भारत में घार्मिक स्थलों पर भगदड़ किसी विशेष पूजा या उत्सव के दौरान मचती है जब भीड़ अनियंत्रित हो जाती है। श्रद्धालु सीढ़ियों पर या पूजा स्थलों पर गिर जाते हैं। पिछले वर्ष एक बाबा के प्रवचन के दौरान तो आर्शीवाद लेने की होड़ में भीड़ अनियंत्रित हो गयी और इससे मची भगदड़ में सौ से ज्यादा लोागों की मृत्यु हो गयी थी। ताजा उदाहरण गोवा के शिरगांव में श्री लैराई जात्रा (यात्रा) के दौरान शुक्रवार रात मची भगदड़ है जिसमें लगभग 7 श्रद्धालुओं की मौत हो गई। हादसे में 50 से ज्यादा लोग घायल हो गए। शुक्रवार शाम को बड़ी संख्या में श्रद्धालु जात्रा में शामिल होने मंदिर की ओर जा रहे थे। इसी दौरान एक दुकान के सामने बिजली के तार से करंट लगने के बाद कुछ लोग गिर गए। तभी अफरा-तफरी हुई और भगदड़ मच गई। क्राउड मैनेजमेंट के पर्याप्त इंतजाम नहीं होने की वजह से हादसा हुआ ।
पिछले महीनों ही कुंभ मेला तथा नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर मची भगदड़ है। इसके पहले वर्ष 2015 में झारखंड के देवघर स्थित बैधनाथ मंदिर में भगदड़ से 71 लोगों की मौत हो गयी थी। उसी वर्ष राजमुंदरी में महापुष्कर मेले के पहले दिन ही 32 श्रद्धालुओं की मौत भगदड़ में हुई थी। वंर्ष 2014 में पटना के गढ़ी मैदान में दशहरा समारोह में भगदड़ के कारण 32 लोग काल कलवित हो गए थें। वर्ष 2013 में मध्यप्रदेश के रत्नगढ़ स्थित माता मंदिर के भगदड़ में 115 श्रद्धालुओं की जान चली गयी थी। विदेशों की बात करें तो सितंबर 2015 में मक्का में 2300 लोग और जून 2017 में ट्यूरिन में फुटबॉल मैच दौरान मची भगदड़ में 1500 लोगों की मौत हो गयी थी। भगदड़ के अनेक उदाहरण है सबका वर्णन करना यहां संभव नही है।
भगदड़ का तात्पर्य एक ऐसी स्थिति से है, जिसमें किसी अवसर पर मनुष्य अनियंत्रित तरीके से एक ही दिशा में किसी डर अथवा भय के कारण तेजी से भागते हैं। तेजी से भागने वाले अपनी जान बचाने के लिए किसी विशेष स्थान को बिना कुछ सोचे समझे किसी निश्चित दिशा कि तरफ भागने लगते है। भागने वालों का लक्ष्य उस स्थान से दूर जाना होता है, रास्ते की उन्हें कोई फिक्र नहीं होती है। और ना ही उन्हें इस बात का पता होता है कि उन्हें भागकर कहां तक पहुंचना है। इस अनियंत्रित भागदौड़ की स्थिति को ही भगदड़ कहा जाता है।
किसी विशेष स्थान पर भीड़ क्षमता से ज्यादा बढ़ जाती है, तब ऐसी स्थिति पैदा होती हैं। भगदड़ के दौरान, भागते हुए लोग आपस में टकराते हैं और एक दूसरे के ऊपर या एक दूसरे से टकराकर गिर जाते है, जिसके कारण कई बार लोगों की दबने से मृत्यु तक हो जाती हैं। ऐसा होने का कारण कई बार लोग गिरे हुए लोगों के ऊपर पैर रखते हुए भी भाग जाते हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक देश दुनिया में भगदड़ की जो भी बड़ी घटनाएं हुईं,उनमें करीब 79 फीसदी मामले धार्मिक आयोजन के दौरान हुए थे। ज्यादातर अफरा तफरी अफवाहों की वजह से होती है। इसमें भीड़ जुटाने वाले लोगों को एहतियात बरतने की जरूरत होती है। भगदड़ में सबसे अधिक असुरक्षित महिलाएं, बच्चे और वृद्ध लोग होते हैं।
