किसी ने "संरचनात्मक सामंजस्य की अनुपस्थिति" की ओर इशारा किया, जो एक बहुत अच्छा वर्णन है। अब टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी का कहना है कि टीएमसी अकेले लड़ेगी और उसे दबंगई करने वाली कांग्रेस के साथ गठबंधन की जरूरत नहीं है। कांग्रेस के खिलाफ क्षेत्रीय दलों के एकजुट होने से ममता संतुष्ट हैं। फिर, आम आदमी पार्टी भी उसी का अनुसरण कर रही है, जो कि इंटिया गठबंधन के ताबूत में अपने कोटे की कील ठोंक रही है।
इसके बाद, ठीक उसी कारण से, बिहार के मुख्यमंत्री और जद (यू) नेता नीतीश कुमार अपना पैंतरा दिखा रहे हैं। इंडिया गठबंधन की मुसीबत पश्चिम बंगाल, बिहार, पंजाब और केरल तक फैल गयी है। सीट-बंटवारा मुख्य समस्या है। गठबंधन की मुख्य पार्टियाँ हमेशा एक-दूसरे के विरोध में रहती हैं। प्रत्येक पार्टी सीटों में बड़ा हिस्सा या अपने आवंटित हिस्से से अधिक हिस्सा चाहती है। क्या परस्पर विरोधी इंडिया गठबंधन घटकों को इस बात का एहसास भी है कि वे क्या कर रहे हैं? आम चुनाव पाँच साल में केवल एक बार आते हैं, यह इस अवधि के लिए "आप केवल एक बार जियेंगे" पदावली के बराबर है।
ममता की कहानी सरल और सीधी है। दूसरों की तरह, ममता भी इंडिया के शीर्ष पद की तलाश में हैं। बिल्कुल वैसे ही जैसे नीतीश कुमार और अरविंद केजरीवाल। राहुल गांधी भी इसमें शामिल हैं। कांग्रेस का मानना है कि वह 2019 की तुलना में 2024 में बेहतर स्थिति में है। कांग्रेस एक गांधी प्रधान मंत्री का ताज पहनने की उम्मीद कर रही है और शायद भारत का एक चौथाई हिस्सा भी गांधी को शीर्ष पर चाहता है।
हालाँकि, ममता बनर्जी नहीं चाहतीं कि कांग्रेस के साथ गठबंधन आगे बढ़े। उन्हें पुनर्विचार करने के लिए मजबूर करने की कोशिश की जा रही है। लेकिन ममता बनर्जी की मुख्य शिकायत कांग्रेस से है। राहुल गांधी के यह कहने के एक दिन बाद कि पश्चिम बंगाल में "सीट-बंटवारे के लिए बातचीत चल रही है", ममता ने इस दावे का खंडन किया। "कांग्रेस को अपने दम पर 300 सीटें लड़ने दें," व्यंग्य टपका, "हम कोई हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं करेंगे।"
ममता इस बात के लिए भी कांग्रेस से नाराज हैं कि उन्होंने उनकी आवाज नहीं उठायी और राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो न्याय यात्रा', जो पश्चिम बंगाल से भी गुजरेगी, में उन्हें शामिल करने में विफल रही। सवाल यह है कि क्या ममता क्षेत्रीय पार्टियों के लिए बोलती हैं? ममता का कहना है कि लोकसभा चुनाव के बाद क्षेत्रीय दलों की बैठक के बाद ही आगे का फैसला लिया जायेगा।
कांग्रेस के साथ सीट बंटवारे पर, ममता केवल "दो सीटें" छोड़ने को तैयार हैं, वही दो सीटें जो कांग्रेस के पास पहले से ही हैं - मालदा दक्षिण और बरहामपुर। ऐसा प्रतीत होता है कि टीएमसी आम चुनाव में अकेले उतरने को लेकर गंभीर है। इंडिया ब्लॉक का क्या होगा? अधीर रंजन चौधरी कहते हैं, कांग्रेस के पास पश्चिम बंगाल में खोने के लिए कुछ नहीं है और सीपीआई (एम) टीएमसी के साथ कुछ भी लेना-देना नहीं चाहती है।
