सोमवार को चुनाव प्रचार समाप्त हो गया। महिला शक्ति कितनी मजबूत है, यह 20 नवंबर को फिर से दर्ज किया जायेगा जब शेष 38 निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान के साथ चुनाव सम्पन्न हो जायेगा। झामुमो के नेतृत्व वाले गठबंधन की सत्ता बचाने की कोशिश और भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन की झारखंड पर नियंत्रण हासिल करने की हाई-प्रोफाइल कोशिश का नतीजा 23 नवंबर को पता चलेगा।

सत्तारूढ़ गठबंधन में झारखंड मुक्ति मोर्चा के साथ कांग्रेस, लालू प्रसाद यादव की राष्ट्रीय जनता दल और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी- मार्क्सवादी लेनिनवादी (लिबरेशन) शामिल हैं। राजनीतिक रूप से यह इंडिया ब्लॉक है, लेकिन झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी अलग-अलग इकाई के रूप में मैदान में हैं।

विपक्षी गठबंधन में भाजपा के अलावा पूर्व उपमुख्यमंत्री सुदेश महतो के नेतृत्व वाली ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन पार्टी, नीतीश कुमार का जनता दल (यूनाइटेड) और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) शामिल हैं। संख्या के लिहाज से पुरुष और महिला मतदाताओं के बीच ज्यादा अंतर नहीं है - कुल 2.59 करोड़ मतदाताओं में से महिला मतदाता 1.28 करोड़ हैं और 1.31 करोड़ पुरुष मतदाता हैं। कुल मतदाताओं में 18-19 वर्ष आयु वर्ग के 11.05 लाख मतदाता शामिल हैं, जो पहली बार मतदान करेंगे।

इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि महिलाएं एक प्रभावशाली वोट बैंक हैं और अक्सर नियंत्रण से परे परिस्थितियों में फंसे होने पर पुरुष मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप कई निर्वाचन क्षेत्रों में कई बूथों पर महिलाओं की संख्या पुरुष मतदाताओं से अधिक होती है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस वर्ष अगस्त में अपने मंत्रिमंडल से मुख्यमंत्री मैया सम्मान योजना को मंजूरी दिलवायी, जिसके तहत 18-50 आयु वर्ग की महिलाओं को, जो निर्धारित शर्तों के अनुसार योग्य हैं, 1,000 रुपये प्रति माह की नकद सहायता दी जा रही है।

50 वर्ष और उससे अधिक आयु वर्ग की महिलाओं को पहले से ही सार्वभौमिक पेंशन योजना के तहत 1,000 रुपये प्रति माह मिल रहे हैं। छह महीने पहले हुए लोकसभा चुनावों के मतदान के आंकड़ों के विश्लेषण के बाद, एक चतुर चाल में सोरेन कैबिनेट ने पिछले 14 अक्तूबर को एमएमएसवाई योजना के तहत नकद सहायता को बढ़ाकर 2,500 रुपये प्रति माह करने का फैसला किया - जो कि 1,500 रुपये की वृद्धि है - जो आगामी दिसंबर से प्रभावी होगी। इसका मतलब यह है कि अगर 23 नवंबर को झामुमो के नेतृत्व वाला गठबंधन सत्ता में वापस आता है, तो महिलाएं दिसंबर से अपने आप 2,500 रुपये प्रति माह की बढ़ी हुई नकद सहायता की हकदार हो जायेंगी। वास्तव में, यह महिला मतदाताओं को अपनी पसंद के लिए सत्तारूढ़ पक्ष को ध्यान में रखने के लिए प्रेरित कर सकता है। यह केवल संभावना के दायरे में है; क्योंकि हमारे देश में चुनावों में धाराएं और अंतर्धाराएं होती हैं जो मतदाता की पसंद को प्रभावित करती हैं।