भगदड़ को रोका जा सकता है. अगर क्राउड मैनेजमेंट को कंट्रोल कर लें। जिनके द्वारा आयोजन कराया जा रहा है उन्हें अगर भीड़ कितनी आएगी, स्थान विशेष पर कितना लोगों का दबाव होगा इसकी सटीक जानकारी और बेहतर इंतजाम हो तो हादसे को कंट्रोल किया जा सकता है। कई तरीके हैं जिन्हें अपनाकर भीड़ काबू में की जा सकती है. भीड़ की दबाव को लाइन में लगाकर कम कर लिया जा सकता है। भगदड़ की स्थिति में वैकल्पिक मार्ग का इंतजाम होना चाहिए और वीवीआईपी मेहमानों के लिए सही तरीके से आगमन के उपाए होना चाहिए। बैरिकेड लगाकर, स्नेक लाइन एप्रोच बनाकर भीड़ को काबू में किया जा सकता है। ये वो तरीके हैं जिन्हें अपनाकर भगदड़ के प्रभाव को न्यूट्रल किया जा सकता है। कुंभ मेले के दौरान अगर व्यवस्था कुशल तथा अनुभवी अघिकारियों के हाथ में होती तो भगदड़ की स्थिति नहीं बनती।श्रद्धालु रात्रि में ही निश्चित स्थान पर पहुंच कर स्नान के समय का इंतजार कर रहे थे और फिर बाद में आने वाली भीड़ द्वारा कुचले गए।
राजनेताओं , कथा वाचकों तथा तथाकथित धर्म गुरुओं के बड़े कार्यक्रम बड़े मैदानों में किया जाए तो फिर भगदड़ की संभावना कम हो जाती है। बैठक व्यवस्था या फिर लोगों के खड़े रहने की उचित व्यवस्था के अनुसार स्थान का चयन किया जाना चाहिए । आयोजन में सुरक्षाकर्मियों द्वारा उचित समय पर सही सूचना दी जानी चाहिए और आवश्यक होने पर दिशा निर्देश देते रहना चाहिए। प्रवेश और निकास सुरक्षित होना चाहिए, वहां भीड़ न होने देना चाहिए। लोगों को अनावश्यक रूप से रुकने न दे और अधिक लोगों को एक साथ बाहर निकालने की अनुमति न दे। आपातकालीन निकास की व्यवस्था की जानी चाहिए ताकि आवश्यकता होने पर लोगों को वैकल्पिक रास्ते से निकाला जा सके। उचित रोशनी का होना आवश्यक है। सुरक्षाकर्मियों की उचित व्यवस्था हो तथा आवश्यकता होने पर तीसरा निर्देश जारी किया जाना चाहिए। किसी प्रकार की अफवाह होने की दशा में तत्काल प्रभाव से सही जानकारी मुहैया कराया जाना चाहिए।
भगदड़ की स्थिति से बचने के लिए भारत सरकार द्वारा स्वदेश दर्शन 1.0 के अंतर्गत विषयगत सर्किटों की पहचान की गई है और परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। पर्यटन मंत्रालय के प्रयासों से, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, दिल्ली, गोवा, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, मध्य प्रदेश, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, सिक्किम और उत्तर प्रदेश की राज्य सरकारों व केंद्र शासित प्रदेशों ने किसी न किसी रूप में पर्यटक पुलिस की तैनाती की है।
कैसे थमेगी भगदड़ से हो रही मौतें
एस एन वर्मा - 2025-05-06 23:59
पिछले कुछ वषों में विश्व भर के देशों में भगदड़ की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। भारत में भगदड़ की घटनाएं सबसे ज्यादा धार्मिक स्थलों पर हुई हैं। इसके अलावा रेलवे स्टेशनों कथा वाचकों व राजनेताओं के भाषणों के दौरान भी मची भगदड़ के कारण होने वाली मौतों की खबरें भी सामने आती रहती है, जिसका दृश्य हृदय विदारक तथा दिल को झकझोर देने वाली होती है। विदेशों में म्यूजिक कंसर्ट, स्टेडियम और नाइट क्लबों में भगदड़ की घटनाएं सुनने को मिलती है। पर्यटक स्थलों पर भीड़ और पर्यटकों के आगमन के प्रबंधन सहित पर्यटकों की सुरक्षा और हिफाजत मुख्य रूप से राज्य सरकार की जिम्मेदारी है, वहीं निजी और धार्मिक कार्यक्रमों में भीड़ को नियंत्रित करने की जिम्मेदारी आयोजकों और स्थानीय प्रशासन की होती है। लेकिन समुचित सुरक्षा व्यवस्था के न होने तथा भीड़ प्रबंधन तंत्र की नासमझी के कारण भगद़ड़ मचती रहती है।