चूंकि प्राकृतिक गैस का उपयोग बिजली उत्पादन, उर्वरक बनाने, और सीएनजी के रूप में ऑटोमोबाइल में किया जाता है, इसलिए कीमतों में इसउच्च वृद्धि का असर लगभग सभी पर पड़ेगा। अप्रैल के बाद से यह तीसरी बढ़ोतरी है जो वैश्विक स्तर पर कीमतों में लगातार वृद्धि के कारण किया गया बताया गया है। दिलचस्प बात यह है कि सबसे बड़े लाभार्थियों में रिलायंस शामिल है, जो नए तेल तथा प्राकृतिक गैस क्षेत्रों का संचालन करती है, क्योंकि गैस की कीमत 9.92 डॉलर प्रति मिलियन ब्रिटिश थर्मल यूनिट (एमबीटीयू) से बढ़ाकर 12.6 डॉलर कर दी गयी है। पुराने क्षेत्रों के लिए कीमत 6.1 डॉलर से बढ़ाकर 8.57 डॉलर प्रति एमबीटीयू की गयी है।
सरकार हर छह महीने में गैस की कीमत तय करती है, जो कि अमेरिका, केनडा और रूस जैसे अत्यधिक गैस उत्पादन करने वाले देशों द्वारा एक साल में तीन महीने के अंतराल में किये जाने के आधार पर की जाती है। रूस के यूक्रेन पर युद्ध प्ररम्भ करने के बाद आपूर्ति में व्यवधान और अन्य समस्याओं के कारण मुख्य वैश्विक बाजार संकट से गुजर रहे हैं।
नॉर्ड स्ट्रीम 1 और नॉर्ड स्ट्रीम 2,दोनों पाइपलाइनों पर लीक के कारण होने वाली क्षति की खबरें नवीनतम चिंता के केंद्र हैं। तरल प्राकृतिक गैस (एलएनजी) वाहक दरें बढ़ रही हैं क्योंकि खरीदारों ने वैश्विक आपूर्ति में अनिश्चितता तथा उत्तरी गोलार्ध में जाड़े के मौसम की के मद्देनजर इस साल की शुरुआत में एलएनजी की भारी मात्रा की खरीद कर सुरक्षित कर ली थी। दोनों पाइपलाइनों की मरम्मत की संभावना और समय स्पष्ट नहीं है और यह सिस्टम की गंभीरता और क्षति के प्रकार पर भी निर्भर करता है। पाइपलाइन क्षतिग्रस्त होने के कारणों की जांच की जा रही है।
लेकिन यह एक पूर्वनिर्धारित निष्कर्ष है कि आपूर्ति में कटौती अनिवार्य रूप से इस सर्दी में यूरोप की गैस आपूर्ति को प्रभावित करेगी और अगले साल भी क्योंकि इसनी भारी मात्रा में आपूर्ति कट-ऑफ से मुक्ति नहीं पायी जा सकती इसके बावजूद कि राजनीतिक रूझान रूस के पक्ष में हो जाये, जैस कि रिस्टैड एनर्जी का मानना है।
इसके अलावा, बाल्टिक पाइप उसी आसपास के क्षेत्र में है, औरइस रिसाव के परिणामस्वरूप उस पाइपलाइन के शुरू होने में भी देरी की गंभीर आशंका उत्पन्न हो गयी है, जबकि इसे इसी माह के प्रारम्भ में ही शुरू किया जाना निर्धारित किया गया था। रूसी संघीय सुरक्षा सेवा (एफएसबी) ने हाल ही में दावा किया था कि उन्होंने तुर्कस्ट्रीम पाइपलाइन सुविधा पर एक हमले को रोका था। इस बीच, नॉर्वे के तेल और गैस प्लेटफार्मों के आसपास कुछ ड्रोन देखे गये, जिससे नॉर्वे के पेट्रोलियम सुरक्षा प्राधिकरण ने तेल कंपनियों को सलाह दी कि वे सुविधाओं के पास उड़ान भरने वाले अज्ञात ड्रोन से अधिक सतर्क रहें तथादुर्घटनाओं या हमलों के जोखिम की चेतावनी दें। नॉर्वे वर्तमान में यूरोपीय संघ (ईयू) की गैस मांग का लगभग 30% आपूर्ति कर रहा है, जिससे यह गैस आपूर्ति का सबसे महत्वपूर्ण एकल स्रोत बन गया है।
