यूपीए सरकार के एक वर्ष का कार्यकाल सिवाय एक शिक्षा के अधिकार के लागू होने के अलावा किसी भी दृष्टिकोण से याद करने के लायक नहीं है।मंहगाई,नक्सलवाद,आतंकवाद व भष्ट्ाचार जैसी समस्या इस कार्यकाल में भी बरकार ही रही,कम भी नहीं हुई बल्कि बढ़ती ही गयी।मंहगाई से राहत न मिलने के कारण आम आदमी को जीवन से जुड़े अन्य आवश्यक चीजें दूर होती गयीं।शिक्षा का अधिकार तो लागू हो गया लेकिन गरीबों केा पर्याप्त रोजगार न मिलने के कारण उनके भूखे बच्चों केा अभी स्कूल तक पहुंचने मे कई वर्ष लग जाएंगे,यहां तक की एक पीढ़ी भी गुजर सकती हैं।सरकारी कार्यों में लापरवाही और ढिलाईपन अभी तक हावी है।सरकार अभी तक गरीबों का सही आंकड़ा नहीं जुटा पाई है।देश में निर्माण उद्योग तरक्की की राह पर हैं।बहुमंजिलें इमारतें बन रही हैं।दूसरी तरफ शहरों में र्झुिग्गयों की संख्या भी बढ़ रही हैं।निर्माण स्थल पर कार्य करने वाले महिला मजदूरों के बच्चों की शिक्षा की बात तो दूर उनके लालन पोषण और देखभाल करने की व्यवस्था तक नहीं की गयी है।एनजीओ कागजों में चल रहा है।आंगनवाड़ी उनकी पहंुच से दूर है।इतना जरूर है कि सरकारी विज्ञापनों में ये व्यवस्था दिल को राहत पहुंचाने वाली लगती है।हकीकत में यह सब कोसों दूर हैं।

देश का मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी ने यूपीए टू के कार्यकाल पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। राष्ट्ीय उपाध्यक्ष मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि यूपीए सरकार चौतरफा नाकामी का जश्न का वर्षगांठ मनाने जा रही है।उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान कांग्रेस ने ‘अतीत की नींव पर भविष्य का निर्माण’ का नारा दिया था जो अब ‘भष्ट्ाचार की नींव पर मंहगाई का निर्माण बन गया है।उन्होंने कहा कि यूपीए वन के पांच साल के कार्यकाल के मंहगाई,आतंकवाद,नक्सलवाद,भंष्टाचार आदि केा विरासत में यूपीए टू की सरकार को दिया था जिसे सरकार डबल करने में लगी हुई है।

सीपीएम के महासचिव प्रकाश करात का कहना है कि यूपीए टू की सरकार मंहगाई काबू इसलिए नहीं पा सकी क्योंकि वह धन्ना सेठो की गोद मंे बैठी हुई है।गरीब टैक्स की मार झेल रहे हैं जबकि कारपोरेट घरानों केा टैक्स में छूट मिल रही है।सरकार स्पेक्ट्म टू जी और आईपीएल जैसी अनेक मामलों केा ले कर विवादों में रही।विदेश नीति अमेरिका के इर्द गिर्द ही रही।सरकार अमेरिका के जाल से बाहर नहीं आ सकी।बजट सत्र में कटौती प्रस्ताव केा ले कर सरकार को शर्मीदंगी उठानी पड़ी।हालाकि वह छोटी छोटी पार्टियों के समर्थन से जीत हासिल कर ली।लेकिन यह सरकार की नाकामी को दर्शाता है।