समाजवादी पार्टी नेतृत्व सीट बंटवारे के लिए इंडिया गठबंधन में सहयोगी कांग्रेस के संपर्क में है। राहुल और अखिलेश यादव पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि वे गठबंधन की छतरी के नीचे ही चुनाव लड़ेंगे। दोनों पार्टियां इन 10 सीटों पर भाजपा और गठबंधन सहयोगियों से मुकाबला करने के लिए सीटों के साथ-साथ उम्मीदवारों की भी पहचान कर रही हैं।
समाजवादी पार्टी संभावित उम्मीदवारों पर फीडबैक लेने के लिए 10 निर्वाचन क्षेत्रों में जिला पदाधिकारियों के साथ चर्चा कर रही है। जैसा कि अभी राजनीतिक माहौल है, प्रचार के दौरान स्थानीय मुद्दों के ही हावी रहने की संभावना है। समाजवादी पार्टी यह भी जानती है कि भाजपा अयोध्या और आम तौर पर अन्य सीटों पर हार का बदला लेना चाहेगी।
सपा नेता अखिलेश यादव और कांग्रेस नेता राहुल गांधी जानते हैं कि सीएम योगी आदित्यनाथ और भाजपा नेतृत्व ने सभी 10 सीटों पर जीत हासिल करना प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया है और भाजपा उम्मीदवारों के पक्ष में मतदाताओं का समर्थन जुटाने के लिए एक दर्जन से अधिक मंत्रियों और वरिष्ठ नेताओं को सम्बंधित निर्वाचन क्षेत्रों में तैनात किया है। समाजवादी पार्टी को यह भी भरोसा है कि पीडीए (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्याक) समीकरण के जरिये टिकट वितरण से चुनाव जीतने में मदद मिलेगी।
अखिलेश यादव भाजपा में गुटबाजी और पार्टी को दो खेमों में बांटने का भी खेल खेल रहे हैं। भाजपा में अन्तर्कलह के कारण हुए दो खेमों में से एक का नेतृत्व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कर रहे हैं और दूसरे खेमे का नेतृत्व पिछड़े नेता और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य कर रहे हैं। जहां एक ओर सवर्ण, खासकर ठाकुर समुदाय खुलकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ हैं, वहीं पिछड़े वर्ग के लोग प्रतिद्वंद्वी भाजपा नेता केशव प्रसाद मौर्य के समर्थन में हैं, जिन्होंने जून में चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद जानबूझकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में होने वाली बैठकों से परहेज किया।
इतना ही नहीं, गठबंधन सहयोगी निषाद पार्टी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के नेता भी भाजपा नेता मौर्य से मिल रहे हैं और सार्वजनिक रूप से अपना समर्थन दे रहे हैं। भाजपा में भी यह अहसास है कि जातिगत आधार पर अंदरूनी कलह और विभाजन से समाजवादी पार्टी को दलितों, पिछड़ों और मुसलमानों का समर्थन हासिल करने में मदद मिलेगी।
टिकट बंटवारे में पीडीए कार्ड सफलतापूर्वक खेलने के बाद समाजवादी पार्टी ने सात बार विधायक रहे नेता और उत्तर प्रदेश विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष माता प्रसाद पांडे को विपक्ष का नेता बनाकर ब्राह्मण कार्ड खेला है। समाजवादी पार्टी माता प्रसाद पांडे के अनुभव का फायदा उठाकर पूर्वी उत्तर प्रदेश में 10 विधानसभा उपचुनावों में शक्तिशाली ब्राह्मण मतदाताओं को प्रभावित करेगी।
यहां यह बताना जरूरी होगा कि उत्तर प्रदेश में जिन 10 विधान सभा सीटों के लिए उपचुनावों होने वाले हैं उनमें से नौ सीटें मौजूदा विधायकों के लोकसभा में निर्वाचित होने के कारण खाली हुई हैं, जबकि एक सीट समाजवादी पार्टी के विधायक के आपराधिक मामले में दोषी ठहराये जाने के कारण खाली हुई है। इन 10 विधानसभा सीटों में से पांच पर समाजवादी पार्टी, तीन पर भाजपा और एक-एक पर रालोद और निषाद पार्टी ने गत चुनाव में जीत हासिल की थी।
कांग्रेस, भाजपा और उसके गठबंधन सहयोगियों द्वारा जीती गयी पांच सीटों पर चुनाव लड़ने की इच्छुक है। परन्तु अन्तिम निर्णय बहुत कुछ अखिलेश यादव और राहुल गांधी के बीच बातचीत पर निर्भर करता है। हालांकि तारीखों की घोषणा नहीं की गयी है, लेकिन उत्तर प्रदेश में सभी 10 सीटों पर कड़ी टक्कर देखने को मिलेगी। इंडिया गठबंधन, एनडीए और बसपा के नेता उम्मीदवारों की पहचान करने की कवायद में जुटे हैं। (संवाद)
उत्तर प्रदेश के उपचुनावों में भाजपा से मुकाबला के लिए सपा का हौसला बुलंद
इंडिया ब्लॉक ने सभी दस सीटों पर शुरू की उम्मीदवारों की पहचान की प्रक्रिया
प्रदीप कपूर - 2024-08-02 10:37
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों के चुनावों में सफलता से उत्साहित समाजवादी पार्टी (सपा) के नेताओं और कार्यकर्ताओं का हौसला बुलंद है और वे राज्य में निकट भविष्य में होने वाले 10 विधानसभा सीटों के उपचुनावों में भाजपा से मुकाबला करने के लिए उत्साहित हैं। हालांकि चुनावों की तारीखों की घोषणा नहीं की गयी है, लेकिन समाजवादी पार्टी के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव इन चुनावों को बहुत गंभीरता से ले रहे हैं क्योंकि परिणाम 2027 में होने वाले अगले विधानसभा चुनावों के लिए माहौल तैयार करेंगे।