यह राज्य के पूर्व महासचिव और कोर कमेटी के सदस्य सायंतन बसु द्वारा पार्टी नेतृत्व को लताड़ने के एक कथित पत्र के मद्देनजर आया है। भगवा खेमे के नेतृत्व ने खुद को एक शर्मनाक स्थिति में पाया, जब वह अपने पंचायत चुनाव अभियान की योजना का खाका तैयार करने वाला था।

राज्य विधानसभा में प्रमुख विपक्षी दल की छवि धूमिल करने वाली दोहरी राजनीतिक अड़चनों से बुरा समय राज्य के भगवा खेमे के लिए नहीं हो सकता था। शिक्षकों की नौकरी के लिए नकद और तृणमूल कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं के घरों में केंद्रीय जांच एजेंसियों की छापेमारी जैसे मुद्दों पर भाजपा नेता सत्तारूढ़ तृणमूल पर निशाना साध रहे थे।

चुनावी वायदे हों या अभियान कार्यक्रम, पोस्टर राजनीतिक दलों के लिए एक वरदान हैं, हालांकि जिन घरों की दीवारों पर वे चिपकाए जाते हैं, उनके मालिक उन्हें पोक मार्क के रूप में देखते हैं। बेशक, कानून से भगोड़ों या किसी लापता व्यक्ति के दोस्तों और रिश्तेदारों के मामले में वर्दीधारी पुलिस द्वारा लगाये जाने वाले इजहार एक और किस्म में रखेगये हैं।

लेकिन पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर-आसनसोल संसदीय क्षेत्र के कुछ इलाकों में पोस्टरों ने राहगीरों को हैरान कर दिया। यह कानून से भाग रहे किसी व्यक्ति या किसी लापता रिश्ते का पता लगाने के बजाय, स्थानीय भाजपा सांसद सुरिंदर सिंह अहलूवालिया के बारे में पूछताछ करता है।

अहलूवालिया की अपनी पार्टी के कुछ लोगों द्वारा लगाये गये पोस्टर उनकी अनुपस्थिति पर उनके असंतोष का स्पष्ट संकेत हैं। लेकिन जब कोई इन पंक्तियों के बीच पढ़ता है तो उसमें और भी बहुत कुछ होता है।

जब चुनाव का समय न हो तो कुझ ही दिग्गज नेताओं के अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में देखा जा सकता है जैसा कि दो पूर्व प्रधानमंत्रियों इंदिरा गांधी या अटल बिहारी वाजपेयी को अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों क्रमशः रायबरेली और लखनऊ को पार करते हुए देखा जा सकता था। पार्टी कार्यकर्ताऔर नेता मतदाताओं के साथ बातचीत करते थे, जबकि सांसद अपने संसदीय क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति महसूस करवादे थे विशेषकर उस समय जब संसद का सत्र नहीं चल रहा हो या अपने प्रतिद्वंद्वियों से आगे रहने की वे रणनीतिक जाल न बना रहे हों न बिछा रहे हों।

अहलूवालिया के विरोधियों को इस बात की जानकारी नहीं है कि आज के समय में चुनावी जीत के बाद अपने नेता के निर्वाचन क्षेत्र में बने रहने की उनकी मांग चांद-तारों की मांग करने जैसा ही है। भाजपा नेताओं के बारे में यह और भी सटीक बैठता है क्योंकि उस पार्टी में आजकलसांसदों के एमपीलैड फंड के वितरण का फैसला भी उनकी पार्टी के शीर्ष अधिकारियों द्वारा किया जाता है, जिसमें सांसद केवल बिंदीदार रेखाओं पर हस्ताक्षर करते हैं।

इससे वाम और भाजपा के बीच अंतर खुल जाता है। दोनों खुद को कैडर आधारित पार्टी कहते हैं। वामपंथी नेता के प्रतिनिधित्व वाले निर्वाचन क्षेत्र में इस तरह की पोस्टिंग अनसुनी है।अगर बर्दवान-दुर्गापुर विधानसभा क्षेत्र में जमीनी कार्यकर्ताओं की नाराजगी का कारण शीर्ष पर बैठे व्यक्ति के खिलाफ बहुत गहरा है, तो इसका एक सरल स्पष्टीकरण है, राजनीतिक जलपोत के कैप्टन के विरुद्ध।

परन्तु जलपोत का अनुशासनभाजपा की तुलना में सख्त होते हैं। समुद्री यात्रा के दौरान जहाज के यात्री ऐसी अप्रिय अनुशासनहीनता की घटना नहीं पाते हैं। लेकिन अहलूवालिया के खिलाफ नाराजगी अनोखी नहीं है।

तृणमूल कांग्रेस के सांसद शत्रुघ्न सिन्हा के आसनसोल में उनके स्थान की तलाश में इसी तरह के पोस्टर लगे थे, जिसका वे प्रतिनिधित्व करते हैं। यदि कोई स्मृति लेन पर चलता है, तो यह याद किया जा सकता है कि कांग्रेस सांसद अमिताभ बच्चन, जिन्हें किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है, इलाहाबाद में उनके ठिकाने की तलाश में लगभग समान पोस्टर लगाये गये थे, जब वह 1984 के लोक सभा चुनाव में इंदिरा गांधी की हत्या की सहानुभूति लहर को भुनाते हुए हेमवती नंदन बहुगुणा को हराने के बाद फिल्म सेट में कैमरों का सामना कर रहे थे।

दशकों से नेताओं को गलत कारणों से खबरों में लाने वाले ये पोस्टर क्षेत्र की राजनीति में उलझी हुई लड़ाई की अभिव्यक्ति होते हैं। कुल मिलाकर, जनप्रतिनिधियों का काम अपने मतदाताओं के दुख-दर्द को आवाज देना और उनका समाधान तलाशना है, जबकि नीचे वालों को यह सुनिश्चित करना होता है कि विकास की घड़ी चलती रहे।

लापता नोटिस के लिए तो सांसद अंतिम व्यक्ति होता है, और जब ऐसा होता है तो पार्टी नेतृत्व के इसपर ध्यान देने के बजाय अनदेखी करने से और अधिक अनुशासनहीनता होती है।अहलूवालिया के मामले में भाजपा नेतृत्व की चुप्पी से इस क्षेत्र के पंचायत चुनावों में भाजपा का भला नहीं होगा। संयोग से अहलूवालिया को यह ध्यान रखना चाहिए कि इस राज्य में ऐसे भी सांसद हैं जो अपने निर्वाचन क्षेत्रों के नियमित दौरे करते हैं जिनमें अधीर चौधरी, सुदीप बंद्योपाध्याय और सौगत रॉयप्रमुख रूप से शामिल हैं। (संवाद)