पश्चिम बंगाल पर ग्लोबल वार्मिंग का असर पड़ रहा है। इसके कारण यहां का माहौल खराब हो रहा है। मौसम का पैटर्न बदल रहा है। राज्य में हो रहे बिजली उत्पादन का 97 फीसदी कोयला के इस्मेमाल से हो रहा है। इसके कारण कार्बन डायक्साइड भारी पैमाने पर निकलता है और ग्लोबल वार्मिंग की समस्या पैदा होती है। लेकिन इस अहम मसले पर न तो वाम मोर्चा और न ही ममता की ओर से कुछ कहा जा रहा है।

राज्य में औद्योगिक पिछड़ापन है। सिंगूर से टाटा को बाहर करने मे ममता की भूमिका रही थी। हरिपुर में प्रस्तावित परमाणु गिजली संयत्र का भी ममता बनर्जी विरोध कर रही हैं। यही नहीं अन्य अनेक उद्योगांे का भी वे विरोध करती हैं। हां, वह यह बताने में देर नहीं करती कि उन्होंने रेलवे की 35 परियोजनाएं राज्य में चला रखी है। लेकिन उनकी पार्टी के लोगांे को भी पता नहीं है कि ये 35 परियोजनाएं राज्य में कहां चल रही हैं।

इस चुनाव में मुस्लिम मत पाने के लिए भारी मारामारी हो रही है। बुद्धदेव भट्टाचार्य सरकार ने पिछड़े वर्गों के मुसलमानों के लिए 10 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया है। इसे मुद्दा बनाकर वाममोर्चा मुसलमानों का मत हासिल करना चाह रहे हैं, लेकिन ममता बनर्जी 10 फीसदी आरक्षण पर अपनी अलग कहानी सुनाती है।

वह कहती है कि राज्य में 2 करोड़ 20 लाख मुसलमान हैं और राज्य सरकार ने सिर्फ 10 फीसदी यानी 22 लाख लोगों को ही आरक्षण का लाभ दिया हैख् जो गलत है। इस तरह से वह मुसलमानों को जानगूझकर गुमराह कर रही हैं। मीडिया में उनके द्वारा की जा रही इस गलतबयानी के बारे में लिखा जा रहा है, लेकिन ममता अपनी गलत बयानी से बाज नहीं आ रही है और वह बार बार अपनी गलती को दुहरा रही हैं। मुस्लिम बहुल इलाके में जाकर वह इस तरह की बेसिर पैर की बातें खूब करती हैं।

ममता बनर्जी मुसलमानों के बीच जाकर कहती हैं कि वाममोर्चा मुस्लिम विरोधी दंगा कराने वाली है। वह उन इलाको का नाम भी बताती हैख् जहां मुस्लिम विरोधी दंगे होने वाले हैं। वह कहती हैं कि वाममोर्चा के हाथ से जब भी सत्ता निकलती दिखाई देती है, बाममोर्चा दंगा करवाता है। राज्य सरकार केन्द्रीय ग्हमंत्री से अपील कर रही है कि वह ममता बनर्जी के इस प्रकार के गैर जिम्मेदाराना बयानों पर रोक लगवाए। लेकिन न तो केन्द्र का गृहमंत्रालय ममता के जुबान को बंद कर सकता है और न ही ममता बनर्जी अपने जुबान पर लगाम लगा रही हैं। (संवाद)