इस सर्वेक्षण में (1) जम्मू और कश्मीर के लेह (लद्दाख) एवं कारगिल जिले, (2) नागालैंड में बस मार्ग से पांच कि.मी. से अधिक दूरी पर बसे दूरदराज के गांवों तथा (3) अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के वर्षभर दुर्गम्य रहने वाले गांवों को छोड़कर संपूर्ण भारतीय संघ को शामिल किया गया है ।

इस सर्वेक्षण का उद्देश्य मलिन बस्तियों की वर्तमान स्थिति तथा उन बस्तियो में उपलब्ध सुविधाओं की स्थिति में हाल में यदि कोई परिवर्तन हुआ हो, तो इसके बारे में सूचना एकत्रित करना था । "अधिसूचित मलिन बस्तियों" -वैसे क्षेत्र जो नगरपालिका, निगमों, स्थानीय निकायों अथवा विकास प्राधिकरणों द्वारा मलिन बस्ती के रूप में अधिसूचित किए गए हैं तथा "गैर-अधिसूचित मलिन बस्तियों" - वैसी गैर-अधिसूचित मलिन बस्तियां जो घने शहरी क्षेत्र में बेतरतीब तरीके से बने चाल के समूह, जिनमें से अधिकतर चाल अस्थायी प्रकृति के, घनी बसावट वाले तथा अस्वास्थ्यकर परिस्थितियों में अपर्याप्त स्वच्छता व पेयजल वाले हैं - में सर्वेक्षण किए गए थे।

वर्तमान रिपोर्ट शहरी मलिन बस्तियों की स्थिति प्रस्तुत करती है, जिसमें स्वामित्व, क्षेत्र के प्रकार, बनावट, बस्ती के भीतर एवं बस्ती को जोड़ने वाली सड़क, जीवन निर्वाह की सुविधाए, जैसे कि बिजली, पेयजल, शौचालय, मल-व्यवस्था, जल-निकास, कचरे की व्यवस्था, तथा नजदीकी प्राथमिक स्कूल एवं सरकारी अस्पतालस्वास्थ्य केंद्र से दूरी को शामिल किया गया है । इस रिपोर्ट में वैसी मलिन बस्तियों के समानुपात का भी अनुमान लगाया गया है जहाँ सर्वेक्षण की तिथि से पांच वर्ष पहले की अवधि के दौरान कतिपय विशिष्ट सुविधाओं में सुधारह्यास हुआ है ।

इस विषय पर व्यापक आंकड़े एनएसएसओ ने पिछली बार अपने 58वें दौर (जुलाई-दिसंबर, 2002) में एकत्रित किए थे । वर्तमान रिपोर्ट में तुलना हेतु 58वें दौर के मुख्य सूचकों को भी दर्शाया गया है ।

इस सर्वेक्षण के कुछ मुख्य निष्कर्ष निम्नानुसार है:

· 2008-09 में शहरी भारत में लगभग 49 हजार मलिन बस्तियों का अनुमान रहा, जिसमें से 24% नालों एवं नालियों के किनारे तथा 12% रेलवे लाइनों के किनारे अवस्थित थीं ।

· लगभग 57% मलिन बस्तियां स्थानीय निकायों, राज्य सरकार आदि की भूमि पर बनाई गई थीं ।

· 64% अधिसूचित मलिन बस्तियों में से अधिकतर मकान पक्के थे, तथा 50% गैर-अधिसूचित मलिन बस्तियों में से अधिकतर मकान पक्के थे।

· 95% मलिन बस्तियों के पेयजल का मुख्य रुाोत नल अथवा ट्यूब वेल था ।

· सिर्फ 1% अधिसूचित एवं 7% गैर-अधिसूचित मलिन बस्तियों में बिजली का कनेक्शन नहीं था ।

· लगभग 78% अधिसूचित मलिन बस्तियों एवं 57% गैर-अधिसूचित मलिन बस्तियों के भीतर पक्की सड़क थी।

· लगभग 73% अधिसूचित एवं 58% गैर-अधिसूचित मलिन बस्तियों के भीतर गाड़ी प्रवेश करने लायक सड़क थी।

· लगभग 48% मलिन बस्तियां मॉनसून के दौरान सामान्यत: जल-जमाव से प्रभावित थीं, जिसमें से 32% बस्ती के भीतर तथा उसे जोड़ने वाली सड़क जलमग्न हो जाती है, 7% बस्तियां ऐसी थीं जहां बस्ती तो जलमग्न हो जाती है परंतु उसे जोड़ने वाली सड़क नहीं, 9% बस्तियां ऐसी हैं जहां मॉनसून में सिर्फ बस्ती को जोड़ने वाली सड़क जलमग्न होती है ।

