भारत में स्तन कैंसर के प्रकोप में तेजी आ रही है लेकिन स्तन की नयी इंडोस्कोपी सर्जरी से स्तन कैंसर की मरीजों को नया जीवन दान दिया जा सकेगा।

हाल में किये गए एक अध्ययन में पाया गया है कि भारत में स्तन कैंसर के मामलों में हर साल तीन प्रतिशत की दर से वद्धि हो रही है और यहां हर साल स्तन कैंसर के करीब एक लाख मामले सामने आते हैं। इस तरह सन 2015 तक यहां स्तन कैंसर के ढाई लाख रोगी हो जाने की उम्मीद है। हालांकि भारत में स्तन कैंसर के मामलों की दर एक समान नहीं है लेकिन फिर भी यहां हर साल एक लाख की आबादी में स्तन कैंसर के औसतन 80 नये मामले सामने आते हैं। लेकिन दिल्ली में प्रति एक लाख लोगों में हर साल स्तन कैंसर के 146 नये मामले सामने आते हैं। जबकि सन् 1990 में यहां स्तन कैंसर की राष्ट्रीय दर 23.5 थी। एक अनुमान के अनुसार भारत में हर साल स्तन कैंसर के मरीजों की संख्या में 80 हजार का इजाफा हो जाता है। हमारे देश में हर साल 14 हजार से अधिक महिलाओं की मृत्यु इस बीमारी के कारण होती है।

अनेक देशों में तेजी से लोकप्रिय हो रही इंडोस्कोपिक ब्रेस्ट सर्जरी का विकास चीरे या जख्म का आकार छोटा रखने के लिये हुआ है। इस सर्जरी में मरीज के स्वस्थ होने की दर 95 प्रतिशत तक होती है। जापान जैसे विकसित देशों में स्तन कैंसर के 80 प्रतिशत मरीजों में यह सर्जरी की जा रही है। इस सर्जरी में खर्च तो परम्परागत सर्जरी जितना ही आता है, लेकिन परम्परागत सर्जरी की तुलना में इसके फायदे बहुत अधिक है।

सुप्रसिद्ध सर्जन तथा एसोसिएशन आफ सर्जन्स की भारतीय शाखा के अध्यक्ष डा. नरेन्द्र कुमार पाण्डे बताते है कि इस तकनीक में इंडोस्कोप नामक बहुत महीन ट्यूब का इस्तेमाल होता है जिसके तहत एक बहुत पतला ‘ाल्य उपकरण उस बिन्दु तक ले जाया जाता है जहां सर्जरी की जानी है। इसके कारण आसपास के उतकों को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है और साथ ही साथ बहुत छोटा चीरा लगता है।

नयी दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में फरीदाबाद में स्थित अत्याधुनिक कैंसर चिकित्सा संस्थान - एशियन इंस्टीच्यूट आफ मेडिकल साइंसेज (एआईएमस) के चेयरमैंन डा. एन के पाण्डे बताते हैं कि इस तकनीक के तहत सर्जन कांख के निचले हिस्से में बनाये गये एक सेंटी मीटर के एक छेद के जरिये इंडोस्कोप प्रविष्ट कराकर कैंसरग्रस्त स्तन से कैंसर ट्यूमर को निकाल लेते हैं। यह इतना छोटा चीरा होता है कि इसका कोई निशान नहीं रहता है और स्तन का उपरी और बाहर का हिस्सा बिल्कुल अछूता एवं सही सलामत रहता है। आपरेशन के बाद कुछ मरीजों में स्तन में दबाव बन जाता है जिसे उसी छेद के जरिये स्तन इम्प्लांट के जरिये ठीक किया जा सकता है। इस तकनीक का एक लाभ यह है कि मरीज के ठीक होने पर मरीज को स्तन के आकार को ठीक करने के लिये उसकी कास्मेटिक सर्जरी कराने की जरूरत नहीं होती है।

‘‘ओंकोप्लास्टिक सर्जरी विद इंडोस्कोपिक अप्रोच’’ नामक इस सर्जरी का लक्ष्य चार ‘‘एस’’ को कायम रखना है- स्तन का आकार (साइज), आकृति (शेप), कोमलता (सॉफ्टनेस) और सुडौलपन (सिमेट्री)। इसके अलावा भी इसमंे दो और ‘‘एस’’ को जोड़ा जा सकता है- चीरा को छोटा करना (स्कार मिनिमाइज) और सामान्य उतकों को बचाना (स्पेयर द नार्मल टिशु)।

डा. पाण्डे के अनुसार स्तन कैंसर के तेजी से बढ़ रहे मामलों का मुख्य कारण आधुनिक जीवन ‘ौली है। अब अधिक से अधिक महिलाएं अधिक उम्र में ‘ाादी कर रही हैं और देर से बच्चा पैदा कर रही हैं या बच्चा पैदा नहीं कर रही हैं जो उन्हें जैविक रूप से प्रभावित करता है। इसके अलावा परम्परागत पौष्टिक भोजन के बजाय जंक फूड का अत्यधिक सेवन भी इसका एक मुख्य कारण है।

इस रोग के बारे में लोगों में बहुत कम जागरुकता है और भारत में बहुत कम महिला स्तन शल्य चिकित्सक हैं जिसके कारण महिलाएं पुरुष चिकित्सक के पास स्तन की जांच कराना नहीं चाहती

हैं। जबकि ‘ाुरुआती अवस्था में ही इस रोग की पहचान हो जाने पर इसका इलाज संभव है लेकिन तीसरी अवस्था में सर्जरी से कोई फायदा नहीं होता है। इसलिए पोलियो उन्मूलन कार्यक्रम की तरह ब्रेस्ट स्क्रीनिंग कार्यक्रम चलाये जाने की आवश्यकता है ताकि शुरुआती अवस्था में ही बीमारी की पहचान हो जाने पर इसे समूल नष्ट किया जा सके।

चिकित्सक सर्जरी के क्षेत्र में नवीनतम तकनीक क्रायोसर्जरी के भविष्य को लेकर भी काफी आशान्वित हैं जिसका इस्तेमाल एक सेंटीमीटर या इससे छोटे ट्यूमर को निकालने के लिए किया जा सकता है। क्रायोसर्जरी में तीन मिलीमीटर के एक अत्यंत सूक्ष्म चीरे के द्वारा एक इमेज गाइडेड सूई को प्रवेश कराया जाता है। इस सूई के अगले सिरे का तापमान 68 डिग्री सेल्सियस रखा जाता है और ट्यूमर के चारों ओर बर्फ के एक गोले का वातावरण पैदा किया जाता है। इतने कम तापमान में कैंसरग्रस्त कोशिकाएं मर जाती हैं। इस सर्जरी के कुछ ही घंटे बाद रोगी घर जा सकता है। हालांकि क्रायोसर्जरी का क्षेत्र अभी नया है इसलिए इस पर अभी और अनुसंधान की जरूरत है। लेकिन इससे उम्मीदें काफी हैं। इंडोस्कोपिक और क्रायोसर्जरी जैसी तकनीकों की मदद से स्तन कैंसर के रोगियों को न सिर्फ कम खर्च में इस बीमारी से निजात मिल जाएगी बल्कि उनकी सुंदरता भी बरकरार रहेगी। (फर्स्ट न्यूज)