जाहिर है, भोला यादव की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण रही है उन सब मामले में और रेल मंत्री की हैसियत से किए गए तमाम कथित भ्रष्टाचारों के वे गवाह भी रहे हैं और भ्रष्टाचार में उनकी संलिप्तता भी रही है। भोला यादव लालू के इतने नजदीकी रहे हैं कि वे बीमार लालू की लूंगी और गंजी बदलने तक का काम करते रहे हैं। वे एक बार विधायक भी रहे हैं और राष्ट्रीय जनता दल के महासचिव भी हैं, लेकिन उनकी ताकत का एक मात्र स्रोत लालू यादव से उनकी नजदीकी ही है, जिसके कारण वे टिकट वितरण तक में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं। लालू यादव जेल जाएं, तो जेल के दरवाजे तक भोला यादव भी उनके साथ दिखते थे। लालू अस्पताल जाएं, तो लालू के परिवार का कोई व्यक्ति साथ हो या न हो, लेकिन भोला जरूर रहते थे। सच कहा जाय, तो वे लालू के साए की तरह उनके साथ रहते थे।
जाहिर है कि लालू के बारे में जितनी जानकारी भोला यादव को है, उतनी किसी और को नहीं होगी। पटना के कुछ पत्रकारों का तो मानना है कि लालू को अपने बारे में खुद उतनी जानकारी नहीं है, जितनी जानकारी उनके बारे में भोला यादव को है। उनका कौन मुकदमा किसी स्थिति में है, अपनी का मामला किस चरण में है और किस मुकदमे की तारीखें कब हैं- इन सबों की पक्की जानकारी यदि किसी के पास है, तो वह भोला यादव हैं। जाहिर है, लालू यादव की कितनी संपत्ति है और वह कहां कहां है- इस सबकी जानकारी भी भोला को ही होगी। लालू की 7 बेटियां और दो बेटे हैं। एक तो सिंगापुर में अपने परिवार के साथ रहती हैं और 6 भारत में ही हैं। उन 6 में एक तो सबसे बड़ी बेटी मीसा भारती हैं, जो पटना में राबड़ी देवी के घर में रहती हैं और खुद लालू यादव दिल्ली में होते हैं, तो वे या तो हॉस्पीटल में होते हैं या अपनी बड़ी बेटी मीसा भारती के आवास में होते हैं।
कहते हैं कि लालू के इतने बड़े परिवार के बारे में जितनी जानकारी भोला यादव को है, उतनी उस परिवार के किसी सदस्य को नहीं। और अब वही भोला यादव सीबीआई की हिरासत में हैं और उनसे पूछताछ की की जा रही है। संपत्ति ट्रांसफर के अनेक अदालती दस्तावेजों पर भोला यादव के दस्तखत हैं और वे खुद रेलमंत्री लालू के ओएसडी भी रह चुके हैं, तो वे सीबीआई के सवालों से बच भी नहीं सकते और जानकारी नहीं होने का बहाना भी नहीं बना सकते। 7 दिनों की रिमांड पर सीबीआई ने उन्हें लिया था और यह रिमांड बढ़ भी सकता है।
चारा घोटालों में सजा पाए हुए लालू यादव के लिए संकट का यह सबसे बड़ा दौर है। चारा घोटाला जब सामने आया था और पटना हाई कोर्ट के आदेश पर जब सीबीआई ने जांच शुरू कर दी थी, तो उस समय लालू यादव के सबसे करीबी आदमी मुकुल कपूर हुआ करते थे। उस समय लालू बिहार के मुख्यमंत्री थे और मुकुल कपूर पर्सनल सेक्रेटरी। सीबीआई मुकुल कपूर से भी पूछताछ करना चाहती थी, लेकिन श्री कपूर गायब हो गए और आज तक गायब हैं। बीच में उनके मारे जाने की भी बातें मीडिया में उभरती थीं, लेकिन मुकुल कपूर के जिंदा होने के प्रमाण भी मिलते रहते थे। वे खुद फोन करके इस बात का खंडन करते थे कि उनकी मौत नहीं हुई है। लेकिन वे सीबीआई के हाथ अभी तक नहीं आए, जबकि लालू यादव उन मुकदमों मे दोषी भी ठहराए जा चुके हैं।
