डॉ. सारस्वत ने कहा कि सेनाओं को आयातित प्रणालियों को पाने की लालसा पर काबू पाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोई भी विदेशी प्रणाली हमारी दीर्घावधि आवश्यकताओं को पूरी तरह से हल नहीं कर सकती। डॉ. सारस्वत ने कहा कि डीआरडीओ सशस्त्र बलों को स्वदेशी अत्याधुनिक हथियार को अपनाने के लिए दबाब नहीं डाल सकता।

उन्होंने कहा कि रक्षा प्रणालियों में आत्म-निर्भरता के स्तर के लिए डीआरडीओ लंबे समय से उत्तरदायित्व निभा रहा है लेकिन यह समझना भी जरूरी है कि आत्म-निर्भरता की जिम्मेदारी मंत्रालय के सभी पणधारकों द्वारा बाँटी जानी चाहिए।

रामा राव समिति के प्रस्तावों का अनुसरण करते हुए डीआरडीओ के पुनर्गठन की रक्षा मंत्रालय की पहल और रक्षा उद्योग में निजी क्षेत्र की भागीदारी की नीति का स्वागत करते हुए डॉ. सारस्वत ने कहा कि इससे हथियारों और रक्षा हार्डवेयर के आयात से होने वाला दबाब कम होगा।

डॉ.सारस्वत ने उम्मीद जताई कि 5 हजार किलोमीटर तक की मारक क्षमता रखने वाली रकॉन्टीनेन्टल बैलस्टिक मिसाईल अग्नि-5 का परीक्षण अगले वर्ष तक कर लिया जाएगा। इसके साथ ही, डीआरडीओ देश को एक व्यापक स्वदेशी सामरिक क्षमता प्रदान करेगी जो दुनिया के कुछ ही देशों के पास उपलब्ध है।

उन्होंने कहा कि डीआरडीओ का लक्ष्य अंतरिक्ष और साइबर सुरक्षा, हाईपरसोनिक वाहनों, निर्देशित ऊर्जा हथियारों, कुशल सामाग्री और सेन्सरों पर आधारित माइक्रो-इलैक्ट्रोमैकेनिकल प्रणाली पर केन्दित करना है। डॉ. सारस्वत ने कहा कि कैबिनेट की सुरक्षा समिति द्वारा हाल ही में परमाणु-जैविक-रसायन अर्थात एनबीसी पर अनुसंधान और विकास के एक प्रमुख कार्यक्रम को स्वीकृति दे दी है।