चूंकि इनका काम घर के भीतर रहता है इसलिए संक्रमण फैलने के भय से अधिकांश परिवारों ने उन्हें आने से मना कर दिया है। इस स्थिति के चलते बहुसंख्यक कामकाजी महिलाएं और उनके परिवार भुखमरी की कगार पर हैं। चूंकि बहुसंख्यक मामलों में उनके परिवारों के पुरूष सदस्य भी बेरोजगार हो गए हैं, इसलिए उनकी स्थिति और चिंताजनक हो गई है।

न सिर्फ मध्य प्रदेश अपितु पूरे देश में डोमेस्टिक वर्कर्स की स्थिति खराब है। दिल्ली में हुए एक सर्वेक्षण के अनुसार 63 प्रतिशत से ज्यादा कामकाजी महिलाएं बेरोजगार हो गई हैं। कोरोना की पहली लहर में भी कामकाजी महिलाएं बड़ी संख्या में बेरोजगार हो गईं थीं। वैसे भी सामान्य समय में भी कामकाजी महिलाओं की जो कमाई होती है उससे उनका गुजारा ठीक से नहीं हो पाता। दिल्ली में हुए सर्वेक्षण में एक महिला ने बताया कि वह दो घरों में काम करती है और आठ घंटे काम करने के बाद भी उसकी कमाई तीन हजार रूपये महीने से ज्यादा नहीं हो पाती है। इसमें से भी 1500 रूपये मकान का किराया देना पड़ता है।

जिन्होंने कामकाजी महिलाओं का अपने घरों में प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया है, वे उन्हें सामान्य समय में जितना पारिश्रमिक देते थे, उसका 50 प्रतिशत उस समय तक देते रहें जब तक कोरोना के कारण उनका घरों में प्रवेश प्रतिबंधित है।

साधारणतः वे ही परिवार अपने घरेलू कामों के लिए कामकाजी महिलाओं को रखते हैं जो बड़े व्यवसायी, बड़े जमींदार, शासकीय अधिकारी-कर्मचारी हैं। ऐसे अधिकांश परिवारों में पति-पत्नि दोनों कमाते हैं। मेरी राय है कि इन परिवारों के लिए इस दौर में भी डेढ़-दो हजार रूपये महीना प्रतिमाह इन डोमेस्टिक वर्कर्स को देना मुश्किल नहीं होगा।

वैसे ही लॉकडाउन के कारण इनके मासिक व्यय में काफी कमी आ गई है। यदि उनके पास वाहन है, तो उनका पेट्रोल-डीजल का खर्च लगभग न के बराबर हो गया है। इसी तरह ये परिवार महीने में एक-दो बार होटल या सिनेमा देखने जाते हैं। यह खर्च भी शून्य हो गया है। बार, शराब दुकानें, ड्राई क्लीनिंग की दुकानें, ब्यूटी पार्लर, कपड़े व जूते चप्पल के शोरूम, मोबाइल व इलेक्ट्रानिक सामग्री की दुकानें बंद हैं। आईस्क्रीम-कोल्ड ड्रिंक्स ब्रेड-बिस्किट आदि पर होने वाला व्यय भी नहीं हो रहा है। विवाह-जन्म दिन आदि की पार्टियां सब बंद हैं। अतः इनके आयोजन एवं इनमें उपहार देने पर होने वाला खर्च भी बच रहा है।

चूंकि परिवारों के उक्त व्यय नहीं हो रहे हैं इसलिए वे इन डोमेस्टिक वर्कर्स को डेढ़-दो हजार रूपये महीना प्रतिमाह आसानी से दे सकते हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि में मध्यम एवं उच्च वर्ग सुख-दुख देने वाले इन श्रमिकों के कठिन समय में उन्हें अवश्य ही सहारा देंगे। (संवाद)