कहने का मतलब यह है कि यह एक बहुत बड़ी धटना है, जिसके बारे में देश को सच जानना ही चाहिए, लेकिन सच जानने के लिए मामले की जांच जरूरी है। पर जांच के लिए केन्द्र सरकार तैयार नहीं। सरकार इस पर चर्चा तक से बचना चाह रही है और गोदी मीडिया के माध्यम से देश को समझाने की कोशिश कर रही है कि यह कोई मसला है ही नहीं।

पेगासस का खुलासा ‘फॉर्बिडेन स्टोरी’ नाम की एक फ्रांसीसी संस्था और अमनेस्टी इंटरनेशनल ने किया है। खुलासा सिर्फ भारत के लोगों की जासूसी का नहीं किया गया है, बल्कि दुनिया भर के लोगों की की जा रही जासूसी की बातें सामने आई हैं। फ्रांस में मीडियापार्ट न्यूज पोर्टल के रहस्योद्घाटन के बाद भारत के राफेल सौदे की जांच की घोषणा के बाद यह पेगासस विस्फोट हुआ है। मजे की बात यह है कि जिन लोगों की जासूसी की जा रही थी, उनमें फ्रांस के राष्ट्रपति भी शामिल हैं। वैसे फ्रांस ने इसकी जांच की शुरुआत कर दी है।

पेगासस कंपनी का दावा है कि वह जासूसी का अपना सॉफ्टवेयर और सेवा सिर्फ सरकारों को ही बेचती है। सरकारें जासूसी के इस यंत्र का इस्तेमाल कर आतंकवादी गतिविधियों का नियंत्रित करें, यह पेगासस कंपनी का घोषित उद्देश्य है। हां, उसकी सेवा का इस्तेमाल करने वाली सरकारों से सेवाशुल्क भी वसूल किया जाता है। एक अनुमान के अनुसार 300 लोगों की जासूसी करने और करवाने के लिए 300 करोड़ रुपये खर्च होते हैं। सवाल उठता है कि 300 भारतीयों की जासूसी करवाने के लिए 300 करोड़ रुपये का खर्च किसने वहन किया? यदि पेगासस कंपनी के खाते की जांच की जाय, तो पला चल जाएगा कि वे 300 करोड़ रुपये किसने उसे दिए और जिसने उसे वह रकम दी, निश्चय रूप से वही व्यक्ति या संस्था जासूसी करवा रही थी।

भारत में शक की सूई मोदी सरकार की ओर ही गया है। वैसे भी सिर्फ सरकारें ही पेगासस की उस सेवा का खरीद सकती हैं, तो फिर किसी गैर सरकारी संस्था या व्यक्ति का वह काम तो हो नहीं सकता। वैसे भारत में राज्य सरकारें भी हैं और कोई यह कह सकता है कि यह काम किसी राज्य सरकार का रहा हो। इसे साबित करने के लिए भी जांच की जरूरत है, पर मोदी सरकार जांच से भाग रही है और इसके कारण यह शक और भी बढ़ रहा है कि कहीं उसी का हाथ तो नहीं है इस जासूसी में।

एक सांसद ने सुप्रीम कोर्ट मे याचिका दायर कर इसकी जांच की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट क्या करता है, इसके बारे में अभी कुछ भी नहीं कहा जा सकता। पश्चिम बंगाल में इस जासूसी से संबंधित एक प्राथमिकी दर्ज की गई है, लेकिन इस जासूसी में इजरायल की एक कंपनी शामिल है, इसलिए यह कहना कठिन है कि पश्चिम बंगाल की पुलिस इसकी जांच करवाने में सक्षम है भी या नहीं, क्योंकि जांच को आगे बढ़ाने के लिए केन्द्र की सहायता जरूरी है और केन्द्र सरकार की इसकी जांच में कोई दिलचस्पी ही नहीं।

पेगासस कंपनी कह रही है कि वह अपनी जासूसी की सेवा सिर्फ सरकारों को ही देती है और उधर खुद फ्रांस के राष्ट्रपति की जासूसी हो रही है। अब फ्रांस सरकार खुद तो राष्ट्रपति की जासूसी नहीं करवा सकती, क्योंकि वहां राष्ट्रपति ही सरकार है, तो क्या कोई दूसरे देश की सरकार फ्रांस के राष्ट्रपति की जासूसी करवा रही थी? फ्रांस में जांच का काम शुरू हो गया है और बहुत संभव है कि उस जांच से कुछ खुलासा हो। यह पता चल जाएगा कि किस देश की सरकार फ्रांस के राष्ट्रपति की जासूसी करवा रही थी।

फ्रांस के राष्ट्रपति के अलावा पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की भी जासूसी की जा रही थी। अब इमरान खुद पाकिस्तान की सरकार नेतृत्व कर रहे हैं, तो वे खुद तो अपनी जासूसी करवा नहीं सकते। वे भारत सरकार पर आरोप लगा रहे हैं कि उनकी जासूसी भारत करवा रहा था। वहां भी जांच के आदेश दिए गए हैं, लेकिन क्या इजरायली कंपनी पेगासस से इमरान यह जानकारी प्राप्त करने में सक्षम हैं कि उनकी जासूसी कौन करवा रहा था? वैसे पाकिस्तान में सेना की समानांतर सरकार भी चलती है, इसलिए इस संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि पाकिस्तानी सेना की जासूसी एजेंसी आईएसआई ही इमरान की जासूसी करवा रही हो।

‘फॉर्बिडेन स्टोरी’ दुनिया के अनेक मीडिया संगठनो का एक जमावड़ा संगठन है। उसने यह बता दिया है कि किन किन लोगों के फोन की जासूसी की जा रही थी। उस संगठन का कार्यालय फ्रांस में है, जहां इससे जुड़ी जांच शुरू भी हो गई है। वैसे मीडिया संगठन अपने स्रोत की जानकारी किसी जांच एजेंसी को देने के लिए कानूनी रूप से बाध्य नहीं है, लेकिन सच को सामने लाने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए संगठन यह जरूर बताएगा कि किस- किस के कहने प किस-किसकी जासूसी की जा रही थी। शर्त यही है कि इसकी जानकारी ‘फॉर्बिडेन स्टोरी’ के पास हो। लेकिन चूंकि उसने अनेक जानकारियां हासिल कर ली है, तो उम्मीद की जानी चाहिए कि शेष जानकारियां भी उसने अपने स्रोतों से प्राप्त कर ली होगी ओर वह फ्रांस की जांच एजेंसी को उसे उपलब्ध करवा देंगी। विकल्पतः वह शेष जानकारियों को लोगों के सामने खुद ही उसी तरह जाहिर कर देगी, जिस तरह उसने पहले जाहिर की है। अतः मोदी सरकार जांच करवाए या न करवाए, लेकिन यह जासूसी किसकी कारस्तानी है, यह उजागर होकर रहेगा। (संवाद)