· 2002 से 2008-09 के दौरान शौचालय सुविधा के मामले में मलिन बस्तियों में सफाई प्रबंध में यथोचित सुधार हुआ है । 68% अधिसूचित एवं 47% गैर-अधिसूचित मलिन बस्तियों (2002 के क्रमश: 66% एवं 35% से अधिक) में सेप्टिक टैंक (अथवा इसी प्रकार की सुविधा) वाले शौचालय उपलब्ध थे । दूसरी तरफ, 10% अधिसूचित एवं 20% गैर-अधिसूचित बस्तियों ( 2002 के 17% एवं 51% से कम) में शौचालय की कोई सुविधा नहीं थी ।

· लगभग 10% अधिसूचित एवं 23% गैर-अधिसूचित बस्तियों में जल निकासी की कोई सुविधा नहीं थी । 2002 में अधिसूचित एवं गैर-अधिसूचित मलिन बस्तियों के लिए यही अनुपात क्रमश: 15% एवं 44% था । लगभग 39 ऽ अधिसूचित बस्तियों (2002 में 25%) तथा 24% गैर-अधिसूचित बस्तियों (2002 में 13%) में भूमिगत जल निकासी प्रणाली अथवा पक्की सामग्री से बनी जल निकासी प्रणाली मौजूद थी ।

· लगभग 33% अधिसूचित मलिन बस्तियों (2002 में 30%) तथा 19% गैर-अधिसूचित बस्तियों में (2002 में 15%) भूमिगत मल -जल -व्यवस्था थी ।

· 75% अधिसूचित एवं 55% गैर-अधिसूचित मलिन बस्तियों से सरकारी एजेंसियां कूड़ा लेती थी । इन बस्तियों में 93% अधिसूचित एवं 92% गैर-अधिसूचित मलिन बस्तियों में 7 दिनों में कम से कम एक बार कूड़ा लिया जाता था । लगभग 10% अधिसूचित एवं 23% गैर-अधिसूचित मलिन बस्तियों में कूड़े को निपटाने की कोई नियमित व्यवस्था नहीं थी ।

· पिछले पांच वर्षों में सड़क (बस्तियों के भीतर की तथा उस जोड़ने वाली दोनों ही प्रकार की सड़कें) तथा जल आपूर्ति के मामले में लगभग 50% अधिसूचित मलिन बस्तियों में सुविधाओं में सुधार हुआ है । पिछले पांच वर्षों के दौरान अधिसूचित बस्तियों में किसी भी प्रकार की मौजूदा सुविधा में ह्यास की घटना काफी कम (लगभग 6% अथवा उससे भी कम) रही ।

· अधिकतर मलिन बस्तियों की सुविधाओं- मल -जल -व्यवस्था तथा चिकित्सा सुविधाओं को छोड़कर 20% से अधिक गैर-अधिसूचित मलिन बस्तियों में पिछले पांच वर्षों के दौरान सुविधाओं में सुधार हुआ है । अधिसूचित बस्तियों के जैसे ही गैर-अधिसूचित बस्तियों में मौजूदा सुविधाओं में बहुत ही मामूली ह्यास (लगभग 9 % अथवा उससे भी कम) हुआ है ।

· 10 % से अधिक अधिसूचित बस्तियों में सर्वेक्षण के समय तथा उससे 5 वर्ष पहले भी स्ट्रीट लाइट, शौचालय, जल निकासी व्यवस्था, मल जल व्यवस्था, चिकित्सा सुविधा जैसी सुविधाओं का अभाव बताया गया। 20% से अधिक गैर-अधिसूचित बस्तियों में सर्वेक्षण के समय तथा उससे 5 वर्ष पहले भी स्ट्रीट लाइट, शौचालय, जल निकासी व्यवस्था, मल जल व्यवस्था, कूडे से निपटने की व्यवस्था जैसी सुविधाओं का अभाव बताया गया।

· पिछले 5 वर्षों के दौरान जहां सुधार हुए हैं , वह अधिसूचित एवं गैर-अधिसूचित दोनों प्रकार की 80-90% मलिन बस्तियों में सरकारी प्रयासों के कारण हुए हैं । जहां पर शैक्षिक सुधार हुआ है वहां 13% अधिसूचित मलिन बस्तियों में गैर-सरकारी संगठनों के प्रयासों के कारण प्राथमिक स्तर पर शैक्षणिक सुविधाओं में सुधार हुआ है । गैर-अधिसूचित मलिन बस्तियों में शौचालय एवं मल -जल -व्यवस्था में सुधार के लिए भी गैर-सरकारी संगठनों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।