बांग्लादेश के अघिकारियों ने अभी हाल ही में नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी) के नेता रंजन दैमरी को भारत के हवाले कर दिया। उसकी गिरफ्तारी के बाद अक्टूबर, 2008 में हुए 9 घमाकों के दोषियों को पकड़ने के काम में तेजी आई है। उन धमाकों में बोडों उग्रवादियों के शामिल होने की बात तो स्ािापित हो चुकी थी और यह भी पता लगा लिया गया था कि रंजन देमरी ने उसकी योजना बनाई थी, लेकिन रंजन के बांग्लादेश में छिपे होने के कारण उस मामले मे कोई खास प्रगति नहीं हो पा रही थी।

गिरफ्तार 4 लोगों में राहुल ब्रह्मा भी शामिल है। वह अरुणाचल प्रदेश से गिरफ्तार किया गया। वह वहां अपने परिवार के साथ रह रहा था। तीन और उग्रवादी कोकराझार इलाके से गिरफ्तार किए गए। देमरी से गहन पूछताछ के बाद ही उनके ठिकानों का पता लगा था।

इस बीच उल्फा और केन्द्र सरकार के बीच बातचीत के फिर से शुरू होने के माहौल भी बनने लगे हैं। गौहाटी के केन्द्रीय जेल में उल्फा की जनरल काउंसिल की बैठक हुई, हालांकि उस बैठक में उपस्थित लोगों की तादाद कम थी। उस बैठक में उल्फा के चेयरमैन अरविंद राजखोवा, मिथिंगा देमरी, और प्रदीप गोगोई शामिल थे।

सरकार से बातचीत करने के तौर तरीके और जगह के बारे में बैठक में चर्चा की गई। उस बैठक की एक नकारात्मक बात यह थी कि उसमें उल्फा के कमांडर परेश बरुआ उपस्थित नहीं थे। परेश बरुआ अपने साथियों के साथ म्यान्मार और चीन की सीमा पर कहीं रह रहे हैं। श्री बरुआ बातचीत करने के पक्ष में नहीं हैं। उनका कहना है कि यदि बातचीत होती हो, तो उसमें असम की संप्रभुता का मामला भी शामिल किया जायए लेकिन केन्द्र और राज्य सरकार इसके लिए कतई तैयार नहीं है।

काउंसिल में मूल रूप से 15 सदस्य हैं, लेकिन उनमें से 5 या तो लापता हैं या मारे जा चुके हैं अथवा वे खुद कहीं छिपे हुए हैं। असम के मुख्यमंत्री ने बताया कि पेरश बरुआ की अनुपस्थिति में भी बातचीत की जा सकती है। उनका मानना है कि अपने साथियों द्वारा केन्द्र के साथ हुए समझौते को परेश बरुआ भी मान लेंगे। (सवाद)