भाजपा को इसे लोकतंत्र की निशानी की भावना से लेना चाहिए था, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम और सम्मान की रक्षा करने की शपथ लेने वाले भाजपा नेताओं के लिए दृष्टि इतनी भ्रमित हो गयी है कि वेमोदी को हटाने का आह्वान करने वाले पोस्टर उनकी आंखों की किरकिरी से भी ज्यादा, उन्हें ईशनिन्दा तुल्य निंदक लगे।
इसलिए, कार्रवाई तुरंत हुई, आंख झपकने से भी तेज गति से।दिल्ली पुलिस, जो हमेशा केंद्र के इशारे पर कार्रवाई करने के लिए कुख्यात रही है, ने छह लोगों को गिरफ्तार कियाऔर 44 प्राथमिकियां दर्ज की।लेट लतीफ प्राथमिकी दर्ज करने की उनकी प्रवृत्ति में यह एक बदलाव था।पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज करने में न तो टालमटोल की और न ही देरी की।
जैसा कि कहा जाता है, कानून लागू करने के तरीके अजीब होते हैं!क्या हमने ईडी और सीबीआई जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियों को विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारी के लिए सोच-समझकर छापेमारी करते हुए नहीं देखा है, जब से मोदी सरकार ने विधिवत निर्वाचित गैर-भाजपा सरकारों की गाड़ी को बाधित करने और उसके नेताओं को परेशान करने के लिए शपथ ली है?
दिल्ली की पुलिस ने पोस्टर लगाने वालों पर आरोप लगाने और उन्हें गिरफ्तार करने के लिए एक लंबे समय से भूले हुए कानून का इस्तेमाल किया।गिरफ्तार किये गये छह लोगों में से दो एक प्रिंटिंग प्रेस के संयुक्त मालिक हैं, जहां पोस्टर छपे थे और उनके बंडलों का परिवहन किया गया था। वे स्पटतः औपनिवेशिक समय के भूले-बिसरे कानून के बारे में नहीं जानते थे।
पुलिस की कार्रवाई ने पोस्टरों में रुचि बढ़ा दी, जिनमें से हजारों को दिल्ली की विकृत दीवारों से हटा दिया गया।दसियों हज़ार दीवारों परभाजपा को परेशान करने वाले पोस्टरों पर लिखे बेहद महत्वपूर्ण संदेश पर एक सरसरी निगाह डालने की अनुमति देने का भी शिष्टाचार नहीं दिखाया।
हाल ही में, विशेष रूप से बीबीसी के दो-भाग की डॉक्यूमेंट्री 'इंडिया: द मोदी क्वेश्चन' के ब्रिटेन में प्रसारित होने और फिर भारत में प्रतिबंधित होने के बाद से, भाजपा और मोदी सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तौर-तरीकों की किसी भी आलोचना के प्रति बहुत संवेदनशील हो गयी थी।क्योंकि, आलोचनाओं में सन्निहित सत्य के तत्व, कटु सत्य थे।
कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सर्वोच्च राष्ट्रीय और वैश्विक रेटिंग प्राप्त है।उन्हें विश्व के नेताओं द्वारा सम्मानित किया जाता है और, आम बातों के अनुसार, वे नोबेल के लिए कतार में भी हो सकते हैं, हालांकि भारत के विपक्ष की नजर में, मोदी के पास 'डिवाइडर-इन-चीफ' की उपाधि हैइसलिए नोबेल पुरस्कार हासिल करने का मौका कहां!