अमेरिका में उच्च प्राकृतिक गैस की कीमतें मुख्य रूप से मजबूत मांग, रिकॉर्ड-हाई पावर बर्न और सीमित कोयला-से-गैस स्विचिंग विकल्पों द्वारा संचालित हैं। लेकिन ठंड के मौसम की शुरुआत में मांग में गिरावट आई है, जबकि कुल तापमान पिछले साल की तुलना में इस समय ऊंचा बना हुआ है। बिजली क्षेत्र में गैस की मांग अगस्त में रिकॉर्ड स्तर पर गिर गई थी, लेकिन सितंबर का औसत काफी अधिक है, जो सितंबर 2021 से 20 प्रतिशत अधिक है।
कोयले से चलने वाली इकाइयों में बिजली उत्पादन में कमी ने गैस की खपत में वृद्धि की है जिससे कुल ऊर्जा खपत में गैस खपत का हिस्सा बढ़ा है। इस बीच, यूरोपीय देश गैस से चलने वाले हीटिंग सिस्टम से अधिक किफायती विकल्प की तलाश कर रहे हैं।
थर्मल पावर एक बार फिर सुर्खियों में है।यूरोपीय देशों इसमें क्षमता निर्माण के लिए भारी धनराशि का बजट रखा है। थर्मल पावर के बाजार में हाल ही में नये खिलाड़ियों की आमद हुई है, जिनमें से कई तेल और गैस उद्योग से आते हैं। ये कंपनियां अब चुनौतियों को हल करने के उद्देश्य से पायलट परियोजनाओं पर जोर दे रही हैं। विश्लेषकों को उम्मीद है कि जैसे-जैसे यूरोपीय देश भू-राजनीतिक तनाव के आलोक में अपने बिजली मिश्रण को डीकार्बनाइज करने और हीटिंग के सुरक्षित स्रोतों का पीछा करने के लिए आगे बढ़ेंगे, भू-तापीय परियोजनाओं में निवेश आसमान छू जाएगा।
रूसी गैस प्रवाह में अचानक गिरावट को देखते हुए ऊर्जा असुरक्षा से त्रस्त, जर्मनी भू-तापीय (थर्मल) परियोजनाओं में पैसा डाल रहा है और 2030 तक $1.5 बिलियन से अधिक खर्च करने की उम्मीद है। आइसलैंड, फ्रांस और हंगरी जैसे देश जो भू-तापीय तापन के शुरुआती अपनाने वाले देशों में थे, की क्षमता में वृद्धि की भी उम्मीद है। इसी तरह, यूके सरकार के दशक के अंत तक भू-तापीय तापन पर 470 मिलियन डॉलर से अधिक खर्च करने की उम्मीद है। (संवाद)
गैस रॉयल्टी बढ़ाने से चलेगी महंगायी की लहर, डगमगाने लगेगा घरेलू बजट
विश्व बाजार मूल्य समायोजन के प्रमुख लाभार्थियों में है रिलायंस
के रवींद्रन - 2022-10-03 12:23
भारत सरकार ने प्राकृतिक गैस की कीमत को एक नये स्तर पर ले जाने के लिए अविश्वसनीय रूप से 40 प्रतिशत की वृद्धि की है, और यह कदम उन उपभोक्ताओं के लिए बज्रपात जैसे है जो पहले से ही अपनी ऊर्जा लागत को असहनीय पा रहे हैं। इससे घरेलू बजट में और कमी आने की उम्मीद है, क्योंकि रसोई गैस महंगायी की लगातार चलने वाली लहरों से और भी महंगी होती होती जायेगी।