“मेघों के आलय” अर्थात मेघालय में अन्य अनेक अन्य जिज्ञासाएं भी हैं जो राज्य विधानसभा चुनाव को विशेष रूप से रेखांकित करती हैं।अलग-अलग राजनीतिक विचारधाराओं को मानने वाले, केंद्रीय गृह मंत्री, अमित शाह और तृणमूल कांग्रेस के नेता अभिषेक बनर्जी कभी भी एक स्वर में नहीं बोलने के लिए जाने जाते हैं।फिर भी दोनों यहां ऐसा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि उनके राजनीतिक हित जुड़े हुए हैं।आश्चर्य नहीं कि उन्होंने अपनी बंदूकें एक ही राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी-मुख्यमंत्री, कोनरैड के. संगमा पर तान रखी हैं तथा भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए उन पर निशाना साधा है।
जैसा कि शाह द्वारा मुख्यमंत्री के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगायेजाने से स्पष्ट है, यह पूर्ववर्ती राजनीतिक सहयोगियों के चुनावी संघर्ष में एक-दूसरे के खिलाफ होने का मामला है।नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के लिए, जिसके नेता संगमा भाजपा से ताल्लुक रखते हैं, ने मेघालय डेमोक्रेटिक अलायंस बनाया, जिसने यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, हिल स्टेट पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी और एक निर्दलीय विधायक के साथ मिलकर इस पहाड़ी राज्य की सरकार चलायी।
दूसरी ओर, तृणमूल नेता अभिषेक बनर्जी ने मुख्यमंत्री, संगमा पर सीबीआई और ईडी की चौकीदारी करने का आरोप लगाया है, जो कथित तौर पर राज्य के खजाने की कीमत पर अपने परिवार को समृद्ध कर रहे हैं।तृणमूल नेता अपनी पार्टी के प्रमुख प्रचारकों में से एक हैं जो इस राज्य में प्रमुख विपक्षी संगठन है।
भले ही भाजपा एनपीपी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाती है, लेकिन वह एक ऐसे तथ्य को भूल जाती है, जिसके कारण उसे दूसरा विचार रखना चाहिए था।इसने एनपीपी के ऐसे छल-कपट को कैसे नजरअंदाज कर दिया या पहले इसे गठबंधन से बाहर निकलने से कैसे रोका।जैसा कि आने वाले चुनावों की बारीकियों पर नजर डालने से स्पष्ट होता है, एनपीपी को प्रमुख गठबंधन सहयोगी होने का फायदा है जो चुनाव अभियान में स्पष्ट दिखायी दे रहा है।
भाजपा सभी 60 सीटों पर चुनाव लड़ रही है।कभी राज्य में एक मजबूत राजनीतिक इकाई रही कांग्रेस भी 60 सीटों पर चुनाव लड़ रही है।हालांकि तृणमूल प्रमुख विपक्षी दल है, लेकिन उसके उम्मीदवार 56 निर्वाचन क्षेत्रों में ही चुनाव लड़ रहे हैं।
मेघालय में मुख्य राजनीतिक खिलाड़ी के रूप में उभरने की कोशिश में, भाजपा ने कोनरैड संगमा के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाये हैं।यह उनके मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान राज्य के विकास में कमी के साथ जुड़ा हुआ है।अगर भारतीय रिजर्व बैंक की रिपोर्ट को माना जाये, तो मेघालय देश में सबसे धीमी गति से विकसित होने वाला राज्य रहा है, स्वयं शाह ने तर्क दिया है।लेकिन यह फिर से एनपीपी और अन्य के साथ बनायी गयी गठबंधन सरकार में उनकी पार्टी भाजपा की ही भूमिका पर केंद्रित है।