किसी को भी प्रधानमंत्री के बारे में बुरा नहीं बोलना चाहिए, लेकिनआज की परिस्थितयों में ऐसा ही हो रहा है।लाखों भारतीयों के मन में "मोदी-जी" के लिए एक सख्त नापसंदगी है, और कोई भी सरकार उनकी कनपटियों पर बंदूकें तानकर उन्हें उस व्यक्ति की पूजा करने का आदेश पालन नहीं करवा सकती जिसे वे बहुत घृणा करते हैं।
वास्तव में, स्कैंडिनेवियाई, जो नोबेल देते हैं, भयभीत हो जायेंगे यदि उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर उनके शासितों में कुछ लोगों और विपक्षी दलों के नेताओं द्वारा उछाली गयी बातों का अनुवाद दिया जाये, विशेषकर उनके जो मोदी सरकार की मनमानीपूर्ण कार्रवाई को झेलने को अभिषप्त रहे हैं।
अपमानजनक ‘मोदी हटाओ, देश बचाओ’ पोस्टरलगाने वालों के विरूद्ध की गयी पुलिस कार्रवाई के बारे में दिल्ली पुलिस ने स्पष्ट किया है कि पोस्टर लगाने वालों पर वास्तव में सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का मामला दर्ज किया गया था।कानून कहता है कि पोस्टरों पर प्रिंटिंग प्रेस का नाम होना चाहिए था, जो इन पोस्टरों में नहीं थे।
पोस्टर आम आदमी पार्टी कार्यालय की ओर ले जाये जा रहे थे, तभी पुलिस ने वाहन को रोक लिया और पोस्टरों को जब्त कर लिया।सच्चाई यह है कि आप संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल राजनीतिक रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नींद उड़ा रहे हैं जिसे भारतीय जनता पार्टीजानती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के लिए मुसीबत यह है कि मोदी के नौ साल के कार्यकाल में उनके खिलाफ बहुत कुछ जमा हो रहा है। फिर मोदी 2024 के चुनावों के लिए महत्वाकांक्षीप्रधान मंत्री पद के उम्मीदवारों के एक समूह का सामना कर रहे हैं, जिनमें केजरीवाल के अलावा कांग्रेस नेता राहुल गांधी और तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी भी हैं।
'मोदी हटाओ, देश बचाओ' के पोस्टरों ने विशेष रूप से भाजपा को परेशान कर दिया है।दिल्ली की दीवारों को ऐसे समय में "विकृत" किया गया है जब भारत ने जी-20 की अध्यक्षता ग्रहण कर ली है, और जी-20 कार्यक्रम पूरे भारत में, विशेष रूप से राजधानी दिल्ली में सर्वव्यापी हैं।जी-20 आगंतुकों की प्रतिक्रिया की कल्पना करें यदि उन्हें पता चल गया कि पोस्टरों में क्या संदेश दिया गया है - कि भारत के लोग उनसे ही देश को बचाने का आह्वान कर रहे हैं जिन्हें उन्होंने स्वयं को बचाने के लिए चुना था।लंदन में कांग्रेस नेता राहुल गांधी इसी पर जोर दे रहे थे।किसी भी कीमत पर 'मोदी हटाओ, देश बचाओ' के पोस्टरों को रातोंरात लगाने की अनुमति नहीं दी जा सकती थी।
जो भी हो, मोदी पहले प्रधानमंत्री नहीं हैं जिन पर आपत्तिजनक पोस्टर लगाये गये हैं;प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी भी 'इंदिरा हटाओ देश बचाओ' के पोस्टरों के साथ हिट हुईं; और उन्होंने उन पोस्टरों को बड़े हल्के से लिया!साथ ही, कांग्रेस ने इतना हो-हल्ला नहीं मचाया जितनी भाजपायी मचा रहे हैं।आखिर प्यार और राजनीति में सब जायज है!
आम आदमी पार्टी ने ट्वीट कर कहा कि मतदाताओं को यह बताने के लिए 'मोदी हटाओ, देश बचाओ' पोस्टर जरूरी थे कि "मोदी सरकार की तानाशाही का चरम" पर पहुंच गयी है।हालाँकि, आप को यह नहीं पता था कि एक भूला-बिसरा कानून भी है जो रास्ते में आ सकता है।(संवाद)
नरेंद्र मोदी विरोधी पोस्टरों पर क्यों झपट्टा मार रहे दिल्ली के पुलिसकर्मी
लोकतंत्र में प्रत्येक व्यक्ति को है प्रधान मंत्री की आलोचना करने का अधिकार
सुशील कुट्टी - 2023-03-24 10:41
लोग प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के दबंगई से नफरत करते हैं, और यही कारण था कि दिल्ली में दीवारों पर 'मोदी हटाओ/देश बचाओ' की मांग करने वाले पोस्टर लगाये गये।इस संदेश को ले जाने वाले हजारों पोस्टर रातों-रात उस शहर में दिखाई दिये, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रहते हैं और जहां से वे शासन करते हैं।