दरअसल, अनेक गूढ़ अर्थ भरे हुए बयान आये हैं। सबसे पहले, राहुल गांधी ने बिहार जाति जनगणना के मद्देनजर "जितनी आबादी, उतना हक" की बात की। आइए, यह न भूलें कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के कान 'जाति जनगणना' शब्द के प्रति बेहद संवेदनशील हैं, जिसे वह अपने दीर्घकालिक प्रतिद्वंद्वी नीतीश कुमार से जोड़ते हैं, जो 'जाति जनगणना' और इसके राष्ट्रीय स्तर से लेकर नीचे तक में होनेवाले संभावित प्रभाव के कारण वापस राजनीतिक परिदृश्य में जोरदार ढंग से आ गये हैं।
बिहार जाति जनगणना के बाद, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को अपने स्वयं के 'ब्रह्मास्त्र' की तलाश करने के लिए मजबूर होना पड़ा है और संभावना है कि उन्होंने इसे जनसंख्या के आधार पर परिसीमन में पाया है। परिसीमन 2026 में होना है और आदर्श रूप से इसे अभी के लिए छोड़ दिया जाना चाहिए था, लेकिन मोदी इंतजार नहीं कर सकते थे क्योंकि हर गुजरता दिन उन्हें‘राजनीतिक सफाये’ के करीब ला रहा है और इसलिए आज के संकट को आज ही संबोधित करना होगा, कल तक नहीं छोड़ना होगा।
साथ ही, परिसीमन मुद्दे पर 'दक्षिण' पहले से ही आंदोलन के संकेत दे रहा है। डर यह था कि इससे संसद में दक्षिण का प्रतिनिधित्व भारी गिरावट के साथ समाप्त हो सकता है। मोदी ने इस स्पष्ट डर का सहारा लिया। उन्होंने तेलंगाना के निज़ामाबाद में रैली में कहा कि जनसंख्या के आधार पर परिसीमन के बाद, दक्षिण को "लोकसभा में 100सीटों तक का नुकसान होगा" क्योंकि अगर राहुल गांधी की "जितनी आबादी, उतना हक" के फार्मूले को लागू करें तो दक्षिण का यही हक़ होगा।
ऐसी स्थिति क्या जनसंख्या नियंत्रण के मामले में उत्कृष्ठ कार्य निष्पादन के लिए दक्षिण भारत को दंडित करना नहीं होगा? विशेषकर वैसी स्थिति में जब उत्तर भारत जनसंख्या नियंत्रण के स्थान पर जनसंख्या तेज गति से बढ़ाता रहा। इस मामले में उत्तर प्रदेश और बिहार, यहां तक कि पश्चिम बंगाल जैसे राज्य भी शामिल हैं। राहुल गांधी का नारा "जितनी आबादी, उतना हक" मोदी के मुंह से निकला और निज़ामाबाद रैली में गूंज उठा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कब तक राष्ट्रीय जाति जनगणना की मांग को टाल पाएंगे? विपक्षी इंडिया गठबंधन इस मुद्दे को आसानी से छोड़ने वाला नहीं है।
“देश अब अगले परिसीमन के बारे में बात कर रहा है। इसका मतलब यह होगा कि जहां भी जनसंख्या कम है, वहां लोकसभा सीटें कम हो जायेंगी, और जहां जनसंख्या अधिक है, वहां लोकसभा सीटें बढ़ जायेंगी... दक्षिणी राज्यों ने जनसंख्या नियंत्रण में उल्लेखनीय प्रगति हासिल की है, लेकिन कांग्रेस के अधिकारों के नये विचार के कारण उन्हें भारी नुकसान होगा। जनसंख्या के अनुपात में इसे लागू किया गया... तो दक्षिण भारत को 100 लोकसभा सीटों का नुकसान होगा... क्या दक्षिण भारत इसे स्वीकार करेगा? क्या दक्षिण भारत कांग्रेस को माफ करेगा? मैं कांग्रेस नेताओं से कहना चाहता हूं कि वे देश को मूर्ख न बनायें।' यह स्पष्ट करें कि वे यह खेल क्यों खेल रहे हैं,”प्रधानमंत्री ने कबूतरों के बीच बिल्ली का खेल खेलते हुए कहा।