लेकिन भोला यादव सीबीआई के हाथ आ गए हैं और वे लालू के उतने नजदीकी रहे हैं, जितने मुकुल कपूर भी नहीं थे। लालू यादव आज भोला पर जितना निर्भर हैं, उतना वे मुकुल कपूर क्या किसी पर भी कभी निर्भर नहीं रहे। और वही भोला आज सीबीआई के गिरफ्त में हैं और सीबीआई उनकी सहायता से लालू यादव के खिलाफ सबूत जुटाने की कोशिश में लगी हुई है। यदि सीबीआई भोला यादव का मुह खुलवाने में कामयाब होती है, तो लालू से संबंधित वे मामले भी सामने आ सकते हैं, जिनके बारे में हम आज कुछ नहीं जानते।
जिन घोटालों की सीबीआई जांच कर रही है, उन सबमें लालू यादव परिवार के अधिकांश सदस्य अभियुक्त बने हुए हैं। जमीन के बदले नौकरी मामले में खुद लालू के अलावा उनकी दो बेटियां- सांसद मीसा भारती और हेमा भारती अभियुक्त हैं। एक आइआरसीटी घोटाला है, जिसमें लालू यादव के अलावा राबड़ी देवी, बेटे तेज प्रताप और तेजस्वी, कुछ बेटियां भी शामिल हैं। दूसरी तरफ भाजपा नेता और लालू यादव के छात्र जीवन के सहपाठी सुशील मोदी सीबीआई से जांच के दायरे को और बढ़ाने की मांग कर रहे हैं।
लालू परिवार पर इनकम टैक्स ने बेनामी संपत्ति का मामला चला रखा है, तो ईडी ने मनी लांउड्रिंग का। यदि इन सबमें एक साथ जांच शुरू हो जाती है, तो फिर लालू परिवार का अधिकांश सदस्य जांच की चपेट में आ जाएंगे। यदि भोला यादव को सीबीआई और अन्य एजेंसियां तोड़ने में सफल हो गईं, तो फिर लालू परिवार की राजनीति ही समाप्त हो सकती है। वैसे लालू यादव की अभी एक बेटी और दो बेटे ही बिहार की सक्रिय राजनीति में हैं और ये सभी जांच के दायरे में हैं। यदि एक साथ सबको कानूनी गिरफ्त में लिया गया, तो बिहार की राजनीति वह नहीं रह जाएगी, जो आज है। (संवाद)
लालू पर शिकंजा
क्या बदलेगी बिहार की राजनीति?
उपेन्द्र प्रसाद - 2022-07-31 11:38
रेलवे के आइआरसीटीसी और जमीन के बदले नौकरी मामले में लालू यादव के सबसे खास आदमी भोला यादव की गिरफ्तारी हो चुकी है और सीबीआई के अधिकारी अपनी हिरासत में लेकर उनसे पूछताछ कर रहे हैं। लालू यादव पर आरोप है कि रेल मंत्री रहते हुए उन्होंने जमीन लेकर कुछ लोग को रेल की चौथी श्रेणी की नौकरियां दीं। उस समय भोला यादव तत्कालीन रेल मंत्री लालू यादव के ओएसडी थे। भोला यादव पर आरोप है कि उन्होंने लोगों को नौकरियां दिलवाने और नौकरी पाने वालों से लालू के परिवार के लोगों को जमीन दिलवाने में बिचौलिया की भूमिका निभाई। भाजपा सांसद बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील यादव की मानें, तो जमीन के उस हस्तांतरण के कम से कम 40 बिक्रीपत्रों और दानपत्रों पर भोला यादव के भी गवाह के तौर पर दस्तखत हैं।