आज हर लड़की चाहे वह किसी भी उम्र की हो जीरो साइज में ही दिखना चाहती है। फिल्म अभिनेत्रियों और मॉडलों की देखादेखी आज छह-सात साल की लड़कियां भी दुबली-पतली ही रहना चाहती हैं। लेकिन वैज्ञानिकों ने लड़कियों के दुबली दिखने की प्रवृत्ति को खतरनाक बताया है और लड़कियों में दुबलापन को कैंसर के लिए जिम्मेदार पाया है। उनके अनुसार दुबली लड़कियांे में उनकी बाद की जिंदगी में स्तन कैंसर होने की अधिक आशंका होती है।

स्टॉकहोम में कैरोलिना इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों के अनुसार सात साल की उम्र में सामान्य से कम वजन की लड़कियों में सामान्य वजन की लड़कियों की तुलना में उनके बड़े होने पर स्तन कैंसर होने की अधिक संभावना होती है। इस अध्ययन में पाया गया कि जो लड़कियां युवावस्था में थोड़ी अधिक वजन की होती हैं उनमें एक विशेष प्रकार के आक्रामक ट्यूमर ‘‘एस्ट्रोजन रिसेप्टर निगेटिव’’ होने की संभावना कम होती है। यह ट्यूमर सबसे घातक किस्म का कैंसर है जिसका इलाज मुश्किल होता है।

इन वैज्ञानिकों ने अनुसंधान में पाया कि किसी महिला में स्तन कैंसर का अनुमान लगाने के लिए उसके बाल्यावस्था के फोटो का इस्तेमाल किया जा सकता है। इन वैज्ञानिकों ने स्वीडन में स्तन कैंसर के 6 हजार रोगियों पर अध्ययन करने के लिए उनके बाल्यावस्था के फोटोग्राफ और उनकी याददाश्त का इस्तेमाल किया। उन्होंने पाया कि जो महिलाएं अपने युवावस्था में थोड़े अधिक वजन की थीं उनमें रजोनिवृति के बाद स्तन कैंसर होने की संभावना कम थी।

हालांकि पूर्व में किए गए अनुसंधानों में पाया गया था कि मोटी महिलाएं स्तन कैंसर के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं और उनके इस बीमारी के कारण मृत्यु होने की संभावना 50 प्रतिशत अधिक होती है।

हालांकि वैज्ञानिकों को अभी यह पता नहीं चल पाया है कि दुबली लड़कियों में स्तन कैंसर होने की अधिक संभावना क्यों होती है। लेकिन इतना अवश्य है कि किसी महिला मेंे इसके खतरे को सुनिश्चित करने में यह महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।

स्तन कैंसर महिलाओं में सबसे सामान्य किस्म का कैंसर है जिससे 9 में से एक महिला अपनी जिंदगी में कभी न कभी पीड़ित होती हैं। हर साल स्तन कैंसर के करीब 46 हजार रोगियों की पहचान होती है।

भारत के प्रसिद्ध स्तन कैंसर विशेषज्ञ एवं आर्टमिस हेल्थ इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ कंसल्टेंट डा. सिद्धार्थ साहनी बताते है कि आजकल लड़कियों के खान-पान की आदतों में तेजी से बदलाव आने के कारण भी स्तन कैंसर का प्रकोप बढ़ रहा है। किशोर लड़कियों खासकर कॉलेज जाने वाली लड़कियों में हाल के वर्षों में शराब का सेवन तेजी से बढा है। लेकिन कम उम्र में शराब के सेवन से वयस्कावस्था में बिनाइन स्तन ट्यूमर होने का खतरा बढ़ जाता है। वयस्क महिलाओं में भी शराब का सेवन स्तन कैंसर के लिए डायटरी रिस्क फैक्टर के लिए जाना जाता है। हालांकि अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि किशोर लड़कियों में शराब के सेवन से बिनाइन स्तन ट्यूमर होने का खतरा क्यों बढ़ जाता है लेकिन ऐसा माना जाता है कि अल्कोहल का सेवन मादा सेक्स हारमोन एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ा देता है जो स्तन में बिनाइन गांठ, ट्यूमर या सिस्ट के विकास की प्रवृत्ति को बढ़ाता है।

युवा लड़कियों का स्तन बहुत सक्रिय होता है और जब उसमें अतिरिक्त हारमोेन या अल्कोहल जाता है तब वे गांठ, ट्यूमर आदि के निर्माण को बढ़ावा देते हैं और शराब के सेवन की इस प्रवृत्ति को जारी रखने पर स्तन कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।

विशेषज्ञों के अनुसार भारत में महिलाओं द्वारा देर से शादी और बच्चे पैदा करने की पश्चिमी रहन-सहन की बढ़ती प्रवृति के कारण अगले दशक में स्तन कैंसर एक महामारी का रूप ले लेगा। देर से और कम बच्चे पैदा करने और उन्हें पर्याप्त स्तनपान नहीं कराने के कारण एस्ट्रोजन हारमोन का स्तर बढ़ जाता है और उनमें स्तन कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है। हाल में किये गए एक अध्ययन में पाया गया है कि भारत में स्तन कैंसर के मामलों में हर साल तीन प्रतिशत की दर से वद्धि हो रही है और यहां हर साल स्तन कैंसर के करीब एक लाख मामले सामने आते हैं। इस तरह सन 2015 तक यहां स्तन कैंसर के ढाई लाख रोगी हो जाने की आशंका है। हालांकि भारत में स्तन कैंसर के मामलों की दर एकसमान नहीं है लेकिन फिर भी यहां हर साल एक लाख की आबादी में स्तन कैंसर के औसतन 80 नये मामले सामने आते हैं। (फर्स्ट न्यूज लाइव)