लेकिन खुशी इस बात की है कि त्वरित कार्रवाही, समय पर पहुंचा राहत दल और तुरंत मदद करने की काश्मीरियांे की सेवा भावना ने हमें यमराज के दरवाजे से धरती पर वापस लौटा दिया। मौत से हुए इस साक्षात्कार ने हमें कश्मीरीयों की आतिथ्य सेवा भावना, असीम प्यार और सद्भाव-सत्कार ने हमें मोहित और अभिभूत कर दिया।

यह वाकया 25 अप्रैल दोपहर की है जब मैं, अपनी पत्नी, बेटा और कश्मीर के एक स्थानीय निवासी मित्र के साथ श्रीनगर के विश्वविख्यात डल झील में बाॅब मार्ली नामक शिकारा में सवार होकर सागर की गहराइयों में खो रहे थे कि उसी दरम्यान दस मिनट की बारिश हुई और फिर आसमान साफ हो गया। लेकिन अचानक आए एक हल्के तूफान ने हमारे शिकारा को अपने आगोश में ले लिया और नाव तुरंत ही पलट गयी। देखते ही देखते ही राहत दल के सदस्यों की सक्रियता चमत्कारिक तेजी से दिखने लगी। यह देखकर हम आश्चर्यचकित थे जब गोताखोर लंगूरों की तरह सैकड़ों फीट की उड़ान लेकर ठंडे पानी में गोता लगाकर हमें गहरी झील से बाहर निकाल लाए और हम यमराज के दरवाजे से वापस आ गए।

यह सब एक नाटकीय एकाकी की तरह हुआ और हम यह देखकर भौंचक थे। एक ओर हम मौत से जूझकर नई जिंदगी पाने की खुशी में थे कि दूसरी खुशी का कारण यह आभासित हुआ कि यहां के लोग इतने सजग और तीव्र राहत पहुंचाने वाले और आतिथ्य का आदर करने वाले हैं। हम जब पानी से बाहर निकले तो कई लोग गर्म कपड़े लेकर हमें पहनाने लगे। इतने ही देर में मोटर बोट से पुलिस का राहत दल भी पहुंच गया। झील किनारे हमारी गाड़ी हमारा इंतजार कर रही थी। सब कुछ अविस्मरणीय और आश्चर्यजनक था।

पुलिस ने हमसे आवश्यक जानकारी हासिल की। बिना देर किये हुए जम्मू-कश्मीर टूरिज्म कारपोरेशन की कार हमें होटल में छोड़ने चल दी। यहीं नहीं कार के ड्राइवर मोहम्मद अशरफ ने बिना कुछ कहे स्वयं संज्ञान लिया और कार का हीटर चला दिया जो रास्ते भर हमें गर्म रखे रहा, इससे झील में डूबने का ठंड गायब हो गया। बहुत ही अपनापन का अहसास था यह ।

हमारे साथ जो घटित हुआ वह हमें ही एक कल्पित कहानी की तरह प्रतीत होने लगा। अपनी आंखों और मन को यह विश्वास ही नहीं हो रहा था कि इतनी जल्दी और तेजी से भी कोई कार्य भी हो सकता है। श्रीनगर और डल झील के आसपास रहने वाले लोग और युवा अच्छे सेवाभावी हैं। हम उन युवाओं को हार्दिक धन्यवाद देते हैं जिन्होंने हमें यमराज के दरवाजे से वापस लाने में अपना सर्वस्व अर्पित किया। हम डल झील के आपदा प्रबंधन विभाग की भी प्रशंसा करते हैं जिसकी त्वरित कार्यप्रणाली से हमने नवजीवन पाया। हम उन सभी को हार्दिक धन्यवाद और सलाम करते हैं जिन्होंने हमें बचाया।

इस चमत्कारिक घटना ने हमें एक संदेश दिया कि यदि हमारी नाव बीच झील में होती तो क्या नाविक और गोताखोर हमें बचाने इतनी जल्दी आ जाते? क्या बचाव दल हमारे पास इतनी जल्दी पहुंच पाती और हम समय रहते बचा लिए जाते। हमारे जीवन का चमत्कारिक क्षण था यह।
श्रीनगर के स्थानीय निवासियों ने हमें बताया कि डल झील में हर साल पर्यटक सीजन के दौरान एक-दो लोगों की मौत इसी तरह की दुर्घटनाओं के कारण होती हैं जैसा कि हमने अनुभव किया। इसका एकमात्र समाधान यह है कि झील में मौजूद सभी शिकारों में लाईफ गार्ड जैकेट उपलब्ध कराये जाएं ताकि इस तरह की दुर्घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो सके जैसा कि हमारे साथ हुआ।

यदि हमारे शिकारा में लाइफ गार्ड जैकेट उपलब्ध होता तो शायद हमारे साथ भी वह नहीं होता जो कि एक टूरिस्ट को सुरक्षा प्रदान के लिए जरूरी है। जम्मू-कश्मीर पर्यटन विकास निगम को ऐतिहासिक विश्व विख्यात डल झील की गरिमा और महत्व को कायम रखने के लिए सभी शिकारों में लाइफ गार्ड बिना देर किये उपलब्ध करा देना चाहिए।
हमें आशा है कि जम्मू-कश्मीर पर्यटन विकास निगम और इसके नियंता इस ओर गंभीरता से सोचेंगे और लाइफ गार्ड जैकेट की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के लिए त्वरित कार्रवाई करेंगे। इससे डल झील में आने वाले पर्यटकों का आत्म विश्वास बढ़ेगा और ज्यादा से ज्यादा पर्यटक निश्ंिचत होकर डल झील की सैर करके आनंदित होंगे।