यहां यह बताना जरूरी होगा कि 2019 में पहले चरण की कुल सीटों में से भाजपा पांच सीटें हार गयी थी। सभी आठ सीटों - सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, मोरादाबाद, रामपुर, पीलीभीत और नगीना में एनडीए और इंडिया ब्लॉक के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिलेगी।
आरएलडी के साथ गठबंधन के मद्देनजर भाजपा को इस चरण में अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद है। गौरतलब है कि आरएलडी पिछले लोक सभा चुनावों में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन में थी और 2022 में भी उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव सपा के साथ ही लड़ी थी। इस बार भी आरएलडी नेता जयंत चौधरी के साथ अखिलेश यादव की मुलाकात हुई थी और दोनों ने सीट बंटवारे पर गठबंधन को औपचारिक रूप दे दिया था, जिससे प्रदेश भाजपा नेता इस गठबंधन से घबड़ा गये थे और उन्होंने प्रधानमंत्री समेत केंद्रीय नेताओं को इसकी जानकारी देता हुए कुछ करने को कहा था।
बाद में भाजपा केन्द्रीय नेतृत्व के एक रणनीति के तहत ही जब प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री चरण सिंह को भारत रत्न देने की घोषणा की तो उनके पोते जयंत चौधरी ने एलान किया कि वह समाजवादी पार्टी से गठबंधन तोड़ रहे हैं और अब वे एनडीए में शामिल होंगे। हाल ही में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में एक रैली को संबोधित किया था जहां उनके साथ जयंत चौधरी ने भी मंच साझा किया।
इस गठबंधन से भाजपा को उम्मीद है कि वह जाट समुदाय को एनडीए उम्मीदवारों के पक्ष में एकजुट करेगी। यहां बताना जरूरी होगा कि उत्तर प्रदेश विधानसभा में रालोद ने इस क्षेत्र से सपा के साथ गठबंधन कर आठ विधानसभा सीटें जीती थीं।
इस चुनाव में मुरादाबाद और रामपुर में मोहम्मद आजम खान फैक्टर का भी महत्व देखने को मिलेगा। जेल में बंद मोहम्मद आजम खान के निर्देश पर अखिलेश यादव ने मुरादाबाद से मौजूदा सांसद की उम्मीदवारी बदलकर रुचि वीरा को चुनाव मैदान में उतारा। इसी तरह रामपुर का टिकट भी आजम खान के निर्देश पर दिया गया है।
पीलीभीत में एनडीए और इंडिया ब्लॉक के बीच लड़ाई देखना दिलचस्प होगा, जहां भाजपा ने मौजूदा सांसद वरुण गांधी की जगह जितिन प्रसाद को मैदान में उतारा है, जो पहले कांग्रेस में थे। भाजपा उम्मीदवार जितिन प्रसाद की संभावनाओं को बढ़ाने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी ने भी पीलीभीत में जनसभा को संबोधित किया।
हालांकि 2019 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन करके सहारनपुर, बिजनौर और नगीना में जीत हासिल की थी, लेकिन इस बार बसपा अपने दम पर चुनाव लड़ रही है। अगर बसपा अच्छी संख्या में वोट पाने में सफल रही तो इससे निश्चित तौर पर एनडीए को मदद मिलेगी।
देखना यह है कि अखिलेश यादव और उनकी पार्टी इस क्षेत्र में अच्छी उपस्थिति रखने वाले पिछड़ों, दलितों और मुस्लिम समुदाय का समर्थन कैसे जुटा पाती है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि मुस्लिम समुदाय के एकजुट होने से इंडिया ब्लॉक के उम्मीदवारों को फायदा होगा। पिछली बार समाजवादी पार्टी ने मुरादाबाद और रामपुर में जीत हासिल की थी। राज्य के इस पश्चिमी क्षेत्र में इंडिया गठबंधन के लिए काम बहुत कठिन है। सपा की संगठनात्मक ताकत और मुस्लिमों व दलितों का वोटिंग पैटर्न दोनों गठबंधनों के उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला करेगा। अब तक, एनडीए को लाभप्रद स्थिति में रखा गया है। (संवाद)
पश्चिम उत्तर प्रदेश में एनडीए और समाजवादी पार्टी के बीच जोरदार मुकाबला
रालोद से गठबंधन के कारण भाजपा को पहले चरण में कुछ लाभ की उम्मीद
प्रदीप कपूर - 17-04-2024 12:31 GMT-0000
लखनऊ: 19 अप्रैल को पहले चरण के लोकसभा चुनाव में पश्चिम उत्तर प्रदेश के आठ निर्वचन क्षेत्रों, जिसे जाटों क्षेत्र भी कहा जाता है, में हो रहे मतदान में एनडीए और इंडिया ब्लॉक के उम्मीदवारों के बीच बहुत कड़ी लड़ाई होने जा रही है। यह दोनों राजनतिक गठबंधनों के लिए परीक्षण का समय होने जा रहा है। एक तरफ भाजपा और आरएलडी है तो दूसरी तरफ पीडीए की रणनीति वाली समाजवादी पार्टी और कांग्रेस।