शनिवार, 22 फरवरी को शिखर सम्मेलन का समापन हुआ, जिसमें राज्य सरकार ने 374 कंपनियों से 1,52,905 करोड़ रुपये के निवेश के लिए रुचि पत्र (ईओआई) प्राप्त किये। इसमें सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र शामिल नहीं है, जिसमें 24 कंपनियों ने केरल में गतिविधियों के विस्तार और मजबूती के लिए 8,500 करोड़ रुपये के निवेश का वायदा किया है।

सम्मेलन के समापन के बाद जो प्रस्ताव आये हैं, उनमें एक विदेशी कंपनी से 500 मिलियन डॉलर, एक खेल अनुसंधान और संबद्ध गतिविधियों वाली कंपनी से 500 करोड़ रुपये, एक निर्माण कंपनी से 2,500 करोड़ रुपये और आरपी ग्रुप से 2,000 करोड़ रुपये शामिल हैं।

बड़े निवेश की पेशकश करने वाली अन्य प्रमुख कंपनियों में यूसुफली की अगुआई वाली लुलु ग्रुप इंटरनेशनल (एलजीआई) शामिल है, जिसने अगले चार से पांच वर्षों में 15,000 नौकरियों की संभावना के साथ 5000 करोड़ रुपये का निवेश करने की प्रतिबद्धता जतायी है। यह निवेश कलामस्सेरी में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र और राज्य द्वारा प्रस्तावित ग्लोबल सिटी परियोजना में आईटी और फिनटेक बुनियादी ढांचे में किया जायेगा। इसके अलावा, कोच्चि के इन्फोपार्क में समूह के जुड़वां आईटी टावर, जो करीब 25,000 पेशेवरों को रोजगार देंगे, अगले तीन महीनों के भीतर चालू हो जायेंगे।

यूएई स्थित शिपिंग और लॉजिस्टिक्स दिग्गज शराफ ग्रुप ने केरल में 5,000 करोड़ रुपये निवेश करने की अपनी मंशा का संकेत दिया है। समूह राज्य में दो स्थानों पर रसद और शिपिंग में निवेश करने के लिए तैयार है। टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड के तहत आर्टसन इंजीनियरिंग लिमिटेड द्वारा एक और बड़ी घोषणा की गयी है, जो आने वाले वर्ष में मालाबार सीमेंट्स के साथ एक संयुक्त उद्यम में 500 करोड़ रुपये का निवेश करेगी, ताकि 100 टन से कम क्षमता वाली नौकाओं के निर्माण के लिए एक सुविधा स्थापित की जा सके। यह सुविधा विलिंगडन द्वीप पर कोच्चि बंदरगाह प्राधिकरण की भूमि पर क्लिंकर आयात के लिए मालाबार सीमेंट्स द्वारा पट्टे पर दिये गये भूखंड पर बनने वाली है। नाव निर्माण परियोजना में शुरू में 100 करोड़ रुपये का निवेश किया जायेगा।

हैदराबाद स्थित आर्टसन इंजीनियरिंग द्वारा निवेश की मात्रा आने वाले वर्षों में 500 करोड़ रुपये तक जाने की उम्मीद है। इस बीच केरल सरकार द्वारा रखे गये एक प्रस्ताव को नॉर्वे जैसे देशों से उत्साहजनक प्रतिक्रिया मिली है। राज्य ने नॉर्वे जैसे देशों में कर्मचारियों के लिए अवसर प्रदान किये हैं क्योंकि वहाँ गर्मियों और सर्दियों के महीनों के बीच जलवायु की स्थिति काफी बदल जाती है। दो दिवसीय शिखर सम्मेलन में केरल के मुख्यमंत्री ने 50 व्यापारियों के अलावा व्यापारिक प्रतिनिधिमंडलों से व्यक्तिगत रूप से मुलाकात की। उन्होंने राजनयिकों के समुदाय को संबोधित करने के अलावा जीसीसी प्रतिनिधियों से भी मुलाकात की। उद्योग मंत्री पी. राजीव ने 1,000 से अधिक व्यवसायियों से मुलाकात की।

यह जानकर खुशी हुई कि एलडीएफ सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए दृढ़ संकल्पित है कि कहीं शिखर सम्मेलन द्वारा उत्पन्न गति अनुवर्ती कार्रवाई की कमी के कारण खो न जाये। राजीव ने कहा कि प्रत्येक ईओआई को सरकार से व्यक्तिगत ध्यान मिलेगा, जो प्रत्येक निवेश प्रस्ताव की प्रगति की निगरानी के लिए समितियों का गठन करेगी। डैशबोर्ड-आधारित अनुवर्ती कार्रवाई की जायेगी। साथ ही, निवेश प्रस्तावों पर पूछताछ के लिए एक सप्ताह के भीतर एक टोल-फ्री फोन नंबर और ई-मेल भी स्थापित किया जायेगा।

राज्य सरकार ने अगली पीढ़ी की उभरती प्रौद्योगिकियों की इस लहर के दौरान कंपनियों की यात्रा को सुविधाजनक बनाने के लिए एक उभरती हुई प्रौद्योगिकी हब स्थापित करने का भी प्रस्ताव रखा है। केरल स्टार्ट-अप मिशन द्वारा 3,000 करोड़ रुपये के निवेश से कार्यान्वित किया जाने वाला यह हब मुख्य रूप से अंतरिक्ष, स्वास्थ्य, नवीकरणीय ऊर्जा, कृषि और डिजिटल मीडिया पर केंद्रित होगा।

समयबद्ध मूल्यांकन की सुविधा के लिए, प्रस्तावों को सात समूहों में विभाजित किया गया है। 50 करोड़ रुपये से कम निवेश वाली परियोजनाओं की जांच उद्योग निदेशालय द्वारा की जायेगी और 50 करोड़ रुपये से अधिक निवेश वाली परियोजनाओं का अध्ययन केरल राज्य औद्योगिक विकास निगम (केएसआईडीसी) द्वारा किया जायेगा।

आखिरी लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि दो सप्ताह में एक बार उद्योग मंत्री और प्रधान सचिव दोनों द्वारा ईओआई की प्रगति का मूल्यांकन किया जायेगा। परियोजनाओं की मंजूरी में तेजी लाने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक सचिव स्तरीय समिति भी गठित की जा रही है।

आखिरकार, यह सुरक्षित रूप से कहा जा सकता है कि शिखर सम्मेलन केरल को निवेश-अनुकूल गंतव्य में बदलने की यात्रा में एक प्रमुख मील का पत्थर साबित हुआ। (संवाद)