इस सितंबर-अक्टूबर त्योहार के मौसम के दौरान, लगभग हर क्षेत्र ने एक सर्वकालिक रिकॉर्ड कारोबार दर्ज किया। उपभोक्ता अधिक चाहते हैं। यह गति शेष वर्ष और उसके बाद भी जारी रहने की उम्मीद है। उपभोक्ता उत्पाद निर्माता उत्पादन बढ़ा रहे हैं। रुपये के गिरते विनिमय मूल्य के बावजूद आयात भी बढ़ रहा है। यह प्रवृत्ति देश के वर्तमान और भविष्य के आर्थिक विकास को दृढ़ता से प्रभावित करने के लिए बाध्य है, बशर्ते निर्माता और आपूर्तिकर्ता भारत के बढ़ते बाजार के बारे में दीर्घकालिक दृष्टिकोण अपनाएं।

ध्यान रहे कि भारत में आवासीय इकाइयों की बिक्री कैलेंडर वर्ष 2022 की पहली छमाही के दौरान शीर्ष आठ शहरों - मुंबई, दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरु, पुणे, हैदराबाद और अहमदाबाद में नौ साल के उच्चतम स्तर 158,705 इकाइयों पर पहुंच गयी, जैसा कि नाइट फ्रैंक इंडिया सर्वेक्षण रिपोर्ट में बताया गया। यात्री कारों की बिक्री में भी तेजी आयी और सितंबर में 3,55,946 कारों की बिक्री का रिकार्ड बना जो पिछले महीने की तुलना में 26 प्रतिशतअधिक था। मारुति सुजुकी ने डीलरों को 148,380 कारें भेजीं जो 131 प्रतिशत अधिक थी। हुंडई, टाटा मोटर्स, महिंद्रा एंड महिंद्रा, किआ मोटर्स और टोयोटा आदि की मांग में भी तेजी देखी गयी।

इस साल की पहली छमाही में ही लगभग 60 लाख यूनिट एयर कंडीशनर की बिक्री हुई जो पिछले साल की बिक्री के लगभग बराबर थी। इस साल की पहली छमाही में ही पिछले दो वर्षों की तुलना में बेहतर बिक्री हुई। कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स एंड अप्लायंसेज मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (सीईएएमए) के अध्यक्ष एरिक ब्रैगेंजा कहते हैं, "हमारे पास अतीत में इतनी अधिक संख्या कभी नहीं थी।" दूसरी ओर, टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं की मांग 2021-22 में अनुमानित 21.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर चालू वित्त वर्ष में 25 बिलियन डॉलर से अधिक होने की उम्मीद है।

देश को इस त्योहारी सीजन में करीब 7.7 अरब डॉलर के स्मार्टफोन की रिकॉर्ड बिक्री की उम्मीद है। त्योहारी सीजन के दौरान बेचे जाने वाले हर तीन स्मार्टफोन में से एक 5G सक्षम होगा। काउंटरपॉइंट रिसर्च की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि ई-कॉमर्स चैनलों से कुल बिक्री का 61 फीसदी कब्जा करने की उम्मीद है। त्योहारी सीजन के दौरान स्मार्टफोन का खुदरा औसत बिक्री मूल्य 12 प्रतिशत बढ़कर 242 डॉलर के उच्चतम स्तर पर पहुंच जायेगा। विश्लेषकों का कहना है कि आम तौर पर त्योहारी सीजन भारत के स्मार्टफोन बाजार का मुख्य आकर्षण रहा है, जहां वार्षिक बिक्री का लगभग 20 प्रतिशत चार-पांच सप्ताह में होता है, जिससे यह अवधि मूल्य श्रृंखला के सभी खिलाड़ियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है। स्ट्रैटेजी एनालिटिक्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सैमसंग ने इस साल 23-30 सितंबर तक स्मार्टफोन की बिक्री में 26 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी हासिल की। सैमसंग के बाद शिओमी तथा रियलमी क्रमशः 20 प्रतिशत और 17 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी के साथ हैं।

2,165 करोड़ रुपये की बिक्री के साथ, पश्चिम बंगाल में सितंबर में शराब की बिक्री अब तक की सबसे अधिक थी। अक्तूबर में बिक्री और बढ़ने की उम्मीद है। राज्य ने इस साल 20,000 करोड़ रुपये से अधिक की शराब बिक्री का लक्ष्य रखा है। देश के लगभग हर बड़े राज्य में चालू त्योहारी सीजन की शुरुआत के बाद से रिकॉर्ड शराब की बिक्री दर्ज की गयी है। भारत में मादक पेय पदार्थों की बढ़ती खपत के लिए उच्च प्रयोज्य आय और जीवन शैली में बदलाव मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं। उद्योग का अनुमान है कि इस साल के अंत तक देश में मादक पेय पदार्थों की खपत बढ़कर 16.8 अरब लीटर हो जायेगी, जो 2018 में केवल 5.94 अरब लीटर थी। राज्य सरकारें आम तौर पर बहुत खुश हैं। अधिक मादक पेय पदार्थों की बिक्री का मतलब भारतीय राज्यों के लिए बड़ी उत्पाद शुल्क आय है। राज्यों के बजट अनुमानों ने 2019-20 में उद्योग से उत्पाद शुल्क संग्रह 1.4 लाख करोड़ रुपये रखा। इस साल यह काफी बढ़ सकता है।