यह अकारण नहीं है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीरपुतिन प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को "बहुत, बहुत बुद्धिमान व्यक्ति" कहते हैं। मोदी ने गेंद राहुल गांधी के पाले में डाल दी और इस बात पर स्पष्टता की मांग की कि क्या भारत-गठबंधन दक्षिण भारत के साथ है या उसके खिलाफ है, उन्होंने कहा कि "जितनी आबादी, उतना हक" हर संभव तरीके से दक्षिण भारत को उत्तर भारत के सामने बौना बना देगा। यह आग से खेलने जैसा है लेकिन भारत पर उत्तर की पकड़ पूरी तरह से है और उस बिंदु पर हिसाब-किताब करना समय की मांग है और अपरिहार्य भी।
इस मुद्दे को उठाने के लिए प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया जाना चाहिए। उत्तर वह जगह है जहां भाजपा चुनावी रूप से मजबूत है और दक्षिण ने मोदी की तथाकथित हिंदू राष्ट्रवादी पार्टी भाजपा को बार-बार खारिज किया है। जनसंख्या के आधार पर परिसीमन से भाजपा को फायदा होगा लेकिन प्रधानमंत्री चाहते हैं कि भाजपा उनके जीवनकाल में ही दक्षिण में अपना नाम दर्ज करा ले। परिसीमन से कांग्रेस को कम लोकसभा सीटें मिलेंगी, लेकिन मोदी 'दक्षिण' के लिए बोलते हैं क्योंकि वह चाहते हैं कि 'दक्षिण' भाजपा के अनुकूल प्रतिक्रिया दे।
अब, यह कांग्रेस पर निर्भर है कि वह अपने दक्षिणी गढ़ में कम लोकसभा सीटों और भाजपाको उत्तर भारत के गढ़ में लोकसभा सीटोंकी भारी वृद्धि के बीच किसी एक को चुनने का निर्णय ले, जो जनसंख्या के आधार पर परिसीमन के कारण हो सकता है। हालाँकि, यह तर्क दिया जा सकता है कि "उत्तर में भाजपा है और दक्षिण में कांग्रेस है", पर वास्तव में पूरी बात को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है और प्रधान मंत्री केवल आधे-अधूरे होकर बहुत चतुर होने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि वह इंडिया गठबंधन में एकता से आतंकित हैं।गठबंधन द्वारा और अधिक राज्यों में जाति जनगणना कराये जाने की संभावना है और भाजपा की खुद की सत्ता-विरोधी लहर उनकी तीसरी बारी की संभावनाओं को कम कर रही है। किसी भी स्थिति में, परिसीमन 2024 में लोकसभा चुनाव के काफी समय बाद 2026 में होगा। (संवाद)
तेलंगाना अभियान में पीएम मोदी बनाम राहुल गांधी की लड़ाई दिलचस्प
क्या नरेंद्र मोदी उत्तर के विरुद्ध दक्षिण की भावनाओं को शांत कर सकते हैं?
सुशील कुट्टी - 2023-10-07 12:07
'दक्षिण' वैसा नहीं है जैसा 'उत्तर' है, और यह राजनीतिक अहसास उतना ही पुराना है जितना स्वतंत्र भारत। लेकिन, यह पहली बार था जब भारत के किसी प्रधान मंत्री ने 'दक्षिण' को यह याद दिलाने की जहमत उठायी कि वह 'उत्तर' की तुलना में स्थायी नुकसान में है। लोगों ने ऐसे दुखदायी और अपमानजनक वचन सुने, लेकिन तब कोई और नहीं बल्कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के मुंह से सुना, यह भी कि आगे क्या होने वाला है। प्रधानमंत्री तेलंगाना में एक रैली में मतदाताओं को सम्बोधितकर रहे थे, जहां हाल के हफ्तों में राहुल गांधी से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, और यहां तक कि सोनिया गांधी तक राजनेता बड़े-बड़े बयान दे रहे हैं।