्य सरकार अंतर-जातीय और अंतर-धर्म विवाहों को बढ़ावा देने के लिए 50,000 रुपये का इनाम दे रही थी और दूसरी ओर इस तरह के विवाहों को रोकने के लिए कानून लाए गए हैं।
अखिलेश ने यूपी विधानमंडल के साथ-साथ सड़कों पर भी यूपी के घृणास्पद कानूनों का विरोध करने और उनसे लड़ने का इरादा व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि उनके पार्टी कार्यकर्ता इस तरह के कानूनों के माध्यम से उत्पीड़न के खिलाफ संदेश फैलाएंगे।
गौरतलब है कि बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने भी यूपी सरकार से इस तरह के कानून लाने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा था।
उन्होंने कहा कि लव जिहाद के नाम पर धर्म परिवर्तन को लेकर अध्यादेश संदेह से भरा है। उसने आगे कहा कि जबरदस्ती और धोखेबाज धार्मिक रूपांतरण पहले भी स्वीकार्य नहीं था।
मायावती ने कहा कि इस मुद्दे को लेकर देश में पहले से ही कानून थे और सरकार को नये कानून के फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यूपी और अन्य राज्यों में विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव के अपने अभियान में लव जिहाद को मुख्य मुद्दा बनाया था और कानून लाने का वादा किया था।
यूपीसीसी अध्यक्ष अजय कुमार लालू समेत विपक्षी नेताओं ने निर्दोषों को परेशान करने के लिए लव जिहाद के नाम पर कानून लाने के लिए यूपी सरकार की आलोचना की है।
राज्यपाल के अध्यादेश को अपनी स्वीकृति देने के कुछ ही घंटों के भीतर मुस्लिम लड़की के पिता के खिलाफ दर्ज शिकायत के आधार पर मुस्लिम सज्जन के खिलाफ पहली प्राथमिकी दर्ज की गई थी। तब से नए कानून के तहत छह और मामले दर्ज किए गए हैं। इसी तरह विवाह को भी जबरन धर्मांतरण के संदेह के आधार पर रोक दिया गया। इसमें कोई शक नहीं है कि लव जिहाद और लोगों का उत्पीड़न अगले विधानसभा चुनाव के लिए विपक्ष के लिए एक मुद्दा होगा। (संवाद)
लव जिहाद के नाम पर बने कानून के खिलाफ संघर्ष करेगा विपक्ष
अल्पसंख्यकों का प्रताड़ित करने के लिए कृतसंकल्प दिखते हैं योगी
प्रदीप कपूर - 2020-12-16 10:25
लखनऊः उत्तर प्रदेश में विपक्षी दल योगी सरकार द्वारा लव जिहाद के नाम पर राज्य में लोगों के उत्पीड़न का विरोध कर रहे हैं।