सत्र के विशेष होने के कारण मुख्यमंत्री शिवराज चौहान ने राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल से अनुरोध किया था कि वे विधानसभा को संबोधित करें। राष्ट्रपति से मिलकर अनुरोध करने के बाद उन्हें लगा था कि महामहिम राष्ट्रपति ने उसके लिए सहमति भी दे दी है, लेकिन बाद में पता चला कि राष्ट्रपति ने अनुरोध को ठुकरा दिया है। अब कहा जा रहा है कि कांग्रेस ने राष्ट्रपति पर दबाव डालकर उन्हें सदन को संबोधित करने से मना कर दिया।
शुरू से ही कांग्रेस विशेष अधिवेशन के खिलाफ थी। उसके नेताओं का मानना था कि राज्य सरकार असली मुद्दों से मुह चुराने के लिए इस विशेष सत्र का आयोजन कर रही है। उनका अब भी मानना है कि अनेक मंत्रियों और सांसदों के भंष्टाचार के मामले सामने आ रहे हैं और उनसे जनता का ध्यान हटाने के लिए ही यह सत्र बुलाया जा रहा है।
जिन पर भ्रष्टाचार के आरोल लग रहे हैं, उनमें कैलाश विजय वर्गीय सबसे ऊपर हैं। वे राज्य में उद्योग मंत्री हैं। उन पर भ्रष्टाचार के कई आरोप अबतक लग चुके हैं। अखबारों में आजकल रोज विजयवर्गीय पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की चर्चा होती है। उन पर कुछ न कुछ नया आरोल रोज ही लगता रहता है। सिर्फ राजनैतिक दल ही नहीं, बल्कि राजनैतिक टिप्पणीकार भी उन्हें हटाण् जाने की मांग कर रहे हैं। एक स्थानीय अखबार ने तो कुछ लोगों की राय भी प्रकाशित की थी। उनका कहना था कि श्री विजयवर्गीय को अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए और यदि वे इस्तीफा नहीं देते हैं, तो उन्हें मुख्यमंत्री द्वारा बर्खास्त कर दिया जाना चाहिए।
भाजपा के नेता कह रहे हैं कि विशेष सत्र बुलाने के लिए कांग्रेस की सहमति ले ली गई थी। मुख्यमंत्री विपक्ष की नेता जमुना देवी से मुम्बई के अस्पताल में मिले थे। वहां कांग्रेस नेता सुश्री देवी अभी भी स्वास्थ्य लाभ कर रही हैं। लेकिन कांग्रेस के नेता कर रहे हैं कि विपक्ष की नेता ने विशेष सत्र के लिए अपनी अनुमति नहीे दी थी। कांग्रेस बैठक कर यह फैसला करने वाली है कि वह विशेष सत्र में हिस्सा ले या न ले।
कांग्रेस का एक वर्ग चाहता है कि उसे विशेष सत्र में हिस्सा लेना चाहिए और सदन का इस्तेमाल भ्रष्टाचार को उजागर करने में करना चाहिए। उनका कहना है कि आधा दर्जन से भी ज्यादा मंत्रियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले हैं और उनके खिलाफ लोकायुक्त की जांच चल रही है। (संवाद)
विधानसभा के सत्र आहूत करने पर विवाद
मंत्रियों के भ्रष्टाचार के मसले पर सरकार परेशान
एल एस हरदेनिया - 2010-05-07 10:41
भोपालः मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा विधानसभा के विशेष सत्र बुलाने का निर्णय विवादों के भंवर में फंस गया है। उन्होंने अगले 11 मई से 4 दिनों का एक विशेष सत्र आहूत किया है। पहले भी विशेष सत्र बुलाए जाते रहे हैं, पर वे अक्सर एक दिन के ही हुआ करते थे। पर इसबार 4 दिनों के लिए यह सत्र बुलाया जा रहा है। सत्र का उद्देश्य विकास कार्यों के लिए नीति तैयार करना है और उसकी राणनीति का भी निर्धारण करना है।