विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस ने सरकार के गठन की कोशिश की थी। वह भाजपा और झारखंड मुक्ति मोर्चा को बाहर रखते हुए वहां अपनी सरकार बनाना चाहती थी, लेकिन सुदेश महतों के नंेतृत्व वाले आल झारखंड स्अूडेंट्स यूनियन ने उसका साथ नहीं दिया और कांग्रेस सरकार नहीं बना सकी। इस बार सोरेन सरकार के पतन के बाद उसने इस तरह का प्रयास किया ही नहीं और अंत में राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा।

यदि कांग्रेस चाहती तो अपनी सरकार बना सकती थी। भाजपा और झामुमों के विधायकों की कुल संख्या वहां 36 है। उनके अलावे २शेष विधायकों की संख्या 45 है। उन 45 में से 42 विधायकों का समर्थन हासिल करना कांग्रेस के लिए कठिन नहीं था। सुदेश महतांे अपने 5 विधायकों के साथ मिलकर किसी के भी साथ सरकार बनाने के लिए तैयार थे। कांग्रेस भी उनके लिए अछूत नहीं थी। लेकिन फिर भी कांग्रेस ने सरकार बनाने की कोई कोशिश नहीं की।

कांग्रेस ने कोई कोशिश नहीं की, तो उसका एक बड़ा कारण बिहार की राजनीति है। झारखंड का बठन बिहार के विभाजन से ही हुआ है और दोनों की राजनीति एक दूसरे को प्रभावित करती है। बिहार में अगले नवंबर महीने में चुनाव होने जा रहा है और वहां कांग्रेस ने सभी विधानसभा सीटों से चुनाव लडत्रेने का फैसला किया हैं। पिछले कुछ विधानसभा चुनाव कांग्रेस लालू के समर्थन से लड़ती रही है और उसके कारण उच्च जाति का उसका जनाधार उससे अलग हो गया है।

इस बार कांग्रेस उम्मीद कर रही है कि उच्च जातियों के समर्थन को विधानसभा चुनाव में अपने साथ कर लेगी। वहां उच्च जातियों का नीतीश से मोहभंग होता दिखाई पड़ रहा है। वे भाजपा से भी दूर हो रहे हैं। इसलिए कांग्रेस के पास इस बार अच्छा मौका है। लेकिन वह बिहार में उच्च जातियों का समर्थन तभी हासलि कर सकती हैख्ज ब वह लालू से अलग ही नहीं हो, बल्कि वह अलग दिखें भी।

पर झारखंड में कांग्रेस लालू के राष्ट्रीय जनता दल के समर्थन के बिना सरकार बना ही नहीं सकती भाजपा और झाामुमों के 36 विधायकों को अलग करने के बाद बचे 35 विधायकों में 5 लालू के राजद के हैं। यदि उन्हें भी अलग छोड़ दिया जाय, तों कुल विधायक 40 ही बचते हैं और बहुमत के लिए 42 विधायक चाहिए। जाहिर है यदि कांग्रेस वहां सरकार बनाने चाहे तो ंउसे राजद का समर्थन लेना ही होगा।

कांग्रेस के साथ लालू का दिखाई देना अपने आपमें उसकी बिहार राजनीति के खिलाफ है। इसके अलावा यदि लालू झारखंड में कांग्रेस की सरकार बनाने में मदद देंगे, तो वे उसकी कीमत भी चसूलना चाहेगंे। वे खूद भी केन्द्र की सरकार में २शामिल होना चाहेंगे। यानी झारखंड के साथ कांग्रेस को केन्द्र में भी लालू कों अपने साथ रखना होगा। और वैसा करने के बाद बिहार में कांग्रेस की ाणनीति बिगड़ जाएगी। यही कारण है कि कांग्रेस ने झारखंड में सरकार बनाने का दावा पेश नहीं किया। (संवाद)