हैनिटी को माफ किया जा सकता है, वह तब तक ट्रम्प से ऊपर नहीं उठ सकते जब तक वह उनकी स्मृति पर हाबी रहेंगे। और ट्रम्प, जिसे प्रायः नकेनवादी तथा आत्ममुग्ध बड़बोले के रूप में वर्णित किया जाता है, सहमत होंगे कि कोई भी उनके इतना बड़ा या महान नहीं है। लेकिन अपने विषय पर लौटने के लिए यह जानना भी लाजिमि ही है कि क्या ट्रम्प ने हमारे प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से भावना उधार ली, जो अपने अमेरिकी दोस्त से कम आत्ममहत्ववादी नहीं हैं।

6 नवंबर, 2022 को चुनाव आयोग द्वारा गुजरात चुनावों की तारीखों की घोषणा के ठीक बाद, मोदी एक चुनावी रैली में खड़े हुए और गुजराती में "आ गुजरात, मैबनव्युचे" का नारा गढ़ा, जिसका अर्थ है "मैंने यह गुजरात बनाया है"। उन्होंने ट्रम्प की तरह आवाज़ दी और ट्रम्प की तरह काम किया, गुजरातियों को उन सभी को सबक सिखाने के लिए प्रेरित किया जो "20 वर्षों से गुजरात को बदनाम कर रहे हैं"।

इस तरह जो सूक्ष्म संदेश दिया गया वह लोगों की समझ से नहीं बच सका। मोदी ने 25 मिनट तक बात की और सुनिश्चित किया कि साथी गुजरातियों को अपनी धारा में बहा ले जायें।उन्हें 2002 के तनावपूर्ण समय की याद दिलाते हुए गुजरातियों से उन लोगों को सबक सिखाने के लिए कहाजो "20 साल से गुजरात को बदनाम कर रहे हैं"। बेशक, गुजरात से ज्यादा, वह उन लोगों पर बल दे रहे थे जो 20 साल से नरेंद्र मोदी को "बदनाम" कर रहे हैं।

फिर, उन्होंने कहा "आ गुजरात, मैबनव्युचे", और बहुतों को आश्चर्य हुआ होगा कि उन्होंने आखिर ऐसा क्यों किया? लेकिन तुरन्त अपने मैं चतुराई से छिपाते हुए मोदी ने कहा: “हर गुजराती, चाहे वह आदिवासी हो या मछुआरा, ग्रामीण हो या शहरवासी, आज आत्मविश्वास से भरा है। इसलिए हर गुजराती कहता है 'मैंने यह गुजरात बनाया है'। लोगों ने अपनी मेहनत से इस राज्य का निर्माण किया है।

यह "हमारा अभियान" है जैसे समान नारे के कारण ट्रम्प भी मोदी की तरह ही लगे– वैसे दोनों एक-दूसरे की तरह लगते हैं।वास्तव में मोदी और ट्रंप दोनों एक ही तरह के लोग हैं। ट्रम्प ने अपनी 2024 के दावेदारी की घोषणा की जिसपर उन्हें "केंद्रित" हुआ मापा गया। हकीकत यह है कि मोदी ने पहले उन सभी के बारे में बात कीजिन्होंने "20 साल तक गुजरात को बदनाम किया" और इस प्रकार मोदी ने स्वयं को उनका शिकार होने का कार्ड खेला। उधर ट्रंप ने अपनी बारी में उन लोगों पर निशाना साधा जिन्होंने उनके जाने के बाद अमेरिका का चेहरा फिर से खराब किया।

अपने तरीके सेमोदी भी सत्ता बनाए रखने और गुजरात की सत्ता विरोधी लहर को विपक्षियों की तरफ मोड़ने में लगे हैं। लेकिन असुरक्षा या आक्रोश की भावना के प्रभाव में मोदी ने यह आभास दिया कि वे चाहते हैं कि गुजराती उन लोगों पर ध्यान दें, जो उनके अनुसार, "गुजरात को बदनाम" कर रहे हैं, तथा उस अपमान को नहीं भूलें तथा उन्हें माफ नहीं करें, जो काल्पनिक या वास्तविक रुप से गुजरात और गुजरातियों पर उढ़ेला गया।

निःसंदेह, आप और अरविंद केजरीवाल, तथाकथित "लुटियन मीडिया", तथा कांग्रेस, सभी "20 साल से गुजरात को बदनाम कर रहे हैं", और उन्हें सबक सिखाया जाना चाहिए। उनका आशय था किगुजरात को बनाने वाले को जिताकर सटीक बदला लेने का समय आ गया है।

यह मूल में वापस जाने जैसा है। दिखावा करने वाले, फ्लोरिडा के गवर्नर रॉन डेसेंटिस को ही क्यों देखें? आगे क्यों देखें जब "मैंने गुजरात बनाया है" जैसा वक्तव्य यहीं उपलब्ध है? मोदी हर गुजराती को प्रतिशोधी भूमिका देना चाहते हैं, हर गुजराती मुखौटे और टोपी पहने, सुपरस्टार बन जाये, और उन लोगों से मुंह मोड़ ले जिन्होंने "20 साल तक गुजरात को बदनाम किया"।

एक जादूगर से पूछो, और वह कहेगा कि यह "शक्तिशाली दवा" है, आहत अभिमान और मधुर प्रतिशोध की मनगढ़ंत कहानी। ‘रेवड़ियों’(फ्रीबीज) की लुटेरी सेना फाटकों पर थी, और इससे कोई फर्क नहीं पड़ता था कि वे 20 साल पहले के दुश्मन थे या नहीं, या राज्य की नयी अंधेरी काल कोठरी से बाहर आये थे। मायने तो यह रखता था किझाड़ू या खुले हाथ उन्हें सत्ता से बुहार कर फेंक न दें।

यह मोदी 2013-14 के मोदी नहीं हैं। आज के मोदी पुरानी बोतल में पुरानी शराब हैं।20 साल बाद ताकत बटोरकर नयी बोतल की शराब की तरह सामने आये हैं। इसलिए मतदाताओं को यह विश्वास दिलाना महत्वपूर्ण हो गया है कि पुरानी शराब सबसे अच्छी शराब है। इसलिए, "20 साल", "बदनाम", "उन्हें राज्य से बाहर निकालो" और "आ गुजरात, मैबनव्युचे (मैंने गुजरात बनाया है)" जैसे नारों का उपयोग किया जा रहा है।

सभी जनमत सर्वेक्षण भाजपा के पक्ष में हैं, और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी खुद भाजपा के लिए एक प्रचंड बहुमत की भविष्यवाणी कर रहे हैं, "मैं यहां सभी रिकॉर्ड तोड़ने आया हूं", लेकिन दिल की गहराई मेंसंदेह की एक झलक है।

इसलिए उनकासंदेश "गुजराती अस्मिता" को उकसा रहा है, और कह रहा है कि जिसने भी "अतीत में गुजरात को बदनाम करने और अपमान करने की कोशिश की" उसे एक बार फिर "गुजरात से मिटा दिया" जाना चाहिए। भाजपा 1998 से गुजरात की सत्ता में है, लेकिन अचानक, 24 वर्षों में पहली बार, गुजरात और गुजराती के खिलाफ "गलत प्रचार और बदनाम करने वाले गिरोह" की खबर जोर शोर से प्रचारित की जा रही है। यह कैसे हो सकता है जब मोदी स्वयं अपने शब्दों में कहते हैं कि "आ गुजरात, मैबनव्युचे (मैंने यह गुजरात बनाया है)"? (संवाद)