पंचक में पांच वर्जित कार्य -
शास्त्रों ने पंचक में इन पांच कार्य को सर्वथा वर्जित माना गया है| इसमें लकड़ी एकत्र करना, दक्षिण दिशा की यात्रा, शव का अन्तिम संस्कार, छत डालना, चारपाई बनवाना शुभ नहीं माना है| ऋषि गर्ग ने कहा है कि शुभ या अशुभ जो भी कार्य पंचकों में किया जाता है। वह पांच गुणा करना पडता है। इसलिये अगर किसी व्यक्ति की मृ्त्यु पंचक अवधि में हो जाती है तो शव को शमशान में ले जाकर स्नान कराकर पांच पुतले कुश के बनाकर फिर इनको कलावे के धागे से लपेटकर जौ के आटे से लेपकर पञ्च प्रेत के नाम (प्रेतवाह, प्रेतसख, प्रेतप, प्रेतभुमिप, प्रेत हर्ता) नाम बोल कर चिता संस्कार करना चाहिए|

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इन नक्षत्र समय में इनमें से कोई भी कार्य करने पर, उक्त कार्य को पांच बार करना पड़ सकता है। इसी कारण इन्हे पंचक कहा है। इसमें कोई भी कार्य करते समय इसीलिए विशेष ध्यान रखने की बात कही गयी है। घनिष्टा नक्षत्र में इनमें से कोई काम करने पर अग्नि का भय रहता है। शतभिषा नक्षत्र में कलह, पूर्वा भाद्रपद में रोग, उतरा भाद्रपद में जुर्माना, रेवती में धन हानि होती है।
ये पांचो नक्षत्र 27 दिनों में एक बार आते हैं एवम् इनमे से भारतीय संस्कार में अधिकांश शुभ कर्मो में इनका प्रयोग होता है। इनमें से दो नक्षत्र उत्तर भाद्रपद एवम् रेवती का तो अधिकांश शुभ एवम् मांगलिक कार्यो में प्रयोग होता हैं। इन पंचक नक्षत्रों का किसी वार को पड़ने पर भी शुभ योगों का निर्माण होता है।

1. घनिष्ठा और योग
घनिष्ठा नक्षत्र रविवार को हो तो मातंग योग बनता हैं जो कुल की वृद्धि करता है। सोमवार को होने पर अमृत योग, बुधवार को होने पर मैत्री योग, गुरुवार को होने पर श्री वत्स योग, शुक्रवार को होने पर प्रजापति योग, तथा शनिवार को होने पर प्रवर्धमन योग होता है।

2. शतभिषा और योग - सोमवार को शतभिषा होने पर अमृत योग, बुधवार को होने पर मानस योग, शुक्रवार को होने पर सुधाकर योग, शनिवार को होने पर आनंद योग होता है।

3. पूर्व भाद्रपद और योग - रविवार को होने पर चर योग, सोमवार को अमृत योग, तथा बुधवार को पदम् योग सभी चार कार्यो में अति लाभदायक है तथा शुक्रवार को अमृत योग होता है।

4. उत्तर भाद्रपद और योग - रविवार को होने पर सर्वार्थ सिद्धि योग, सोमवार को अमृत योग, मंगलवार को सर्वार्थ सिद्धि योग, गुरुवार को छत्र योग, तथा शुक्रवार को होने पर ध्वजा योग बनता है।

5. रेवती और योग - रविवार को होने पर प्रवार्ध्मन योग, सोमवार को होने पर मातंग योग कुल वृद्धि कारक, मंगलवार को होने पर शुभ योग, गुरुवार को होने पर सर्वार्थ सिद्धि योग, शुक्रवार को होने पर श्री वत्स योग, एवम् शनिवार को होने पर प्रजापति योग बनता है जो सभी शुभ एवम मांगलिक कार्यो में शुभ रहते हैं। इस प्रकार देखा जाये तो पंचक कुछ कार्यों को छोड़कर अधिकांश कार्यो के लिए शुभ है।