सबसे बुरी घटना इंदौर के गवर्नमेंट न्यू लॉ कॉलेज में हुई है जिसे केवल शिक्षण संकाय में मुसलमानों की सांप्रदायिक सफाई कहा जा सकता है।कॉलेज में आरएसएस से संबद्ध अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) इकाई ने कथित तौर पर "कॉलेज के चार मुस्लिम शिक्षकों द्वारा प्रचारित किये जा रहे धार्मिक कट्टरपंथी विचार" के खिलाफ विरोध शुरू कर दिया।उन्होंने कॉलेज में "मुस्लिमों की उच्च संख्या" संकाय सदस्यों पर भी सवाल उठाया।दरअसल, 28 शिक्षकों में से चार ही मुसलमान हैं।

एबीवीपी इकाई के अध्यक्ष द्वारा सौंपे गये एक ज्ञापन में मुस्लिम शिक्षकों पर "परिसर के अंदर मुस्लिम और इस्लामी संस्कृति को बढ़ावा देने" का आरोप लगाया गया था। उन पर "लव जिहाद" को बढ़ावा देने का भी आरोप लगाया गया था, इस बेतुके दावे के साथ कि ये शिक्षक महिला छात्रों को रेस्तरां और पब में ले गये।
कॉलेज के प्राचार्यप्रोफेसर इनामुर रहमान, जो एक मुस्लिम भी हैं, ने चार मुस्लिम शिक्षकों और दो अन्य जिनके खिलाफ भी शिकायत की गयी थी, को पांच दिनों के लिए उनके शिक्षण कर्तव्यों से हटाकर एक सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश द्वारा पूरे मामले की जांच का निर्णय किया।

इस कार्रवाई से एबीवीपी को संतुष्टि नहीं मिली। संगठन के छात्रों ने फिर नये आरोप लगाये।उन्होंने प्रिंसिपल पर कॉलेज की लाइब्रेरी में डॉक्टर फरहत खान द्वारा लिखित “कलेक्टिव वायलंस एंड क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम” (सामूहिक हिंसा और आपराधिक न्याय प्रणाली) नामक किताब रखने का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि पुस्तक में आरएसएस और हिंदू समुदाय के खिलाफ टिप्पणियां हैं।हालांकि प्रिंसिपल ने स्पष्ट किया कि यह पुस्तक 2014 में पुस्तकालय द्वारा अधिग्रहित की गयी थी, उनके 2019 में प्रधानाध्यापक का पद संभालने से बहुत पहले। फिर भी प्रदर्शनकारियों ने उन्हें निशाना बनाया और अपना विरोध जारी रखा, जिसके कारण अंततः उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।

गौरतलब है कि एबीवीपी के छात्रों की शिकायतों और आंदोलन का राज्य के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने समर्थन किया था, जिन्होंने पुलिस को कार्रवाई करने का निर्देश भी दिया था।स्थानीय पुलिस ने प्रिंसिपल, एक अन्य शिक्षक मिर्जा मोजीज और पुस्तक के लेखक और प्रकाशक के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है, जिसमें धारा 153 ए (दो समूहों के खिलाफ दुश्मनी को बढ़ावा देना) और 295ए(जानबूझकरएक समूह की धार्मिक भावना को ठेस पहुँचाने के लिए दुर्भावना से कार्य करना) शामिल हैं।

पुलिस लेखक डॉ. फरहत खान को गिरफ्तार करने के लिए उनकी तलाश कर रही है और पूर्व प्राचार्य सहित अन्य तीन का अनुसरण कर सकते हैं क्योंकि जिला अदालत ने उन्हें अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया है।

इस प्रकार कुछ ही दिनों में प्रधानाध्यापक सहित सभी मुस्लिम शिक्षकों को प्रभावी ढंग से संकाय में उनके पदों से हटा दिया गया है और यह राज्य सरकार की मौन स्वीकृति के साथ पूरा किया गया है। एबीवीपी इकाई द्वारा की गयी शिकायतों के आधार परउच्च शिक्षा निदेशालय द्वारा धार्मिक उग्रवाद और इसी तरह के आरोपों की जांच के लिए सात सदस्यीय समिति का गठन किया गया है।

