भारतीय विदेश मंत्री की अमरिका यात्रा में एक खास बात यह रही कि अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने हिलेरी द्वारा श्री कृष्णा को दी गई भोज पार्टी में शिरकत की। इस तरह भारत को यह बहसास कराने की कोशिश की गई कि अमेरिका उसे अपनी अफ-पाकिस्तान नीति अथवा चीन नीति की दृष्टि से नहीं देखता है, बल्कि वह भारत को अपने आपमें अपने लिए महत्वपूर्ण मानजा है। भारत को यह अहसास कराने की को्िरशश की गई कि बुश के समय में उसे जितना महत्व मिलता था, उसमें कोई कमी नहीं की गई है।

श्री कृष्णा की अमेरिकी यात्रा की एक उपलब्धि भोजपार्टी में अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा की गई घोषणा थी जिसमें उन्होंने कहा कि वे नचंबर महीने में भारत आ रहे हैं। अपने कार्यकाल के शुरुआती सालों में ही अमेरिकी के किसी राष्ट्रपति का किसी देश की यात्रा के लिए तैयार होने का मतलब होता है कि वह देश उसके लिए महत्वपूर्ण है।

भोजपाटी्र में ओबामा ने अपने वक्तव्य की शुरुआत नमस्ते से की और कहा कि अमेरिकी प्रशासन के लिए भारत से संबंध प्रगाढ़ करना उसकी प्राथमिकताओं में शामिल है। उन्होंने यह भी कहा कि यह उनके लिए व्यक्तिगत रूप से भी महत्वपूर्ण है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि वह चाहतें हैं कि भारत और अमेरिका पार्टनर बनें। जाहिर है अमेरिका भारत के साथ अपनी सामरिक वार्ता को नई ऊंचाई तक पहुंचाना चाहता है।

दिलचस्प बात यह है कि भारतीय विदेश मंत्री के साथ अमेरिका की इा बातचीत के पहले ओबामा प्रशासन ने पाकिस्तानण् अफगानिस्तान और चीन से भी सामरिक बातचीत की। दरअसल विदेश मंत्री श्री कृष्णा की यह यात्रा ओबामा की नवंबर में होने वाली भारत यात्रा के तैयारी की रूप में थी। उस यात्रा के पहले भारत और अमेरिका के राजनय से जुड़े लोग आपस में मिल जुल कर एक दूसरे को समझने की कोशिश रहे थे, ताकि ओबामा की भारत यात्रा के दौरान वे एक दूसरे के साथ बेहतर ढंग से संवाद कर सके।

भारत दुनिया का सबसे तेजी से विकास करने वाला दूसरा देश है। अमेरिका को इसकी आर्थिक और वाणिज्यिक शक्ति का अहसास है। भारत उसे रक्षा उद्योग प्रतिष्ठान के लिए भी काफी मायने रखता है, क्योंकि उसके रक्षा व्यापारी भारत के रक्षा उनकरणों के बाजार पर भी नजर लगाए हुए हैं।

विश्लेषकों का मानना है कि दोनो देशों के बीच बातचीत तो ठीकठाक ढंग से चलीख् लेकिन भारत की कुछ चिुताओं को अमेरिका उचित मत्व नहीं दे सका। भारत की पहली चिंता तो राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद में स्थाई सीट पाने की है। अमेरिका इस मसले पर खुलेमन से बात नहीं कर रहा है। भारत की दूसरी चिंता पाकिस्तान जनित आतंकवाद की है। लेकिन अमेरिका इस पर चाहता है कि भारत पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय बातचीत करके इस मसले को सुलझााए। भारत की तीसरी चिुता हेडली को लेकर है। अमेरिका इस मामले में वह गर्मजोशी नहीं दिखा रहा है, जिसकी उससे अपेक्षा की जाती है। अफगानिस्तान को लेकर भी अमेरिका भारत की चिंताओं की परवाह नहीं करता। पाकिस्तान नहीं चाहता कि भारत अफगानिस्तान मामले से कोई ताल्लुक रखे और अमेरिका यह कहकर चुप हो जाता है कि भारत अफगानिस्तान के विकास और पुनर्निमाण में अपनी भूमिका निभाए। (संवाद)