यदि राष्ट्रीय स्तर की बात की जाए, तो कोरोना इस साल के न्यूनतम आंकड़े से 6 गुना ज्यादा हो गया है और राष्ट्रीय राजधानी की बात की जाय, तो यह न्यूनतम के 11 गुना से भी ज्यादा हो गया है। देश की आर्थिक राजधानी मुंबई और महाराष्ट्र के आंकड़े भी भयावह दृश्य उपस्थित कर रहे हैं। पिछली लहर में कोरोना करीब 26 हजार की ऊंचाई को छू पाया था, लेकिन इस बार तो यह 30 हजार के आंकड़े को भी पार कर चुका है। इस लहर में महाराष्ट्र का योगदान बहुत ज्यादा रहा है। पिछले कुछ दिनों से कुल कोरोना संक्रमण का आधे से भी ज्यादा का आंकड़ा सिर्फ महाराष्ट्र से आ रहा है। पंजाब का भी बुरा हाल है। वहां भी कोरोना का प्रांतीय रिकॉर्ड टूट चुका है। डरावनी बात यह है कि इंग्लैंड को तबाह करने वाले स्ट्रेन का वहां प्रवेश प्रमाणित हो चुका है। एक सैंपल में पाया गया है कि 81 फीसदी लोग वहां इंग्लैंड वाली कोरोना किस्म की है। आज वह किस्म पंजाब में है। कल वह पूरे देश में फैल सकती है। और यदि उसे नहीं रोका गया, तो पूरे देश में फैल सकती है। यदि ऐसा हो गया तो कोरोना की यह लहर पहली लहर से भी बड़ी होगी। गौरतलब हो कि पहली लहर में प्रतिदिन का संक्रमण 97 हजार तक पहुंच गया था।
सबसे आश्चर्य की बात यह है कि कोरोना की यह लहर टीकाकरण के बीच में हिलारें मार रही है। टीकाकरण की जो रणनीति सरकार ने बनाई थी, वह वैसे समय में बनाई थी, जब उसका कहर शांत हो रहा था और आशावादी कह रहे थे कि मार्च महीने तक तो इस बीमारी को खुद समाप्त हो जाना है, तो फिर हमें टीका लेने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। लेकिन वह उम्मीद धराशायी हो गई है और अब टीकाकरण ही फिलहाल एकमात्र विकल्प दिखाई पड़ता है। वैसे हमारे लिए यह अच्छी बात है कि वैक्सिन हमारे देश में ही बन रहे हैं। हमें वैक्सिन लाने के लिए किसी दूसरे देश से संधि या समझौता करने की जरूरत नहीं है। हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक ने खुद एक वैक्सिन को विकसित किया है और वहां भारी पैमाने पर उसका उत्पादन भी हो रहा है। अन्य उत्पादन केन्द्रों पर भी उसका निर्माण किया जा सकता है। 82 फीसदी प्रभावशीलता के साथ वह उच्च कोटि का वैक्सिन है। उसके अलावा इंग्लैंड में विकसित एक वैक्सिन का उत्पादन पूणे के भारतीय सीरम संस्थान में हो रहा है। वहां भी उत्पादन भारी पैमाने पर हो रहा है और बड़े उत्पादन के बूते भारत द्वारा निर्मित वैक्सिन को विदेशों में भी भेजा जा रहा है और इस तरह से भारत दुनिया की सेवा भी कर रहा है। भारत दुनिया के उन पांच देशों में शुमार हो गया है, जहां कोरोना वैक्सिन विकसित किए गए हैं और उत्पादन भी भारी पैमाने पर हो रहा है। रूस द्वारा विकसित कोरोना वी का उत्पादन भी भारत में हो रहा है। अब तक कम से कम चार दवा उत्पादक कंपनियों का रूस के साथ समझौता हुआ है, जो करोड़ों क्या अरबों डोज स्पुतनिक वैक्सिन का उत्पादन करेंगी।