भाजपा शासित मध्य प्रदेश में अल्पसंख्यक शिक्षकों को निशाना बनाये जाने के अन्य उदाहरण भी रहे हैं।विदिशा के एक स्कूल की मुस्लिम प्रिंसिपल शाइना फिरदौस को इस साल अक्टूबर में बजरंग दल के सदस्यों द्वारा उनके खिलाफ कई आरोप लगाने के बाद हटा दिया गया था।एक अन्य मामले में गुना जिले के एक अन्य ईसाई मिशनरी स्कूल में, दो शिक्षकों - जस्टिन और जैस्मिना खातून - पर एक छात्र द्वारा कुछ कथित शिकायत पर आईपीसी की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था।

अन्य राज्यों में भी मुस्लिम छात्रों या शिक्षकों के खिलाफ कट्टरता सामने आयी है।हाल ही में, कर्नाटक में मणिपाल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में एक मुस्लिम छात्र को "कसाब जैसा नाम" रखने के लिए शिक्षक द्वारा निशाना बनाया गया और उसका मजाक उड़ाया गया।राजस्थान के बाड़मेर में एक सरकारी कॉलेज की एक कक्षा में एक शिक्षक ने एकमात्र मुस्लिम छात्रा को घेर लिया और उस पर भद्दी-भद्दी मुस्लिम विरोधी टिप्पणियां कीं।छात्रा द्वारा शिकायत करने के बावजूद संबंधित शिक्षक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गयी।

नयी शिक्षा नीति के माध्यम से मोदी सरकार के लक्ष्यों में से एक भारत की प्राचीन ज्ञान प्रणालियों पर तथा मूल्य-आधारित शिक्षा की आड़ में शैक्षिक प्रणाली का सांप्रदायिकीकरण करना है।लेकिन इस भगवाकरण अभियान का नतीजा अल्पसंख्यक मुस्लिम शिक्षकों और छात्रों को निशाना बनाना है।यह भाजपा शासित राज्यों में आधिकारिक रूप से प्रायोजित है जोइससे भी स्पष्ट है कि कैसे कर्नाटक में सरकार द्वारा संचालित इंटर-कॉलेजों में हिजाब पहनने वाली छात्राओं को प्रवेश करने से प्रतिबंधित किया गया,और मध्य प्रदेश में सरकार द्वारा संचालित लॉ कॉलेज में मुस्लिम शिक्षकों को पढ़ाने से प्रतिबंधित किया गया और उनके खिलाफ आपराधिक आरोपों के तहत मामला दर्ज किया गया है।सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली में भी मुसलमानों को दोयम दर्जे के नागरिकों में परिणत करने की प्रवृत्ति दिखायी दे रही है।

भारत द्वारा 2023 में जी20 की अध्यक्षता ग्रहण करने को आधिकारिक रूप से 'एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य' के नारे के साथ मनाया जा रहा है।प्रधान मंत्री मोदी ने गर्व से टिप्पणी की है कि "भारत मानव परिवार के भीतर सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए खड़ा है" जबकि देश के भीतर भारतीय परिवार को संप्रदाय और सांप्रदायिक आधार पर विभाजित करने के लिए सब कुछ किया जा रहा है।

सरकार ने देश के सभी हिस्सों के विभिन्न शहरों में आयोजित होने वाली जी-20 से जुड़ी बैठकों और कार्यक्रमों की एक श्रृंखला की घोषणा की है।जी20 में से एक इवेंट इंदौर में होना है।यह वही इंदौर है जहां एक स्टैंड-अप कॉमेडियन मुनव्वर फारुकी को एक हिंदुत्ववादी संगठन की शिकायत के कारण एक प्रदर्शन से पहले गिरफ्तार किया गया था कि उनके शो हिंदुओं की धार्मिक संवेदनाओं को ठेस पहुंचाते हैं।

यह वही इंदौर है जहां पिछले साल चूड़ी बेचने वाले तस्लीम अली को हिंदू मोहल्ले में अपना सामान बेचने पर बुरी तरह पीटा गया था, फिर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया, जिसके बाद उन्होंने 107 दिन जेल में बिताये।यह अब वह शहर है जहां सम्मानित कानूनी विद्वानों और शिक्षकों को इसलिए निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि वे मुसलमान हैं।हिंदुत्व शासन का असली चेहरा और वसुधैव कुटुम्बकम का पाखंडी उद्घोष तब सामने आयेगा जब इंदौर में जी20 का आयोजन होगा।(संवाद)