उत्तर पूर्वी राज्यों केबीच सीमा विवाद एक संवेदनशील मुद्दा है, भाजपा के चुनावी वायदों में असम के साथ सीमा विवाद सुलझाना शामिल है, जिसमें भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार है।सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सीमा पर स्थायी चौकियां भगवा चुनाव घोषणापत्र में हैं।भ्रष्टाचार के सभी मामलों की जांच के लिए सर्वोच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक विशेष टास्क फोर्स भाजपा के चुनाव घोषणापत्र का हिस्सा है।भगवा पार्टी के प्रचारकों ने पड़ोसी राज्य असम से तुलना करते हुए राज्य की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को मजबूत करने की ओर इशारा किया है, जहां पांच मेडिकल कॉलेज बनाए गये हैं, जबकि मेघालय में पांच दशकों से कोई मेडिकल कॉलेज नहीं है।
तृणमूल के चुनावी घोषणापत्र में भी सीमा विवाद की जगह है।भले ही यह खुद को एनपीपी द्वारा किसी बाहरी व्यक्ति को टैग किए जाने से रोकने में व्यस्त है, लेकिन सत्ता में आने पर इसने असम के साथ सीमा समझौते को खत्म करने का वायदा किया है।
राज्य में अवैध कोयला खनन की समस्या है।भाजपा के घोषणापत्र में एक टास्क फोर्स को इसकी जांच करने और वैज्ञानिक कोयला खनन शुरू करने का वायदा किया गया है।मुकुल संगमा के नेतृत्व वाली तृणमूल की मेघालय इकाई ने मुख्यमंत्री कोनरैड संगमा पर नरम और निष्प्रभावी होने का आरोप लगाया है।पिछले साल पुलिस फायरिंग में मेघालय के 5 लोगों और असम के एक फॉरेस्ट गार्ड की मौत से हालात और बिगड़ गये हैं।
मुकुल संगमा ने अपने चुनावी भाषण में एनपीपी पर रिमोट से चलने का आरोप लगाया था।उन्होंने यह कहकर अपने विवाद को रेखांकित किया कि असम के साथ सीमा विवाद के दौरान यह देखा गया था कि राज्य सरकार की विफलता के कारण उसे जमीन दी गयी है।
इससे भी अधिक गंभीर आरोप लगाये जा रहे है।इसने आरोप लगाया कि एनपीपी नेतृत्व को असम से निर्देशित किया जा रहा है।आखिरकार, एनपीपी के साथ, भाजपा भी मेघालय डेमोक्रेटिक अलायंस का हिस्सा थी।एनपीपी के कथित भ्रष्टाचार, जिस पर भाजपा ने आंखें मूंद लीं, को तृणमूल ने भुगतान के रूप में माना है।
भाजपा के दावों को खारिज करते हुए एनपीपी 57 सीटों पर चुनाव लड़ रही है।यह पिछले पांच वर्षों में राज्य का विकास करने का दावा करता है।इसका मानव विकास अन्य उत्तर पूर्वी राज्यों और पश्चिम बंगाल की तुलना में अधिक होने का दावा किया गया है, जो अभिषेक बनर्जी को बचाव करने को मजबूर करता है।देश में बहुत कम राजनीतिक दल हैं जो धर्म को राजनीति से मिलाने में भाजपा जितने माहिर हैं।लेकिन मेघालय एक ईसाई बहुल राज्य है और भाजपा पर इस धर्म के खिलाफ होने का आरोप लगाया जा रहा है, ऐसा आरोप जिसका उत्तर भाजपा के पास नहीं है।(संवाद)
मेघालय में सत्तारूढ़ साथी के खिलाफ चुनाव प्रचार में भाजपा की मुसीबत
भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सत्ताधारी एनपीपी को तृणमूल की चुनौती
तीर्थंकर मित्र - 2023-02-20 16:05
27 फरवरी को मेघालय में दिलचस्प चुनावी जंग देखने को मिलेगी।पूर्वोत्तर के सहयोगी एक-दूसरे से भिड़ रहे हैं और 2 मार्च को परिणाम घोषित होने के बाद खरीद-फरोख्त की संभावना बढ़ गयी है।