जाहिर है, भारत में कोरोना वैक्सिन की कमी नहीं है और आने वाले दिनों में भी नहीं होगी, क्योंकि देश द्वारा वैक्सिन उत्पादन की क्षमता है, उसके एक हिस्से का ही अभी इस्तेमाल किया जा रहा है। भारत चाहे तो यह उत्पादन कई गुना और भी बढ़ा सकता है। इसलिए अब संकट के इस दौर में टीकाकरण की रणनीति में बदलाव की जरूरत है। सरकार ने रणनीति बनाई थी कि पहले स्वास्थ्यकमियों को टीका दिया जाएगा। वह दौर पूरा हो चुका है। उनमें से जितने को टीका लेना था, ले चुके हैं। फिर फ्रंट वर्कर्स के लिए टीकाकरण का अभियान खोला गया। वह भी चरण पूरा हो चुका है। जितने ले सकते थे, टीका ले चुके हैं। उसके बाद 60 साल से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों और 45 साल उम्र से अधिक के कुछ बीमारियों से ग्रस्त लोगों के लिए टीकाकरण का रास्ता साफ किया गया। अभी वही फेज चल रहा है, जबकि 1 अप्रैल से 45 साल के सभी लोगों के लिए यह टीकाकरण संभव बना दिया जाएगा।
टीकाकरण की इस रणनीति में खामी यह है कि यह पूरे देश को एक इकाई मानता है। इसमें बदलाव कर एक प्रांत को एक इकाई मानना होगा। जहां कोरोना के ज्यादा मामले हैं, वहां उम्र की सीमा तोड़ दी जानी चाहिए और वहां अधिकतम टीकाकरण करना चाहिए। इससे अन्य प्रांतां को दिक्कत भी नहीं होगी, क्योंकि बिहार जैसे जिन प्रांतों में कोरोना का संक्रमण कम है, वहां लोग टीकाकरण को लेकर बहुत उत्साहित नहीं हैं। वहां लोग कम आ रहे हैं और टीका की दवाइयां भी बर्बाद हो रही हैं, क्योंकि यदि एक व्यक्ति के लिए एक वॉयल खोला जाता है और दूसरा टीका के लिए सामने नहीं आता, तो वायल की अन्य टीका यूनिट बर्बाद हो जाती है। इसलिए केन्द्र सरकार को यह नहीं सोचना चाहिए कि किसी राज्य में तेज टीकाकरण होने से वे राज्य नाराज हो जाएंगे, जहां टीकाकरण कम हो रहा है। जैसे अभी महाराष्ट्र और पंजाब में स्थिति सबसे बदतर है, तो वहां 18 साल की उम्र से बड़े सभी लोगों को टीका दे दिया जाय। कोरोना की विकरालता को देखते हुए उम्र की सीमा तय की जाए। टीका केन्द्रों पर ज्यादा भीड़ को रोकने के लिए उम्र के रेंज को जरूरत के अनुसार बदलते रहना चाहिए। उम्मीद है लॉकडाउन के समय पूरे देश को इकाई मानते हुए जो गलती केन्द्र सरकार ने की थी, वह गलती टीकाकरण के मामले में नहीं करेगी। (संवाद)
कोरोना की दूसरी लहर
टीकाकरण की रणनीति बदलनी होगी
उपेन्द्र प्रसाद - 2021-03-24 12:02
भारत कोरोना की दूसरी लहर की चपेट में है। यदि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की बात की जाय, तो यहां कोरोना की चौथी लहर चल रही है। यह लहर देश में उस समय शुरू हुई, जब जनवरी के मध्य में टीकाकरण की शुरुआत की गई। उस समय देश में प्रति दिन कोरोना संक्रमण के शिकार हो रहे लोगों की संख्या 10 हजार से भी कम हो गई थी। दिल्ली में तो यह प्रतिदिन सौ-सवा सौ के बीच थी। लेकिन अब प्रतिदिन कोरोना का संक्रमण 50 हजार के पास पहुंचने वाला है और दिल्ली में यह आंकड़ा प्रतिदिन 11 सौ के पार हो चुका है।