ज्ञात हो कि यूपीए एक के कार्यकाल में ज्यादा बोलने की कीमत मणिशंकर अयैर केा पेट्ोलियम मंत्रालय खो कर चुकानी पड़ी थी।जब मणिशंकर अयैर के पास सिर्फ पंचायती राज मंत्रालय रह गया तभी वह ज्यादा बोलने से बाज नहीं आए उन्होंने राष्ट्मंडल खेलों पर हो रहे खर्च को बेकार मानते हुए खेलो के आयोजन पर कड़ी टिप्पणी की थी।तत्कालीन खेल मंत्री उनके निशाने पर थै। वे अपनों से ही दूर होते चले गए। यूपीए टू की सरकार में विदेश राज्यमंत्री शशि थरूर अपने बड़ बोलेपन के कारण चर्चा में रहे।उन्होंने भी फालतू बोल बोल कर अपने साथी मंत्रियों केा नाराज कर दिया।उनके बयान की बजह से कांग्रेस और सरकार को कई मौके पर शर्मींदगी उठानी पड़ी।अतंतः इसकी कीमत श्री थरूर केा एक दूसरे प्रकरण में वसूल ली गयी।जयराम रमेश पहले भी बीटी बैंगन पर दो मंत्रालय से पंगा ले चुके हैं।सड़क व परिवहन मंत्री कमलनाथ की फाइलें भी जयराम रमेश के पर्यावरण वन मंत्रालय ने रोक रखी थीं।जिसको लेकर दोनों मंत्रियों में तलवारें खिंची हुई हैं।जयराम रमेश ने इस बार अपनी टिप्पणी से गृह मंत्रालय को नाराज कर दिया है।
भारत में चीन के निवेश के बारे में गृह मंत्रालय की पेईचिंग में आलोचना किए जाने के पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश के आचरण की बीजेपी ने कड़ी आलोचना करते हुए उनके इस्तीफे की आज मांग की। पार्टी प्रवक्ता प्रकाश जावेडकर ने यहां कहा कि चीन में जाकर एक केन्द्रीय मंत्री के रूप में अपनी ही सरकार की नीतियों की आलोचना करना अत्यधिक आपत्तिजनक है। यह मंत्री के आचरण के अनुरूप नहीं है। प्रधानमंत्री को अपने मंत्रियों में मची आपसी कलह पर सफाई देने और कार्रवाई करने की जरूरत है। यह पूछे जाने पर कि क्या बीजेपी रमेश से इस्तीफे की मांग करती है,तो उन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर, अगर प्रधानमंत्री उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं करते तो हम इस्तीफे की मांग करेंगे।
बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि यह बात जगजाहिर है कि चीनी हैकरों ने भारतीय वेबसाइटों को निशाना बना रखा है इसलिए गृह मंत्रालय की ओर से ऐसा दिशा-निर्देश जारी करना एकदम सही कदम है। रमेश ने पेईचिंग में शनिवार को कहा था कि भारत को चीन के निवेश के बारे में और अधिक नरम रुख अपनाना चाहिए तथा अनावश्यक बाधाओं को समाप्त करना चाहिए। हम बेवजह खौफ खा रहे हैं, जिसकी कोई जरूरत नहीं है।
गृह मंत्रालय ने भी रमेश को उनकी टिप्पणी के लिए झिड़की लगाई और कहा कि चीनी कंपनियों के साथ कोई भेदभाव नहीं किया जा रहा है। गृह सचिव जीके पिल्लई ने कहा है कि यह कहना गलत है कि सुरक्षा प्रतिष्ठान चीनियों के खिलाफ भेदभाव वाला रुख रखते हैं। उन्होंने कहा कि चीनी कंपनियां पहले से ही काफी संख्या में भारत में मौजूद हैं।
कांग्रेस भी रमेश की टिप्पणियों पर नाराज है।इस बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस प्रवक्ता शकील अहमद ने कहा मंत्री को वापस आने दीजिए और स्पष्ट करने दीजिए कि उन्होंने क्या कहा है। वह ही बता सकते हैं कि उन्होंने जो कुछ कहा क्या उसके बारे में कोई भ्रम है।और हम पेईचिंग के साथ लगातार रचनात्मक संबंध चाहते हैं।’
सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने चीन के संदर्भ में भारतीय गृह मंत्रालय पर आलोचनात्मक टिप्पणियां करने के लिए जयराम रमेश की आज खिंचाई की और नसीहत दी कि वह दूसरे मंत्रालयों की कार्यप्रणाली पर टिप्पणी न करें।
भारी पड़ सकता है जयराम को अन्य मंत्रालयों से पंगा लेना
एस एन वर्मा - 2010-05-10 09:38
नई दिल्ली। दस जनपथ के करीबी मंत्रियों को लगता है कि उन्हें बेलगाम बोलने की आजादी मिल गयी है।मणिशंकर अयैर के नक्शे कदम पर अब जयराम रमेश चलने लगे हैं।पहले वह देश मे बोलते थे लेकिन इस बार वह विदेश ,वह भी चीन में अपने ही देश के एक मंत्रालय के खिलाफ बोल गए हैं। जयराम रमेश को इसी तरह का बड़बोलापन एक दिन भारी पड़ सकता है।शशि थरूर को फालतू बोलने की सजा सुनंदा प्रकरण के साथ जुड़ कर मिल चुका है।अब जयराम रमेश की बारी आ रही है।बीजेपी ने उनसे इस्तीफा मांगा है। कांग्रेस भी उनके साथ नहीं है। सूत्रों की माने तो प्रधानमंत्री भी उनको झिड़की लगा चुके हैं।