भारत के चुनाव आयोग द्वारा चुनाव कार्यक्रम की घोषणा से काफी पहले झारखंड के लोगों को राजनीतिक आख्यान से परिचित होने के अवसर मिले हैं, इसे देखते हुए ऐसा प्रतीत होता है कि भाजपा नेतृत्व ने काफी पहले यह घोषणा करके एक रणनीतिक गलती की कि अगर उनका गठबंधन सरकार बनाने में सफल होता है तो नकद सहायता 2,100 रुपये कर दी जायेगी। इस प्रोत्साहन को गोगो दीदी योजना (जीडीवाई) नाम दिया गया है।

इस घोषणा ने जेएमएम के नेतृत्व वाली सरकार को तेजी से काम करने और पिछले 14 अक्तूबर को नकद सहायता को बढ़ाकर 2,500 रुपये प्रति माह करने की घोषणा करने का अवसर दिया। इसलिए, इस समय, जब चुनावों के मद्दे नजर घोषणाओं को अलग-अलग देखा जाता है, तो यह मैया सम्मान बनाम गोगो दीदी है।

किसी तरह के निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए दोनों पक्षों के तीन घोषणापत्रों को ध्यान से पढ़ना आवश्यक है। भाजपा और उसके सहयोगियों का संकल्प पत्र जिसे 3 नवंबर को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रांची में जारी किया, तथा इंडिया ब्लॉक का न्याय पत्र जिसे 5 नवंबर को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, मुख्यमंत्री सोरेन और गठबंधन के अन्य नेताओं ने रांची में संयुक्त रूप से जारी किया। पहले चरण के लिए प्रचार की आखिरी तारीख 11 नवंबर को रांची में जेएमएम सुप्रीमो शिबू सोरेन ने एक अलग घोषणापत्र जारी किया। जाहिर है, यह आखिरी समय में तय किया गया था।

महिला वोट बैंक के लिए अपनी अपील बढ़ाने के प्रयास में, इंडिया ब्लॉक ने “गरीब परिवारों” को सिर्फ 450 रुपये में गैस सिलेंडर की आपूर्ति करने का वायदा किया। भाजपा के दस्तावेज में गरीब और पिछड़े वर्ग के परिवारों की लड़कियों के लिए किंडरगार्टन से लेकर स्नातकोत्तर तक की पढ़ाई के लिए फूलो-झानो पढो बिटिया योजना बनाने की पेशकश की गयी है। इसमें हर गर्भवती महिला को मातृत्व सुरक्षा कार्यक्रम के तहत छह पोषण किट और 21,000 रुपये देने की भी पेशकश की गयी है।

दस्तावेज में परिवारों को साल में दो मुफ्त एलपीजी सिलिंडर दिये जाने का आश्वासन दिया गया है और उसके बाद वे 500 रुपये में रिफिल खरीदने के हकदार होंगे। गरीब और पिछड़े वर्ग के परिवारों की छात्राओं और गर्भवती महिलाओं के लिए भाजपा द्वारा प्रस्तावित प्रोत्साहन, महिला मतदाताओं को कम नकद सहायता (इंडिया ब्लॉक के 2,500 रुपये प्रति माह के मुकाबले 2,100 रुपये) की भरपाई करने के प्रयास के रूप में प्रतीत होता है।

जो भी हो, मुख्यमंत्री और उनकी पार्टी ने समझदारी से काम लिया और भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन को यह घोषणा करके आश्चर्यचकित कर दिया कि अगर वे सत्ता में लौटते हैं तो उनकी सरकार सरकारी कार्यालयों में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत नौकरियां आरक्षित करेगी।

इस बीच पिछले महीने द हिंदू की एक रिपोर्ट में झारखंड के मुख्य निर्वाचन अधिकारी रवि कुमार के हवाले से कहा गया था कि राजनीतिक दल आबादी के इस हिस्से (महिलाओं) को लुभाने का एक अच्छा कारण "उनकी सक्रिय भागीदारी और राज्य से पुरुषों का पलायन" है। इस साल की शुरुआत में 14 लोकसभा सीटों पर मतदान करने वाले 1.7 करोड़ मतदाताओं में से 87.11 लाख महिलाएं और 83.85 लाख पुरुष थे। (संवाद)