दरअसल, इस साल के त्योहारी सीजन की शुरुआत एक बड़े धमाके के साथ हुई है। विज्ञापन और विपणन युद्ध ने बिक्री की मात्रा को धक्का दिया क्योंकि उपभोक्ता खरीदने के लिए तैयार हैं और कंपनियां बेचने के लिए। उद्योग का त्योहारी सीजन विज्ञापन खर्च 8-10 प्रतिशत बढ़कर अनुमानित 25,000-30,000 करोड़ रुपये हो गया है। टेलीविजन पर विज्ञापन खर्च में लगभग 41-43 प्रतिशत हिस्सेदारी होने की उम्मीद है, इसके बाद डिजिटल 33-36 प्रतिशत, प्रिंट 15-17 प्रतिशत और ओओएच लगभग 3.5 प्रतिशत।
हमेशा की तरह, दो शीर्ष ई-कॉमर्स दिग्गज, अमेज़न इंडिया और फ्लिपकार्ट ने वर्चस्व के लिए एक-दूसरे के साथ संघर्ष किया। अपनी ताकत दिखाने और लोगों के खरीदारी के मूड का फायदा उठाने का यह सबसे अच्छा अवसर है। 23 सितंबर को, दो ई-कॉमर्स दिग्गजों ने अपनी बहुप्रतीक्षित सप्ताह भर की बिक्री शुरू की - फ्लिपकार्ट द्वारा "द बिग बिलियन डेज़" बिक्री और अमेजन द्वारा "ग्रेट इंडियन फेस्टिवल"। सप्ताह के दौरान बिक्री के 5.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान लगाया गया था, जो पिछले साल के 4.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर से 28 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। संयोग से, देश का ई-कॉमर्स बाजार नई पीढ़ी के उपभोक्ताओं के बदलते स्वाद और मांगों में तेजी से विस्तार कर रहा है। 2026 तक इस बाजार के 120 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।

भारत के 200 मिलियन से अधिक मध्यम वर्ग और उच्च-मध्यम आय वाले परिवार, जो सालाना 10-15 प्रतिशत की दर से बढ़ रहे हैं, आने वाले वर्षों में देश की आर्थिक वृद्धि और प्रगति को आगे बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं। हालांकि, इसके लिए जीएसटी, राज्य और केंद्रीय उत्पाद शुल्क, स्टांप शुल्क और संपत्ति कर आदि जैसे अप्रत्यक्ष करों की दरों और देश में व्यापार करने में आसानी के मामले में सरकार से समर्थन की आवश्यकता होगी।

महामारी के बाद की मांग के पुनरुद्धार ने भारत की अर्थव्यवस्था को ब्रिटेन को पछाड़ते हुए दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना दिया है। फोर्ब्स के एक अध्ययन के अनुसार, शेयर बाजार में गिरावट और कमजोर रुपये के बावजूद, भारत के 100 सबसे अमीर लोगों की संयुक्त संपत्ति 25 अरब डॉलर से बढ़कर 800 अरब डॉलर हो गयी है।

ऑक्सफैम इंटरनेशनल रिपोर्ट, जो भारत के बढ़ते अमीर-गरीब विभाजन के बारे में आलोचनात्मक रही है, बताती है कि देश में 119 अरबपति हैं। उनकी संख्या 2000 में केवल नौ थी जो 2017 में बढ़कर 101 हो गयी। भारतीय अरबपतियों की किस्मत एक दशक में लगभग 10 गुना बढ़ गयी और उनकी कुल संपत्ति वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए पूरे राष्ट्रीय सरकार के बजट से अधिक 24,422 अरबरूपये थी। 2018 और 2022 के बीच, भारत में हर दिन 70 नये करोड़पति पैदा होने का अनुमान था।

वर्ल्ड इकोनोमिक फोरम देश के बढ़ते मध्यम वर्ग के नेतृत्व में भारत के विकास की कहानी की अधिक सकारात्मक समीक्षा करता है। उसे लगता है कि भारत इसके बलबूते अपने दम पर तरक्की करने में सफल होगा। सन् 2030 तक भारत मध्यम वर्ग के नेतृत्व वाली अर्थव्यवस्थामे बदल जायेगा जो अभी पिरामिड के निचले हिस्से की अगुवाई वाली अर्थव्यवस्था है। लगभग 80 प्रतिशत परिवार मध्यम आय वर्ग के होंगे, जो आज 50 प्रतिशत से अधिक हैं। मध्यम वर्ग 2030 में उपभोक्ता खर्च का 75 प्रतिशत चलायेगा।(संवाद)