यूपी में भाजपा की जीत का बिहार की राजनीति पर भी असर पड़ सकता है, क्योंकि जदयू के साथ भाजपा के संबंध बहुत ही तनावपूर्ण हो गए हैं। यदि भाजपा हारती है, तो नीतीश कुमार और उनका दल बिहार में भाजपा पर आक्रामक हमले करने लगेगा। यूपी में एक तीसरी स्थिति भी आ सकती है और वह है त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति। यदि भाजपा और सपा गठबंधन में से किसी को बहुमत नहीं आया, तो फिर घोड़ो का बाजार वहां लग सकता है। बसपा और कांग्रेस के जीते हुए चुनींदा विधायक ही नहीं, बल्कि रालोद पर भी भाजपा डोरे डाल सकती है और सपा गठबंधन से जीते हुए अन्य छोटे दलों के विधायकों को भी उसकी ओर से लुभाया जा सकता है। ऐसा करके भाजपा भले ही अपनी सरकार बना ले, लेकिन भाजपा के लिए वोट का जुगाड़ करने की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की छवि को भारी चोट पहुंचेगी।
उत्तर प्रदेश का नतीजा महत्वपूर्ण है, लेकिन पंजाब, गोवा और उत्तराखंड के नतीजे भी महत्वपूर्ण होगे। आम आदमी पार्टी इन तीनों प्रदेशों में बहुत ही गंभीरता से चुनाव लड़ रही है। उत्तराखंड और गोवा में वह सरकार बनाने के लिए तो नहीं, लेकिन अपने आपको राष्ट्रीय पार्टी के रूप में मान्यता दिलाने के लिए लड़ रही है। गौरतलब हो कि आम आदमी पार्टी अभी एक क्षेत्रीय दल है, जिसे भारत के निर्वाचन आयोग ने दिल्ली और पंजाब में मान्यता दे रखी है। किसी भी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का रुतबा हासिल करने के लिए कम से कम चार राज्यों में मान्यता प्राप्त करनी होती है।
किसी भी प्रदेश में किसी भी पार्टी को मान्यता प्राप्त करने के लिए कुछ शर्तों को पूरा करना पड़ता है। उनमें सभी नहीं, तो कम से कम एक शर्त को तो पूरा करनी ही होता है। एक शर्त यह है कि किसी प्रदेश में पार्टी को वहां पड़े कुल मतों का कम से कम 6 प्रतिशत हासिल करना होता है। यदि 6 प्रतिशत वोट नहीं भी मिले, तो वहां की प्रत्येक 25 विधानसभाओं में से एक विधानसभा पर जीत हासिल करनी होगा। यानी यदि किसी प्रदेश में 100 विधानसभा सीटें हैं और किसी पार्टी को 6 फीसदी वोट नहीं मिले, तो 4 सीटों पर विजय से भी काम चल जाएगा। और यदि एक भी सीट पर जीत नहीं हासिल हुई हो, तो 6 फीसदी वोट पाना ही पर्याप्त माना जाता है।
अब आम आदमी पार्टी की बात करें। दिल्ली में यह मान्यता प्राप्त पार्टी है। यहां वह वोट पाने की शर्त भी पूरी करती है और सीट पाने की शर्त भी। पंजाब में भी यह दोनों शर्तें पूरी करती है। इसलिए वह वहां भी मान्यता प्राप्त दल है। इस बार वह उत्तराखंड और गोवा में भी बहुत ही गंभीरता से चुनाव लड़ रही है। उत्तराखंड में मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच है। इसलिए सरकार तो उन्हीं दोनों में से किसी की बनेगी। लेकिन यदि आम आदमी पार्टी को कुल पड़े मतों का 6 प्रतिशत आ जाता है, तो उसे उत्तराखंड की पार्टी के रूप में भी निर्वाचन आयोग से मान्यता मिल जाएगी। और यदि उसे 6 फीसदी मत नहीं भी मिले, पर उसके 3 उम्मीदवार जीत गए तब भी वह एक मान्यताप्राप्त पार्टी उत्तराखंड के लिए स्वीकार कर ली जाएगी।
गोवा में 40 सीटों पर विधानसभा के लिए चुनाव हो रहे हैं। यदि वहां आम आदमी पार्टी को 2 सीटें भी मिल गई, तो वहां भी उसे राजनैतिक पार्टी के रूप में चुनाव आयोग से मान्यता मिल जाएगा। यदि किसी सीट पर नहीं जीती और कुल पड़े मतों का 6 प्रतिशत उसने हासिल कर लिया, तो फिर भी उसे वहां मान्यता मिल जाएगी। और यदि गोवा और उत्तराखंड में उसने मान्यता पाने लाय क प्रदर्शन कर लिया, तो फिर आम आदमी पार्टी को एक राष्ट्रीय पार्टी के रूप में मान्यता मिल जाएगी।
राष्ट्रीय पार्टी के रूप में आम आदमी पार्टी का उदय एक बड़ी राष्ट्रीय राजनैतिक घटना होगी। यह पार्टी भ्रष्टाचार के खिलाफ हुए एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन की उपज है। वह आंदोलन तो राष्ट्रव्यापी था, लेकिन यह पार्टी अभी तक राष्ट्रव्यापी नहीं हुई है। लेकिन राष्ट्रीय पार्टी बनने के बाद यह नैतिक और राजनैतिक रूप से भी राष्ट्रव्यापी बनने में सक्षम हो जाएगी। यदि पंजाब में उसकी सरकार बन गई, तो भ्रष्टाचार मुक्त सरकार और भ्रष्ट लोगों के खिलाफ एक्शन लेने वाली सरकार के रूप में यह अपने आपको स्थापित कर सकती है। दिल्ली केन्द्र शासित प्रदेश है और केन्द्र ने केजरीवाल सरकार को भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करने ही नहीं दिया। लेकिन पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार को केन्द्र नहीं रोक सकता। फिर भ्रष्टाचार एक राष्ट्रीय मसला बन सकता है। (संवाद)
क्या आम आदमी पार्टी का राष्ट्रीय पार्टी के रूप में होगा उदय
पंजाब में आप की जीत के होंगे व्यापक असर
उपेन्द्र प्रसाद - 2022-01-31 11:13
आगामी 10 मार्च को पांच राज्यो की विधानसभाओं के चुनावों के नतीजे सामने आ जाएंगे। यकीनन उत्तर प्रदेश सबसे महत्वपूर्ण राज्य है, जहां के चुनावी नतीजे देश की राजनीति पर व्यापक असर करने वाले हैं। वहां मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी के बीच है। यदि वहां भाजपा हार जाती है, तो देश राजनीति के एक नये युग में प्रवेश कर जाएगा। वहां की जीत भारतीय जनता पार्टी और खासकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए खास मायने रखती है। और यदि वहां भारतीय जनता पार्टी जीत जाती है, तो पश्चिम बंगाल में हारने के बाद भाजपा में जो हौसलापस्ती का दौर शुरू हुआ है, वह समाप्त हो जाएगा।