श्री चिदम्बरम ने कहा कि राज्यों में पुलिस प्रशिक्षण की अपर्याप्त सुविधओं को देखते हुए केन्द्र सरकार ने पुलिस प्रशिक्षण की एक केन्द्रीय अकादमी स्थापित करने का निर्णय लिया है जो कि 2600 व्यक्तियों को प्रशिक्षण प्रदान कर सकेगी। इसके अलावा 400-400 कार्मिकों को प्रशिक्षित करने वाले दो केन्द्रीय गुप्तचर प्रशिक्षण स्कूल और 20 उग्रवाद-विरोधी तथा आतंकवाद विरोधी स्कूल खोले जाएंगे जिन में प्रत्येक की एक वर्ष में 1000 व्यक्तियों को प्रशिक्षित करने की क्षमता होगी। इस प्रकार सभी प्रशिक्षण संस्थानों की प्रशिक्षण क्षमता कुल मिलाकर 23400 व्यक्ति प्रति वर्ष होगी लेकिन सभी राज्यों की लगभग 21 लाख पुलिस कर्मियों को देखते हुए प्रशिक्षण की यह क्षमता पर्याप्त नहीं है। लिहाजा इस दिशा में और बहुत करने की आवश्यकता है। और यह तभी संभव है जब राज्य प्रशिक्षण क्षमता को बढा़ने के लिए और अधिक धन इस मद के लिए आबंटित करें।

पुलिस अधिकारियों की चर्चा करते हुए मंत्री महोदय ने कहा कि केन्द्र सरकार ने आईपीएस अधिकारियों के लिए सेवाकाल के दौरान तीन चरणों में प्रशिक्षण कार्यक्रम अनिवार्य कर दिया है। इसलिए पदोन्नति से पहले आईपीएस अधिकारियों को प्रशिक्षण प्राप्त करना अनिवार्य होगा।

उन्होंने यह भी बताया कि केन्द्र सरकार ने सिफारिश की है कि राज्य सरकारों को भर्ती की पारदर्शी प्रक्रिया अपनानी चाहिए। उन्होंने कहा कि देश के तीस राज्यों में से उत्तर प्रदेश ही एक ऐसा राज्य है जिसने वास्तव में भर्ती में पारदर्शिता प्रक्रिया (टीआरपी) को कार्यान्वित किया है। चार राज्यों ने खबर दी है कि उनके अपने टीआरपी हैं। 13 राज्यों ने इस सिफारिश की प्राप्ति को स्वीकार किया है जबकि 12 राज्यों से कोई उत्तर प्राप्त नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने राज्यों से आग्रह किया है कि वे राष्ट्रीय पुलिस आयोग की प्रमुख सिफारिशों को अपनाएं।

श्री चिदम्बरम ने अंत में प्रौद्योगिकी की भी संक्षिप्त में सर्चा की। प्रौद्योगिकी पुलिस की क्षमता को बहुगुणा कर देती है। यह पुलिस कर्मियों को रोजमर्रा और बार-बार करने से भी राहत दिलाती है और उन कार्यों पर ध्यान केन्द्रित करने देती है जिनमें समझदारी, विश्लेषण पूर्वानुमान करने और आयोजना की आवश्यकता होती है। प्रौद्योगिकी को निगरानी, संचार, आंकड़ा प्रबंधन, वस्तु सूची प्रबंधन और कार्मिक प्रबंधन जैसे कायों में लगाया जा सकता है। इन लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए केन्द्र सरकार राज्य सरकारों के सहयोग से अपराध और अपराधियों की निगरानी नेटवर्क और व्यवस्था परियोजना को लागू कर रही है जिससे समूचे देश में सम्बद्धता का मूलभूत ढांचा तैयार हो सकेगा।