इसलिए, ममता बनर्जी ने दोनों पर लगाम लगा दी और पंजाब में कांग्रेस-आप में "विभाजन" भी तय हो गया। मुख्यमंत्री भगवंत मान का कहना है कि आप पंजाब की सभी 13 लोकसभा सीटें जीतेगी और कांग्रेस को दरकिनार कर देगी। ऐसी स्थिति में आप और कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे की बातचीत का क्या होगा? कांग्रेस और आप आम तौर पर पंजाब और दिल्ली में काम करते हैं, परन्तु गोवा और गुजरात भी गंभीर युद्ध के मैदान बनते जा रहे हैं।
2019 में कांग्रेस ने पंजाब में 8 संसदीय सीटें जीतीं। आम आदमी पार्टी को एक मिला। हालाँकि, 2022 के विधानसभा चुनावों ने आप को 117 में से 92 सीटों के साथ स्थापित किया। कांग्रेस को 18 सीटें मिलीं, और भाजपा तस्वीर में कहीं नहीं थी। जो भी हो, आप-कांग्रेस गठबंधन से इनकार किया गया है। टीएमसी की तरह आप भी अकेले चुनाव लड़ रही है। कांग्रेस भी उन राज्यों में अकेले चुनाव लड़ेगी। खबरें हे कि कांग्रेस और आप ने दिल्ली के लिए सीट बंटवारे पर समझौता कर लिया है, और हरियाणा के लिए हो सकता है।
इंडिया गुट बिहार में भी थोड़ा तनाव में है। कांग्रेस के पास बिहार की केवल एक लोकसभा सीट है। लेकिन उसके पास लालू प्रसाद यादव की राष्ट्रीय जनता दल के रूप में एक मजबूत सहयोगी है, भले ही नीतीश कुमार की जद-यू फिसलन भरी ढलान पर है। दरअसल, बिहार के मुख्यमंत्री को किसी खास पद पर बांधना मुश्किल है। नीतीश कुमार क्या चाहते हैं ये नीतीश के मन में ही है, शेष सभी अटकलें हैं। लेकिन ममता बनर्जी के सक्रिय रहने से नीतीश कुमार के पास शायद अपना कोई खेल नहीं है। इंडिया गठबंधन की उलझनों को सुलझाने के लिए बहुत कम समय है। अगले दो महीने में और बहुत देर हो जायेगी। भारत के नेताओं को सीट बंटवारे पर साझेदारों के बीच सभी मतभेदों को सुलझाने के लिए एक आपातकालीन बैठक बुलानी चाहिए, जिसकी सफलता पुनरुत्थान वाली भाजपा से मुकाबला करने के लिए महत्वपूर्ण है। (संवाद)
मतभेद सुलझाने के लिए इंडिया ब्लॉक को एक आपातकालीन बैठक की आवश्यकता
लोकसभा चुनाव में भाजपा से मुकाबला के लिए विपक्ष के पास समय बहुत कम
सुशील कुट्टी - 2024-01-27 10:38
भाजपा को हराने के लिए विपक्षी गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंट इन्क्लुसिव अलायंस (इंडिया) उथल-पुथल में है, अपनी एकजुट पकड़ खो रहा है और विपक्ष की पहले से बिखरी हुई स्थिति में लौटने का खतरा मंडरा रहा है। दरारें विकसित हो गयी हैं और इंडिया गुट सीट-बंटवारे के फॉर्मूले पर सहमत नहीं हो सकता है। उनकी साझी दुश्मन भाजपा यह देख रही है कि इंडिया गठबंधन किस प्रकार ढहने वाला है। ममता बनर्जी, नीतीश कुमार, भगवंत मान, बहुत सारे विपक्षी नेता हैं जो इंडिया गुट के पैरों तले की जमीन जोत रहे हैं।